प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मऊ जिले में 2010 में हुई हत्या के एक मामले में मुख्तार अंसारी गिरोह के एक सदस्य को जमानत देने से इंकार कर दिया है, जिसमें जेल में बंद गैंगस्टर से राजनेता भी आरोपी है. अदालत ने कहा कि अंसारी का गिरोह ‘भारत का सबसे खूंखार अपराधी गिरोह’ है और यह संभव है कि आरोपी रामू मल्लाह जेल से बाहर आने की अनुमति देने पर मामले में गवाहों और उनके बयान को प्रभावित कर सकता है.
कई अन्य मामलों में चल रहे मल्लाह ने सीआरपीसी की धारा 439 के तहत जमानत याचिका दायर की थी, जो अदालत को जमानत देने का अधिकार देती है और यदि आवश्यक हो, तो आरोपी पर शर्तें भी लगाती है. जमानत अर्जी का विरोध करते हुए, सरकारी वकील रत्नेंदु कुमार सिंह ने कहा कि आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और मौजूदा मामले में बरी हो सकते हैं. इस पर कोर्ट ने हामी भर दी.
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने 1 मार्च को अपने आदेश में कहा, ‘‘चूंकि अभियुक्त को बरी कर दिया गया है, क्योंकि कुछ (अन्य) मामलों में गवाह मुकर गए हैं, उसका आपराधिक इतिहास समाप्त नहीं हो जाता है.’’ ‘‘आरोपी आवेदक एक खूंखार अपराधी है और भारत के सबसे खूंखार आपराधिक गिरोह यानी मुख्तार अंसारी के गिरोह का सदस्य है. आरोपी आवेदक जघन्य अपराधों के कई आपराधिक मामलों का सामना कर रहा है.’’
अदालत ने कहा कि अगर ऐसे अपराधी को जेल से बाहर आने दिया जाता है, तो वह निश्चित रूप से गवाहों को प्रभावित करने की स्थिति में होगा और गवाहों का स्वतंत्र और सच्चा बयान असंभव होगा. न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, ‘‘इसलिए, मुझे आरोपी आवेदक के लिए विद्वान वकील के प्रस्तुत करने में कोई सार नहीं मिलता है कि चूंकि आरोपी आवेदक ने बरी होने (कुछ अन्य मामलों में) को सुरक्षित कर लिया है, उसे जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए. इस प्रकार, वर्तमान आवेदन को खारिज कर दिया गया है.’’
अदालत ने राज्य से स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई के लिए गवाहों को सुरक्षा और सहायता प्रदान करने का भी आग्रह किया. अदालत ने कहा, ‘‘स्वतंत्र और निष्पक्ष परीक्षण और कानून के शासन का संरक्षण संभव नहीं होगा, यदि राज्य गवाहों को उनके स्वतंत्र, स्पष्ट और निडर बयान के लिए सुरक्षा और समर्थन नहीं देता है.’’
कोर्ट को यह अजीब लगा कि हाईकोर्ट की एक को-ऑर्डिनेट बेंच ने इस मामले में 2013 में मल्लाह को जमानत दे दी थी. मऊ से विधायक रह चुका गैंगस्टर मुख्तार अंसारी फिलहाल बांदा जेल में बंद है. उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अप्रैल 2021 में पंजाब की एक जेल से बांदा जेल लाया गया था. उनके बेटे अब्बास अंसारी अब यूपी विधानसभा में निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.
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