आवाज द वाॅयस / अलीगढ़
भारत के प्रतिष्ठित केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से एक, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू), एक बार फिर अपने उत्कृष्ट अनुसंधान और अकादमिक योगदान के लिए सुर्खियों में है. विश्वविद्यालय ने हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दो ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं—एक ओर कैंसर रोधी औषधि के निर्माण में नवीनता के लिए पेटेंट और दूसरी ओर सौर फोटोवोल्टिक प्रौद्योगिकी में उत्कृष्ट योगदान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान.
इन दोनों उपलब्धियों ने एएमयू को एक बार फिर साबित कर दिया है कि यह संस्थान केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि नवाचार और अनुसंधान की दृष्टि से भी देश का एक प्रमुख स्तंभ है.
कैंसर रोधी औषधि निर्माण में एएमयू की ऐतिहासिक उपलब्धि
एएमयू के रसायन विज्ञान विभाग ने हाल ही में एक ऐसी नवीन कैंसर रोधी औषधि और उसके निर्माण की प्रक्रिया के लिए पेटेंट प्राप्त किया है, जो इस बीमारी से लड़ने के लिए चिकित्सा जगत में एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है. यह उपलब्धि विश्वविद्यालय की तीन प्रमुख वैज्ञानिकों की टीम—प्रो. फारुख अर्जमंद, डॉ. जीनत अफशां, और प्रो. सरताज तबस्सुम—की मेहनत और शोध का परिणाम है.
यह औषधि न केवल किफायती और कम विषाक्त (low-toxicity) है, बल्कि इसकी प्रभावशीलता भी अत्यंत उत्साहवर्धक है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस औषधि की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पारंपरिक इलाज की तुलना में कम दुष्प्रभावों के साथ अधिक प्रभावी साबित हो सकती है. यह खोज न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर में कैंसर के खिलाफ लड़ाई में एक नई उम्मीद जगा रही है.
इस अनुसंधान की प्रमुख आविष्कारक प्रो. फारुख अर्जमंद एक प्रसिद्ध रसायन विज्ञानी हैं, जिन्होंने औषधीय रसायन और जैव-अकार्बनिक रसायन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है. उनके नाम 196 से अधिक शोध प्रकाशन दर्ज हैं, जिनके लिए उन्हें 7,000 से ज्यादा बार उद्धृत किया गया है और उनका एच-इंडेक्स 42 है—जो वैज्ञानिक समुदाय में उनकी उत्कृष्टता को दर्शाता है.
प्रो. अर्जमंद को इससे पहले CRSI कांस्य पदक, आईएससीबी महिला वैज्ञानिक पुरस्कार, और एएमयू का सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ता पुरस्कार जैसे कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं. उनकी इस उपलब्धि से न केवल एएमयू गौरवान्वित हुआ है, बल्कि भारत के वैज्ञानिक अनुसंधान की छवि भी विश्व पटल पर और मजबूत हुई है.
डॉ. जीनत अफशां और प्रो. सरताज तबस्सुम, जो इस खोज की सह-आविष्कारक हैं, समन्वय रसायन विज्ञान (Coordination Chemistry) और औषधि निर्माण के क्षेत्र में अग्रणी मानी जाती हैं. इनके तकनीकी योगदान ने औषधि की संरचना और फार्मुलेशन को वैज्ञानिक दृष्टि से और भी परिष्कृत बनाया है.
सौर ऊर्जा क्षेत्र में एएमयू के प्रो. मोहम्मद रिहान को अंतरराष्ट्रीय सम्मान
दूसरी बड़ी उपलब्धि एएमयू के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद रिहान ने हासिल की है, जिन्हें आईईईई पावर एंड एनर्जी सोसाइटी हिंगोरानी पुरस्कार 2025 के लिए चुना गया है.
यह पुरस्कार उन्हें सौर फोटोवोल्टिक प्रणालियों के विकास और अनुप्रयोग में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया जा रहा है. यह पुरस्कार विश्व स्तर पर उन वैज्ञानिकों को दिया जाता है, जिन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अद्वितीय और टिकाऊ कार्य किए हैं.
प्रो. रिहान वर्तमान में राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (NISE) के महानिदेशक के रूप में कार्यरत हैं और साथ ही भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की सौर पीवी समिति के अध्यक्ष भी हैं.
वे भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण में एक प्रमुख रणनीतिक व्यक्ति के रूप में देखे जा रहे हैं. उनका कार्य सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि नीति-निर्माण और नियामक संरचनाओं के स्तर पर भी गहरा प्रभाव छोड़ रहा है.
एएमयू परिसर में, प्रो. रिहान ने सौर ऊर्जा के बड़े पैमाने पर एकीकरण और स्थायी ऊर्जा समाधानों को लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाई है. उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय का परिसर ग्रीन एनर्जी मॉडल बनने की ओर बढ़ रहा है. उनके प्रयासों ने यह सिद्ध किया है कि शिक्षण संस्थान भी पर्यावरणीय जागरूकता और सतत विकास में नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकते हैं.
प्रोफेसर रिहान को यह पुरस्कार इस वर्ष 7 से 9 दिसंबर तक आईआईटी हैदराबाद में आयोजित होने वाले आईईईई इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन पावर सिस्टम्स (ICPS) में औपचारिक रूप से प्रदान किया जाएगा. यह न केवल उनके व्यक्तिगत योगदान का सम्मान है, बल्कि एएमयू की समग्र शोध-परंपरा की भी वैश्विक मान्यता है.
एएमयू की बढ़ती वैश्विक पहचान
एएमयू द्वारा हाल ही में हासिल की गई ये दोनों बड़ी उपलब्धियां यह सिद्ध करती हैं कि विश्वविद्यालय न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध है, बल्कि यह देश के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है.
चाहे कैंसर जैसी घातक बीमारी के खिलाफ औषधि निर्माण हो या फिर स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में तकनीकी नेतृत्व, एएमयू के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने हर मोर्चे पर उत्कृष्टता का परिचय दिया है.
इन उपलब्धियों से न केवल छात्रों को प्रेरणा मिलेगी, बल्कि यह भारत की वैश्विक विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रतिष्ठा को और सशक्त करेगी. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय आज जिस ऊंचाई पर खड़ा है, वह केवल उसकी अकादमिक विरासत का नहीं, बल्कि निरंतर नवाचार और समर्पित शोध का परिणाम है—जो आने वाले समय में और अधिक ऊंचाइयों को छूने का वादा करता है.