हिंदी दिवस पर बहुभाषी कवि सम्मेलन : मीरा रोड में काव्य-संगम का अनुपम नज़ारा

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 16-09-2025
Multilingual kavi sammelan on Hindi Diwas: A unique view of poetic confluence at Mira Road
Multilingual kavi sammelan on Hindi Diwas: A unique view of poetic confluence at Mira Road

 

मुंबई

हिंदी दिवस के अवसर पर जनवादी लेखक संघ, मुंबई और स्वर संगम फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में मीरा रोड (पूर्व) स्थित विरंगुला केंद्र में बहुभाषी कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। खचाखच भरे सभागार में श्रोताओं ने आरंभ से अंत तक हिंदी, उर्दू, मराठी और बंगाली काव्य की अनूठी छटा का आनंद लिया।

दिल्ली से पधारीं प्रमुख अतिथि, लेखिका-कवयित्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता अनिता भारती ने प्रभावशाली कविताएँ सुनाते हुए कहा कि “कोई भी भाषा छोटी या बड़ी नहीं होती। हर भाषा जीवन को नई दृष्टि देती है।” उन्होंने बताया कि मराठी से हिंदी में अनूदित दलित साहित्य ने उन्हें नई जीवन-दृष्टि और शक्ति दी।

विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर कुसुम त्रिपाठी ने कहा, “हिंदी प्रेम और भाईचारे की भाषा है, वर्चस्व की नहीं।” वहीं वरिष्ठ कवि-शायर हृदयेश मयंक और राकेश शर्मा ने अपनी ग़ज़लों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। राकेश शर्मा की पंक्तियाँ— “न हिंदी है, न उर्दू है मेरे अशआर की भाषा; मैं शायर हूँ, मेरा दिल बोलता है प्यार की भाषा”—को भरपूर सराहना मिली, जबकि हृदयेश मयंक की ग़ज़ल— “फिर कहीं शोर उठा और कहीं आग लगी, उसमें जलता हुआ मेरा घर उभर कर आया”—पर तालियों की गड़गड़ाहट गूँज उठी।

इस अवसर पर मुस्तहसन अज्म, नैमिष राय, अनिल गौड़, भूपेंद्र मिश्र, सुनील ओवाल, आरिफ महमूदाबादी, आर.एस. विकल, रमन मिश्र, राजीव रोहित, इरफान शेख, सतीश शुक्ल रकीब, कुसुम तिवारी, जानी अंसारी, सुनील कुलकर्णी, पुलक चक्रवर्ती, सुरेश कोपीडष्कर, आर.एस. आघात आदि कवियों ने हिंदी, मराठी, उर्दू और अन्य भाषाओं में रचनाएँ प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता शैलेश सिंह ने की, संचालन जुल्मीरामसिंह यादव ने किया और आभार प्रदर्शन डॉ. मुख्तार खान ने व्यक्त किया।

सभा में डॉ. गुलाब यादव, मुशर्रफ शम्सी, संजय पांडे, विनोद यादव, मोइन अंसार, विजय यादव, दिनेश गुप्त, धर्मेंद्र चतुर्वेदी, अक्षय यादव, शिवशंकर सिंह, रामू जायसवाल, सभाजीत यादव, हेमंत सिंह सहित शहर के अनेक कवि, चिंतक, पत्रकार, नाट्यकर्मी और साहित्य-प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

यह आयोजन भाषाई विविधता और काव्यात्मक एकता का अद्भुत उदाहरण बना, जिसने श्रोताओं को संवाद, रचनात्मक ऊर्जा और मानवीय संवेदनाओं से भर दिया।