राकेश चौरासिया / नई दिल्ली-वाराणसी
यहां के एक मुस्लिम व्यापारी ने सफेद सूती कपड़े की बड़ी चादरों पर गंगा की मिट्टी और पानी का उपयोग करके सुलेख में श्रीमद भगवद गीता लिखी है, ताकि वह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित मशहूर हस्तियों को अपनी कलात्मक कृतियों का उपहार दे सकें.
साड़ी व्यवसायी हाजी इरशाद अली (53) ने भी सूती कपड़े पर पवित्र कुरान, हनुमान चालीसा और अन्य धार्मिक ग्रंथों को इसी शैली में लिखा है. इरशाद अली ने न्यूजग्राम को बताया, ‘‘जब मैं 14 साल का था, तब मैंने शव को दफनाने से पहले कफन पर डालने के लिए आधे मीटर के कपड़े के टुकड़े पर शहादतैन लिखना शुरू किया था.’’ शाहदतैन का अर्थ है विश्वास की घोषणा - यह घोषित करना कि केवल एक ही ईश्वर है, अल्लाह और मुहम्मद उसके दूत हैं. वे कहते हैं कि ‘‘लेखन का जुनून और बढ़ गया और मैंने पवित्र कुरान को कपड़े के टुकड़ों पर लिखने का फैसला किया. कुरान के सभी 30 पैराग्राफ को गंगा की मिट्टी, जाफरान, गोंद और आब-ए-जमजम से बनी हस्तनिर्मित स्याही से पूरा करने में लगभग छह साल लग गए.’’ इस भारी-भरकम किताब की जिल्दसाजी के लिए मशहूर बनारसी सिल्क ब्रोकेड का इस्तेमाल किया गया है.
भगवद गीता को उसी शैली और आकार में लिखने के लिए, उन्होंने इस काम के लिए स्याही तैयार करने के लिए गंगा मिट्टी और चिपकने के साथ गंगा जल (गंगा जल) का इस्तेमाल किया. गीता को समझने के लिए उन्होंने संस्कृत भी सीखी है. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने एक संस्कृत अनुवाद पुस्तक खरीदी और भाषा सीखने के लिए एक स्थानीय पुजारी की मदद ली.’’
उन्होंने सूती कपड़े के टुकड़ों पर विष्णु सहस्रनाम, हनुमान चालीसा और राष्ट्रगान भी लिखा है. दिलचस्प बात यह है कि उनका पूरा परिवार लेखन के इस जुनून में शामिल है. उन्होंने कहा कि इस काम में उनकी पत्नी, दो बेटियों और दो बेटों समेत परिवार के सभी सदस्य उनका साथ देते हैं. कपड़े की चादरें उनकी पत्नी और बेटियों द्वारा तैयार की जाती हैं, जबकि स्याही उनके बेटों द्वारा तैयार की जाती है.