प्रख्यात हिंदी साहित्यकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल का मंगलवार को 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने रायपुर स्थित एम्स &...
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आवाज़ द वॉयस | नई दिल्ली
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के यासर अराफ़ात हॉल में साहित्य, सूफी परंपरा और वैचारिक संवाद का एक यादगार दृश्य उस समय साकार हì...
नई दिल्ली
प्रख्यात बिजनेस लीडर उदयन द्रविड़ ने अपनी नई किताब “राइज ऑफ द फीनिक्स: द अपोलो टायर्स स्टोरी” लॉन्च की है। यह किताब भारतीय निर्माण क्षेत&...
ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर में मंगलवार शाम उस समय साहित्यिक उत्साह का माहौल देखने को मिला, जब चर्चित कवि-राजनयिक अभय के द्वारा अनूदित 'हनुमान चा...
नवीन चौधरी
एक देश जहाँ सर्वाधिक हिंदी भाषी हैं वहाँ हम हिंदी पखवाड़ा मनाते हैं.हिंदी भाषी देश में पढ़ाई से लेकर नौकरी तक अंग्रेजी का बोलबाला है.हिंदी मध्य वर्ग è...
मंजीत ठाकुर
भारत की आधुनिक हिंदी साहित्यिक चेतना का एक बड़ा अध्याय है, हिंदी प्रकाशन का इतिहास. यह सिर्फ किताबों और अख़बारों के छपने की दास्तान नहीं, बल्कि एक सामाजिक कî...
डॉ. फ़िरदौस ख़ान
हिन्दी साहित्य में उस कविता को समकालीन कविता कहा जाता है, जिसमें समकालीन समाज की परिस्थितियों का जीवंत चित्रण मिलता है. समकालीन कविता का समय सामान्यत: 1980स...
मुंबई
हिंदी दिवस के अवसर पर जनवादी लेखक संघ, मुंबई और स्वर संगम फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में मीरा रोड (पूर्व) स्थित विरंगुला केंद्र में बहुभाष...
हिन्दी साहित्य जगत में 1960से 1970तक चले काव्य आन्दोलन को ‘अकविता आन्दोलन’ कहा जाता है. हिन्दी साहित्य में डॉ. जगदीश चतुर्वेदी को इसका प्रवर्तक माना जाता है. इस आ...
-डॉ. फ़िरदौस ख़ान
देश की स्वतंत्रता के बाद सामान्यत: 1951 के बाद लिखी गई कविताओं को ‘नई कविता’ कहा जाता है. ये कविताएं किसी भी ‘वाद’ से मुक्त हैं अर्थात ये न तो पारम्पर...
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को देशवासियों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दीं और आह्वान किया कि सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करते ...
हिन्दी साहित्य में प्रयोगवाद एक काव्य-आन्दोलन था. सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' को प्रयोगवाद का प्रवर्तक माना जाता है, क्योंकि 1943म...
सुशांत झा
छायावाद (1918-1936) हिंदी साहित्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण और परिवर्तनकारी युग था. यह युग द्विवेदी युग की नैतिक और उपदेशात्मक कविता के विरोध में उभरा, जिसने कविता क...
मनीषा सिंह
हम पाठक के तौर पर सोचते हैं कि भारतीय हिंदी साहित्य ने कामायनी से सीधा युगवाणी का सफर किस तरह पूरा किया होगा ? ऐसा क्या हुआ होगा कि छायावाद से प्रगतिव...