अनुभव-अमृतः रिटायरमेंट के बाद शिक्षा की लौ जला रहे हैं अशफाक उमर

Story by  शाहताज बेगम खान | Published by  [email protected] | Date 04-04-2023
अशफ़ाक उमर
अशफ़ाक उमर

 

अनुभव-अमृत, आवाज द वॉयस की यह नई पेशकश है. इस स्तंभ के तहत पाठकों को कुछ ऐसी शख्सियतों की कहानी पढ़ने को मिलेगी जिन्होंने अपने पद से सेवानिवृत होने के बावजूद घर बैठना गंवारा नहीं किया. इस बुजुर्गी में भी नए आयाम गढ़ रहे हैं. इस कड़ी की पहली कहानी आप की सेवा में हाजिर हैं.
धन्यवाद !


शहताज खान/ पुणे

मुझे लगता है जब तक शरीर में जान है, हौसले जवान हैं, मनुष्य को अपने कर्म पर डटे रहना चाहिए. जीवन मिला है तो उसका सदुपयोग करना चाहिए और फील्ड के लिए अनुपयुक्त होने पर ही रिटायर होना चाहिए." मालेगांव, महाराष्ट्र में कॉर्पोरेशन के प्राथमिक स्कूल में प्रधानाचार्य के रूप में काम करते हुए अशफाक उमर बेसब्री से रिटायर होने का इंतज़ार कर रहे थे.

डॉक्टर ने उन्हें साफ़ साफ़ कह दिया था अगर काम जारी रखा तो परेशानी में पड़ जाओगे. परन्तु उन्होंने दोनों काम जारी रखे. जिसके दबाव के चलते रिटायरमेंट से छह महीने पहले उनका एक बड़ा ऑपरेशन भी हुआ.

 

अशफाक उमर

 

लेकिन अशफ़ाक उमर ने रिटायरमेंट के बाद अपना पूरा समय और ध्यान केवल नई पीढ़ी पर केंद्रित किया है.

अशफ़ाक उमर ने छात्रों का मार्गदर्शन करने के लिए, ऊर्दू सीखने से संबंधित पुस्तकें, सिविल सेवा परीक्षा मार्गदर्शक पुस्तक, यूपीएससी परीक्षा मार्गदर्शक पुस्तक, एमपीएससी राज्य परीक्षा पुस्तक, पर्सनेलिटी डेवलपमेंट पर पुस्तक, ई लर्निंग से संबंधित पुस्तकें और भी कई मार्गदर्शन करने वाली पुस्तकें प्रकाशित की हैं. और लगातार वह विधार्थियों और शिक्षकों के साथ मीटिंग और प्रोग्राम भी करते रहते हैं.

 

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बहुत जल्द स्टॉफ सिलेक्शन कमीशन परीक्षा के संबंध में किताब भी सामने आएगी. केवल किताबें ही नहीं छात्रों के व्यक्तिगत और सामूहिक मार्गदर्शन का कार्य भी अखिल भारतीय स्तर पर अशफाक उमर कर रहे हैं. पहले कक्षा के भीतर और रिटायरमेंट के बाद शिक्षण का कार्य सीमित से असीमित की ओर अग्रसर है.

वह कहते हैं, "मैं रिटायर होने पर बहुत खुश था कि अब मैं अपने दिल की बात बेहतर ढंग से सुन सकता हूं और बड़े पैमाने पर छात्र मार्गदर्शन के विषयों पर अपनी सेवाएं दे सकता हूं."

 

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अशफाक उमर का स्कूल जाना तो बंद हुआ परन्तु अब छात्रों के लिए काम करने में पूरा समय बीत रहा है. एक शिक्षक के तौर पर अपने दायित्व के बारे में अशफाक उमर कहते हैं, "हमारे समाज में दो प्रमुख समस्याएं हैं. शैक्षिक मामलों में आर्थिक समस्याएं और मार्गदर्शन की कमी. शिक्षक रहते हुए ही मैने रिटायरमेंट के बाद की ज़िंदगी की मंसूबाबंदी इन्हीं कामों के इर्द गिर्द शुरू कर दी थी."

वह कहते हैं कि युवाओं के मार्गदर्शन पर काम करने वालों की संख्या कम है और इस काम का महत्व  बहुत ज़्यादा है. अभी बहुत काम करने की जरूरत है.

शैक्षिक गतिविधियों का दायरा

आज केवल ज्ञान और डिग्रियां हासिल कर लेना ही काफ़ी नहीं है. बल्कि अपनी पूरी क्षमता को विकसित कर के समाज के सफ़ल सदस्य बन सकें इसकी तैयारी भी आवश्यक है. वह कहते हैं, "मैंने अपने अनुभवों के आधार पर ही रिटायर होने के उपरान्त काम का प्लान बनाया था. खाली मैं बैठ नहीं सकता था. सीमित से असीमित की ओर सफ़र रिटायर होने के बाद ही प्रारंभ किया. वर्तमान समय में स्वयं के लिए जीना और केवल अपने काम से काम रखने का विचार बढ़ रहा है. यह सोच समाज के ताने-बाने को बिगाड़ देती है. हमें दूसरों की भलाई के बारे में भी सोचना चाहिए ताकि आप वास्तव में समाज में जीवित महसूस कर सकें."

 

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वह मानते हैं कि जब तक पूरा समाज एक दूसरे के साथ कांधे से कांधा मिला कर नहीं खड़ा होगा, तब तक समाज की उन्नति और प्रगति संभव नहीं हो सकती. अपने तजुर्बे और अनुभव को उपयोग में लाना अत्याधिक ज़रूरी है.

वह मानते हैं कि रिटायर होने के उपरान्त ज्यादातर लोग काम नहीं करना चाहते. कई लोग तो काम करने की बजाए पूरे दिन नदी पर जाना और मछली पकड़ना बेहतर समझते हैं. वह कहते हैं, “मैं ख़ाली बैठने वाले ऐसे व्यक्तियों से कहना चाहता हूं कि जब आपके जीवन की सभी दिनचर्या आज भी चल रही हैं, तो फिर आप शैक्षिक, सामाजिक कल्याण के कार्यों से क्यों दूर भागते हैं? जबकि आप के पास बेहतर अनुभव मौजूद है."

अशफाक उमर बताते हैं, "रिटायरमेंट के बाद मेरी गतिविधियों का दायरा बहुत बढ़ गया है. रिटायरमेंट के बाद की पहली सुबह से ही मैं अपने अधूरे पड़े प्रोजेक्ट्स पर काम करने में व्यस्त हो गया था. और देखिए अब मेरा स्वास्थ्य भी बेहतर है."

मनोचिकित्सक भी सलाह देते हैं कि सामाजिक संपर्क, मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. दूसरों के साथ अच्छे संबन्ध चिंता और अवसाद के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं.

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संतुष्ट, खुश और नींद : सक्रिय रहिए

वह अपनी उम्र के दूसरे लोगों को कहते हैं कि रिटायरमेंट के बाद तन्हाई और अकेलेपन की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है. अकेलापन, अकेले नहीं बल्कि अपने साथ चिंता, हाई ब्लड प्रेशर, अवसाद और ऐसी ही कई समस्याएं अपने साथ लाता है. लेकिन इन समस्याओं को दूर भगाया जा सकता है बस स्वयं को सक्रिय रखिए.

वह कहते हैं, "अच्छी नींद चाहिए तो काम कीजिए, दिमाग को बेकार विचारों से दूर रखना है तो ख़ुद को व्यस्त रखिए, संतुष्टि चाहिए तो कोई ऐसा काम कीजिए जिस से दूसरों को लाभ मिल सके. "

अशफ़ाक उमर कहते हैं कि रचनात्मक कार्य करने के लिए और कुछ नया भी सीखना चाहते हैं तो सीखिए क्योंकि रिटायरमेंट के बाद उम्र के इस पड़ाव में भी आप स्वयं को साबित कर सकते हैं. मैं ने सोशल मीडिया और इंटरनेट का इस्तेमाल करना रिटायरमेंट के बाद ही सीखा है.केवल थोड़ा अधिक अभ्यास और मेहनत की अवश्यकता पड़ती है. लेकिन असंभव कुछ नहीं होता.

केवल इतना स्वीकार करना है कि रिटायरमेंट जीवन के अंत की तैयारी नहीं बल्कि एक नई पारी की शुरुआत है. तो सक्रिय जीवन व्यतीत करें और स्वस्थ रिटायर्ड जीवन का आनंद लें. यह संभव है, कोशिश शर्त है.