अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस: अवसर, चुनौतियां और सही दिशा की तलाश

Story by  अर्सला खान | Published by  [email protected] | Date 12-08-2025
International Youth Day: Big changes in youth with changing times
International Youth Day: Big changes in youth with changing times

 

अर्सला खान/नई दिल्ली

हर साल 12 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है. यह दिन युवाओं की ऊर्जा, क्षमता और योगदान को सम्मान देने के साथ-साथ उनके सामने आने वाली नई चुनौतियों और अवसरों पर विचार करने का अवसर देता है. अगर हम पिछले 30–40 वर्षों में युवाओं के जीवन, सोच और व्यवहार को देखें, तो स्पष्ट होता है कि समय के साथ बहुत कुछ बदला है. 
 
कुछ बदलाव बेहद सकारात्मक हैं, तो कुछ चिंताजनक भी. मोबाइल फोन के आगमन ने इस बदलाव को और तेज़ कर दिया है, जिससे एक पूरी नई पीढ़ी का जीवन और दृष्टिकोण आकार ले रहा है.
 
पहले के युवा और आज के युवा – एक तुलना

सीखने का तरीका

पहले ज्ञान का मुख्य स्रोत किताबें, शिक्षक और व्यक्तिगत अनुभव हुआ करते थे. युवाओं को जानकारी जुटाने के लिए लाइब्रेरी जाना पड़ता था, अखबार पढ़ना पड़ता था या बड़े-बुजुर्गों से सीखना पड़ता था. आज के युवाओं के पास मोबाइल और इंटरनेट हैं, जहां सेकंडों में दुनिया भर की जानकारी उपलब्ध है. इससे उनकी पहुंच बढ़ी है, लेकिन गहराई से सोचने और धैर्य रखने की आदत कुछ हद तक कम हुई है.
 
समाज और रिश्ते

पहले युवाओं की सामाजिक जिंदगी का केंद्र परिवार, मोहल्ला और स्थानीय दोस्त हुआ करते थे. त्योहार, मेल-जोल और बातचीत आमने-सामने होती थी, जिससे रिश्तों में गहराई और अपनापन होता था. आज सोशल मीडिया ने दोस्तों की संख्या तो बढ़ा दी है, लेकिन कई रिश्ते सतही हो गए हैं. वर्चुअल कनेक्शन वास्तविक मुलाकात की गर्माहट को पूरी तरह नहीं दे पाते.
 
जीवनशैली और सोच

पहले के युवाओं की जीवनशैली सादगीपूर्ण थी, और जरूरतें सीमित थीं। आज के युवा ग्लोबल ट्रेंड्स और फैशन से प्रभावित हैं, महत्वाकांक्षाएं बड़ी हैं, और अवसर भी पहले से अधिक हैं. जहां यह बदलाव उन्हें आत्मनिर्भर और महत्वाकांक्षी बना रहा है, वहीं यह कभी-कभी अत्यधिक प्रतिस्पर्धा और तनाव का कारण भी बन जाता है.
 
मोबाइल फोन का असर – कितना सही, कितना गलत

सकारात्मक पहलू

मोबाइल ने युवाओं को असाधारण ताकत दी है. शिक्षा, करियर, व्यवसाय, कला—हर क्षेत्र में इसका प्रभाव दिखता है. अब कोई भी युवा ऑनलाइन कोर्स करके नई स्किल सीख सकता है, सोशल मीडिया के जरिए अपने टैलेंट को लाखों लोगों तक पहुंचा सकता है, और देश-विदेश में लोगों से जुड़कर नए अवसर पा सकता है. मोबाइल ने उन्हें अपनी आवाज़ बुलंद करने, सामाजिक मुद्दों पर बोलने और बदलाव लाने का मंच दिया है.
 
 
नकारात्मक पहलू

लेकिन मोबाइल का अति-प्रयोग युवाओं के लिए नई समस्याएं भी ला रहा है. घंटों स्क्रीन पर रहने से शारीरिक गतिविधि कम हो गई है, जिससे मोटापा, आंखों की परेशानी और नींद से जुड़ी दिक्कतें बढ़ रही हैं. सोशल मीडिया की तुलना की संस्कृति ने आत्मविश्वास को कमजोर किया है. लाइक्स, फॉलोअर्स और ऑनलाइन इमेज बनाए रखने का दबाव मानसिक तनाव को जन्म देता है. पहले जहां युवा बाहर खेलों, दोस्तों और प्रकृति से जुड़ते थे, आज उनका बड़ा हिस्सा डिजिटल दुनिया में कैद है.
 
 
बदलाव का संतुलन और आगे का रास्ता

समय और तकनीक को पीछे मोड़ना संभव नहीं है. बदलाव को पूरी तरह रोकना भी व्यावहारिक नहीं है। जरूरी यह है कि युवा इस बदलाव को अपने हित में कैसे इस्तेमाल करें. मोबाइल और इंटरनेट का सही उपयोग उन्हें ज्ञान, अवसर और रचनात्मकता की ऊंचाइयों तक ले जा सकता है, लेकिन इसके लिए अनुशासन जरूरी है.
 
 
अगर हम पहले के युवाओं की धैर्य, सादगी और गहरे मानवीय रिश्तों वाली सोच को आज की तकनीकी समझ और वैश्विक दृष्टिकोण के साथ मिला दें, तो एक आदर्श संतुलन बन सकता है.
 
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस हमें यह सोचने का मौका देता है कि आने वाली पीढ़ियों के लिए किस तरह का माहौल बनाया जाए. युवा देश का भविष्य हैं, और उनकी दिशा ही राष्ट्र की दिशा तय करती है. मोबाइल युग ने उन्हें गति दी है, लेकिन यह गति सही दिशा में हो, इसके लिए आत्म-अनुशासन, मूल्यों और मानसिक संतुलन का साथ जरूरी है.
 
 
आज के युवाओं के पास अवसर भी अनगिनत हैं और चुनौतियां भी. फर्क सिर्फ इतना है कि वे किसे अपनाते हैं और किससे बचते हैं.  अगर वे सही चुनाव कर लें, तो न केवल वे खुद सफल होंगे, बल्कि समाज और देश को भी एक नई ऊंचाई पर ले जाएंगे.