वक़्फ़ संशोधन विधेयक-2024’ मुस्लिम समुदाय के लिए सकारात्मक पहल क्यों !

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 10-08-2024
Why is ‘Waqf Amendment Bill-2024’ a positive initiative for the Muslim community? pic social media
Why is ‘Waqf Amendment Bill-2024’ a positive initiative for the Muslim community? pic social media

 

jasim-प्रो. जसीम मोहम्मद 

भारत सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत किया गया ‘वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक-2024’ मौजूदा ‘वक़्फ़ अधिनियम-1995’ में व्यापक एवं आवश्यक बदलाव का प्रस्ताव करता है. इसका मुख्य उद्देश्य वक़्फ़ बोर्डों की देखरेख करनेवाले नियमों को अद्यतन करते हुए उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाना है. विधेयक में वक़्फ़ बोर्डों के प्रबंधन को बेहतर और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से कई संशोधन पेश किए गए हैं.

इसका लक्ष्य वक़्फ़ संपत्तियों के दुरुपयोग से संबंधित चिंताओं को दूर करना और इस दिशा में प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित करना है.कुछ लोग वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक-2024 के विषय में मुस्लिम समुदाय को, यह सुझाव देते हुए कि संशोधन हानिकारक हो सकते हैं.

अनावश्यक रूप से गुमराह करने का प्रयास कर सकते हैं. हालाँकि, यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि ये सुधार मूल रूप से वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हैं. देखा जाए, तो वक़्फ़ संपत्तियों को ऐतिहासिक रूप से प्राय: कुप्रबंधन और अतिक्रमण से संबंधित चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.

पंजीकरण, वित्तीय रिपोर्टिंग और प्रशासन-प्रबंधन के लिए नए नियमों को लागू कर, विधेयक का उद्देश्य इन मुद्दों से सीधे निपटना है. इस दृष्टि से संपत्ति पंजीकरण और विस्तृत वित्तीय प्रकटीकरण के लिए एक केंद्रीय पोर्टल के माध्यम से इन संपत्तियों को अनधिकृत उपयोग से बचाने में सहायता मिलेगी और यह सुनिश्चित होगा कि उनका प्रबंधन उनके इच्छित उद्देश्यों के अनुरूप किया जाए.

ये परिवर्तन वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग और कुप्रबंधन को रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जो कई वर्षों से चिंता का विषय रहे हैं. विधेयक में पेश किए गए सुधार उन समस्याओं के लिए एक आवश्यक प्रतिक्रिया हैं, जिन्होंने अतीत में वक़्फ़ प्रबंधन को परेशान किया है.

बढ़ी हुई पारदर्शिता और जवाबदेही के कारण वक़्फ़ संपत्तियों को अतिक्रमण और दुरुपयोग से बचाने में नि:संदेह सहायता मिलेगी. ये संशोधन वक़्फ़ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और सुरक्षा के लिए एक प्रतिबद्धता है. इस क्रम में समुदाय के दीर्घकालिक लाभ के लिए इन परिवर्तनों का समर्थन करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है.

वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक-2024 को लेकर अनेक चिंताएँ और भ्रामक सूचनाएँ प्रसारित होती रही हैं. विशेषकर उन लोगों की ओर से, जिनके पास यथास्थिति बनाए रखने में निहित स्वार्थ हो सकते हैं.

कुछ लोग तर्क दे सकते हैं कि विधेयक हानिकारक है, लेकिन इन संशोधनों को पारदर्शिता और जवाबदेही के चश्मे से देखना आवश्यक है. प्रस्तावित परिवर्तन मूल रूप से वक़्फ़ प्रणाली में सुधार के बारे में हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संपत्तियों का प्रबंधन अधिक प्रभावी और नैतिक रूप से किया जाए.

विधेयक में संशोधनों में वक़्फ़ संपत्तियों के लिए एक केंद्रीय डेटाबेस और पोर्टल की स्थापना सम्मिलित है, जो सभी संपत्तियों का एक व्यापक रिकॉर्ड सुरक्षित एवं संरक्षित करेगा. यह विधेयक वक़्फ़ भूमि के कुप्रबंधन और अनधिकृत उपयोग की संभावनाओं को कम करने की दिशा में एक विकासात्मक पहल है.

अतीत में, ऐसे कई उदाहरण हैं, जहाँ एकीकृत और पारदर्शी प्रणाली की कमी के कारण वक़्फ़ संपत्तियों पर अतिक्रमण किए गए या उनका दुरुपयोग किया गया. नए नियम यह सुनिश्चित करके इस तरह के दुरुपयोग को रोकने का प्रयास करते हैं कि सभी संपत्तियों का उचित रूप से दस्तावेजीकरण और उनकी निगरानी की जाए.

इसके अतिरिक्त, विधेयक वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में विभिन्न हितधारकों की भूमिका को बढ़ाता है, जिसमें केंद्रीय वक़्फ़ परिषद् में गैर-मुस्लिम सदस्यों को सम्मिलित करना भी  है. यह समावेशी दृष्टिकोण इस दिशा में निर्णय लेने की प्रक्रिया में विविधता और विशेषज्ञता लाने के लिए बनाया गया है.

इस क्रम में बढ़ा हुआ प्रतिनिधित्व और जवाबदेही तंत्र हितों के टकराव को रोकने में सहायता करेगा. यह सुनिश्चित करेगा कि वक़्फ़ संपत्तियों का उपयोग उनके इच्छित उद्देश्यों के लिए किया जाए, जिससे पूरे समुदाय को लाभ हो. विधेयक में यह स्पष्ट किया गया है कि सरकारी संपत्तियों को वक़्फ़ संपत्ति नहीं माना जाएगा. यह एक तर्कसंगत और आवश्यक समायोजन है. 

यदि वक़्फ़ संपत्तियों ने सरकारी भूमि पर क़ब्ज़ा कर रखा है, तो इस स्थिति को पारदर्शी और व्यवस्थित तरीक़े से संबोधित करना महत्त्वपूर्ण है. भूमि के उचित प्रबंधन और सही उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए ऐसे मामलों की समीक्षा करने में स्वाभाविक रूप से कुछ भी गलत नहीं है.

इस समीक्षा का प्राथमिक लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी संपत्तियों, चाहे वह वक़्फ़ रूप में या सरकारी रूप में वर्गीकृत हों, का उपयोग कानूनी और नैतिक मानकों के अनुरूप किया जाए. सत्यापन की यह प्रक्रिया वक़्फ़ संपत्तियों और सरकारी भूमि दोनों की अखंडता को बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण है.

ऐसे मामलों की समीक्षा करना, जहाँ वक़्फ़ संपत्तियों ने सरकारी भूमि पर क़ब्ज़ा किया है, स्वामित्व और उपयोग के अधिकारों को स्पष्ट करने में मददगार है. यह किसी भी अनुचित कार्य का सुझाव नहीं देता है, बल्कि यह सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखता है कि सभी संपत्तियों का प्रबंधन सही और कानूनी तरीक़े से किया जाए.

इसके अलावा, यह समीक्षा प्रक्रिया किसी भी विसंगति को ठीक करने और वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन को मजबूत करने का अवसर प्रदान करती है. यह सुनिश्चित करके कि सभी संपत्तियों का सही तरीके से दस्तावेजीकरण और उपयोग किया गया है,

यह प्रणाली बेहतर निगरानी को बढ़ावा देती है और विवादों के जोखिम को कम करती है. अधिनियम में एक महत्त्वपूर्ण संशोधन वक़्फ़ बोर्डों में मुस्लिम महिलाओं और ग़ैर-मुस्लिमों का बढ़ा हुआ प्रतिनिधित्व है.

वक़्फ़ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम सदस्यों को सम्मिलित करना पारदर्शिता की दिशा में एक समावेशी और प्रगतिशील पहल है. यह समावेशी प्रतिनिधित्व बोर्ड को संभवतः अधिक संतुलित और न्यायसंगत प्रबंधन की ओर ले जाएगा और सभी हितधारकों की ज़रूरतों को पूरा करेगा, जिससे विभिन्न समूहों के बीच एकता और समझ की भावना विकसित करने में सहायता मिलेगी. 

वक़्फ़ संपत्तियों का इतिहास भ्रष्टाचार और शोषण के उदाहरणों से भरा पड़ा है, जहाँ उनके प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालनेवालों ने कई बार निजी लाभ के लिए अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है.

परिणामस्वरूप मुस्लिम समुदाय के भीतर शैक्षिक, सामाजिक और धार्मिक कारणों का समर्थन करने के लिए बनाई गई मूल्यवान संपत्तियों का नुकसान हुआ है. नए नियम और निगरानी तंत्र आरंभ करने से वक़्फ़ संपत्तियों को न केवल शोषण से बचाया जा सकेगा, बल्कि यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि उनका उपयोग व्यापक समुदाय के लाभ के लिए किया जाए.

“आगाख़ानी वक़्फ़” और “बोहरा वक़्फ़” जैसे शब्दों के लिए नई परिभाषाएँ और स्पष्टीकरण प्रस्तुत करना वक़्फ़ प्रबंधन में अधिक स्पष्टता और सटीकता की दिशा में एक सकारात्मक कदम है. विभिन्न प्रकार की वक़्फ़ संपत्तियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने का यह प्रयास ग़लतफ़हमी और विवादों से बचने में सहायता करेगा.

इससे विभिन्न प्रकार की वक़्फ़ संपत्तियों को बेहतर ढंग से समझने और उनका प्रबंधन करने में सहायता मिलेगी. अगाखानी और बोहरा के लिए अलग-अलग औक़ाफ़ बोर्ड स्थापित करना एक सराहनीय निर्णय है, जो इन समुदायों की अनूठी ज़रूरतों और चिंताओं को पहचानता है.

केंद्रीय वक़्फ़ परिषद् का विस्तार करके ग़ैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना एक दूरदर्शी कदम है, जो समावेशिता और संतुलित शासन को बढ़ावा देता है. यह परिवर्तन निर्णय लेने की प्रक्रिया में अधिक विविध दृष्टिकोणों की अनुमति देता है, जिससे वक़्फ़ संपत्तियों का अधिक न्यायसंगत और सुव्यवस्थित प्रबंधन हो सकता है.

केंद्र सरकार को विस्तृत वित्तीय रिपोर्ट प्रस्तुत करने की आवश्यकता, उचित निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा क़दम है. नियमित और विस्तृत वित्तीय रिपोर्ट वक़्फ़ फंड के उपयोग की निगरानी और किसी भी अनियमितता की पहचान करने में मदद करेगी. यह एक सकारात्मक विकास है, जो वक़्फ़ संसाधनों के अधिक प्रभावी और जिम्मेदार प्रबंधन में योगदान देगा.

मुतवल्लियों (वक़्फ़ संपत्तियों के संरक्षक या प्रबंधक) के लिए योग्यता और अयोग्यता के मानदंड निर्दिष्ट करना इन संपत्तियों के प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए एक तर्कसंगत और आवश्यक उपाय है.

वक़्फ़ संपत्तियों के रखरखाव और उचित उपयोग की देखरेख में मुतवल्ली की भूमिका महत्त्वपूर्ण है, जो मुस्लिम समुदाय की धार्मिक, शैक्षिक और सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हैं.

हालाँकि, अतीत में ऐसे उदाहरण रहे हैं, जहाँ अपर्याप्त योग्यता या यहाँ तक कि संदिग्ध इरादोंवाले व्यक्तियों को इस भूमिका के लिए नियुक्त किया गया है, जिससे इन मूल्यवान संसाधनों का कुप्रबंधन और दुरुपयोग हुआ है.

वक़्फ़ बोर्ड, जो वक़्फ़ संपत्तियों की देखरेख के लिए जिम्मेदार हैं, अक्सर मुतवल्लियों की नियुक्ति से संबंधित मुद्दों पर पूर्वाग्रहों से ग्रस्त रहा है. इस पद के लिए आवश्यक योग्यताओं पर स्पष्ट दिशा-निर्देशों के बिना, कभी-कभी योग्यता के बजाय व्यक्तिगत संबंधों या राजनीतिक विचारों के आधार पर नियुक्तियाँ की जाती रही हैं.

इसके परिणामस्वरूप वक़्फ़ प्रणाली में विश्वास का क्षरण हुआ है, क्योंकि सार्वजनिक भलाई के लिए बनाई गई संपत्तियों का प्रबंधन हमेशा समुदाय के सर्वोत्तम हितों में नहीं किया जाता है. इसके अलावा, अयोग्यता मानदंड की शुरूआत भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि जो लोग भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन या अन्य प्रकार के कदाचार के दोषी पाए गए हैं,

उन्हें ऐसी भूमिकाओं में बने रहने की अनुमति नहीं है, जहाँ वे और अधिक नुकसान पहुँचा सकते हैं. वक़्फ़ अधिनियम में ये संशोधन एक महत्त्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है। सरकार को ऐसे उपाय करने के लिए सराहना की जानी चाहिए, जो पारदर्शिता, जवाबदेही और वक़्फ़ संपत्तियों के उचित प्रबंधन को बढ़ाएँगे.

बहुत लंबे समय से, वक़्फ़ संपत्तियों का प्रशासन भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और दुरुपयोग के मुद्दों से ग्रस्त रहा है, जिसने मुस्लिम समुदाय को उन सभी लाभों से वंचित कर दिया है, जो इन संपत्तियों द्वारा उनके लिए लाभप्रद बनाने का इरादा और उद्देश्य है.

स्पष्ट विनियमन, सख़्त लेखा परीक्षा प्रक्रियाएँ और वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन के प्रभारी लोगों के लिए योग्यताएँ प्रस्तुत करके, सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि इन संपत्तियों की सुरक्षा की जाए, जिससे उनका उपयोग उनके सही उद्देश्यों के लिए किया जा सके. 

वक़्फ़ अधिनियम के बहाने ये संशोधन अतीत में हुए शोषण और कुप्रबंधन पर अंकुश लगाएँगे और वक़्फ़ प्रणाली की अखंडता को बहाल करेंगे. इस क्रम में मुसलमानों को सतर्क और जागरूक रहना चाहिए, क्योंकि कुछ राजनेता, जिनके पास इन सुधारों के ख़िलाफ़ मजबूत या वैध तर्क नहीं हो सकते हैं, वे ग़लत सूचना फैलाकर,

लोगों को भ्रमित कर या भावनाओं से खेलकर समुदाय को प्रभावित करने की कोशिश कर सकते हैं. ऐसे बहकावे या भ्रमित करनेवाले कारकों से प्रभावित होने के बजाय, समुदाय के लिए इन संशोधनों के दीर्घकालिक लाभों और प्रभावों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उन्हें उनके लिए उन उपायों का समर्थन करना महत्त्वपूर्ण है,  जो वक़्फ़ संपत्तियों को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह प्रबंधन की ओर ले जाएँगे.

(लेखक तुलनात्मक अध्ययन के प्रोफ़ेसर हैं एवं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के दानदाता सदस्य हैं. यह लेखक के अपने विचार हैं.)