साकिब सलीम
क्या आप विश्वास करेंगे, अगर मैं आपको बताऊं कि भारत सरकार के स्वामित्व वाली एक समर्पित कंपनी धार्मिक अल्पसंख्यकों को सूक्ष्म वित्त, सावधि ऋण, शिक्षा ऋण और अन्य वित्तीय सहायता प्रदान करती है? अगर मैं इसमें यह जोड़ दूं कि कंपनी की ओर से 20 लाख से ज्यादा लोगों को 7414 करोड़ रुपये की मदद मिल चुकी है? तो और ज्यादा ताज्जुब लगता है.
आप विश्वास नहीं कर सकते हैं, जैसा कि हममें से बहुत से लोग नहीं जानते हैं कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (एनएमडीएफसी) अल्पसंख्यकों को स्वरोजगार / आय सृजन गतिविधियों के लिउ रियायती वित्त प्रदान करने वाला अल्पसंख्यकों के लाभ के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का सर्वोच्च निकाय है.
एनएमडीएफसी जैसे मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन अल्पसंख्यकों को लाभ पहुंचाने के लिए कई योजनाएं चलाती है. योजनाओं को राज्य सरकार / संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन द्वारा नामित राज्य चैनेलाइजिंग एजेंसियों (एससीए) के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है. वार्षिक आय के आधार पर, लक्ष्य समूहों को दो समूहों में वर्गीकृत किया गया है, क्रेडिट लाइन-1 - ग्रामीण क्षेत्रों में 98,000 और शहरी क्षेत्रों में 1.20 लाख रुपये तक की वार्षिक पारिवारिक आय वाले व्यक्तियों के लिए उपलब्ध हैं. क्रेडिट लाइन-2 8.00 लाख रुपए लाभ रुपये तक की वार्षिक पारिवारिक आय वाले व्यक्तियों के लिए उपलब्ध हैं.
एनएमडीएफसी की सावधि ऋण योजना आर्थिक रूप से व्यवहार्य आय सृजन उद्यमों में मदद करती है. क्रेडिट लाइन -1के तहत 20लाख और क्रेडिट लाइन -2 के तहत 30 लाख रुपए कर्ज मिलता है और इसे क्रमशः 6प्रतिशत और आठ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ाया जाता है.
शिक्षा ऋण योजना आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के छात्रों को नौकरी उन्मुख ‘तकनीकी और व्यावसायिक पाठ्यक्रम’ में पांच साल से अधिक की अवधि के लिए मदद करती है. क्रेडिट लाइन -1 और क्रेडिट लाइन -2 के तहत घरेलू पाठ्यक्रमों के लिए 20 लाख और विदेश में पाठ्यक्रमों के लिए 30 लाख रुपए तक का कर्ज मिलता है. इसे लाभार्थियों के लिए क्रमशः 3प्रतिशत और 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ाया जाता है.
सूक्ष्म वित्त योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के सदस्यों को ऋण दिया जाता है, जिसमें मुख्य रूप से दूरदराज के गांवों और शहरी मलिन बस्तियों में बिखरी अल्पसंख्यक महिलाएं शामिल हैं, जो औपचारिक बैंकिंग ऋण का लाभ लेने में सक्षम नहीं हैं.
एनएमडीएफसी की विरासत योजना अल्पसंख्यक समुदायों के कारीगरों को उपकरण/मशीनरी/कच्चे माल की खरीद के लिए कार्यशील पूंजी और निश्चित पूंजी को पूरा करने में मदद करती है. क्रेडिट लाइन-1 व 2 के तहत अधिकतम रु. 10.00 लाख तक का ऋण प्राप्त किया जा सकता है. ये सभी योजनाएँ इन समूहों से संबंधित महिलाओं को और रियायतें देती हैं.
पिछले 26वर्षों में इन योजनाओं से 20,46,174 लोग लाभान्वित हुए हैं और कुल 7414.85 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद की गई है. वित्त वर्ष 2020-21और 2021-22 के दौरान, जो कोविड-19 से भी प्रभावित थे, क्रमशः 1,48,856 और 1,60,292 लोगों ने एनएमडीएफसी से सहायता प्राप्त की है. इस समूह के दौरान प्रदान की गई कुल वित्तीय सहायता 1,350 करोड़ रुपये से अधिक थी.
इन योजनाओं के लाभार्थी मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था में शामिल हो पाए हैं. साहिल खान का विशेष उल्लेख किया जाना चाहिए, जो पश्चिम बंगाल के एम्स कल्याणी में नर्सिंग अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं. उन्होंने एनएमडीएफसी से शिक्षा ऋण लेकर अपनी पढ़ाई पूरी की. दिव्यांग तलाकशुदा मां नाहिद हिना भी सहारनपुर में अपना ब्यूटी सैलून शुरू कर सकती हैं. एनएमडीएफसी के पास बताने के लिए ऐसी 20 लाख से अधिक कहानियां हैं, लेकिन हमें पूछना चाहिए कि क्या हम इस संगठन के काम के बारे में जानते हैं.