आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली/ अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) और नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) में स्वतंत्रता दिवस 2025 का जश्न इस बार कुछ अलग ही रंग में नजर आया. दोनों विश्वविद्यालयों के कैंपस देशभक्ति के रंग में सराबोर हो उठे, और स्वतंत्रता दिवस से कई दिन पहले ही कार्यक्रमों की रौनक ने माहौल को जीवंत कर दिया.
कैंपस की गलियों में लहराते तिरंगे, गूंजते "जय हिंद" के नारे और उमंग से भरे छात्र-शिक्षक इस बात का सबूत थे कि आज़ादी का जश्न सिर्फ एक दिन का नहीं, बल्कि एक भावना है जो हर दिल में धड़कती है.
जामिया मिल्लिया इस्लामिया में तो उत्सव की शुरुआत एक भव्य तिरंगा यात्रा से हुई, जिसने हजारों छात्रों, कर्मचारियों और अध्यापकों को एक मंच पर ला खड़ा किया. यह यात्रा "हर घर तिरंगा" (एचजीटी) अभियान के तहत आयोजित की गई थी, जो 2 से 15 अगस्त तक मनाए जा रहे आज़ादी का अमृत महोत्सव का हिस्सा थी.
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मज़हर आसिफ और रजिस्ट्रार प्रोफेसर मोहम्मद महताब आलम रिज़वी ने तिरंगे को हरी झंडी दिखाकर इस यात्रा का शुभारंभ किया. गेट नंबर 15 से शुरू होकर मुख्य मार्ग पर घूमते हुए यह यात्रा अंसारी ऑडिटोरियम लॉन में जाकर समाप्त हुई, जहां राष्ट्रगान और देशभक्ति के नारों ने पूरे वातावरण को गरिमा और जोश से भर दिया.
रैली में शामिल प्रतिभागी तिरंगे के स्कार्फ, दुपट्टे और प्रतीकों से सजे हुए थे, मानो पूरा विश्वविद्यालय तिरंगे के रंग में रंग गया हो. प्रोफेसर आसिफ ने 'सारे जहाँ से अच्छा' पंक्ति के साथ अपने संबोधन की शुरुआत की और कहा, “तिरंगा यात्रा केवल देशभक्ति का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह हमें एक सूत्र में पिरोने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है.”
उन्होंने इस यात्रा को युवाओं के लिए देश के प्रति अपने कर्तव्य को याद करने और अपने पूर्वजों के बलिदान को सम्मान देने का एक अवसर बताया.रजिस्ट्रार प्रोफ़ेसर रिज़वी ने इस अवसर को “देशभक्ति और प्रेम का अभूतपूर्व प्रदर्शन” बताया.
उन्होंने कहा कि 79 वर्षों के बाद भी यह उत्सव हमें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद दिलाता है। उन्होंने एनसीसी कैडेट्स, एनएसएस स्वयंसेवकों और आयोजन टीम के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने इस मार्च को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई.
वहीं, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में स्वतंत्रता दिवस समारोह को “विकसित भारत युवा कनेक्ट” और “हर घर तिरंगा” थीम के तहत मनाया गया. यह सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण, पर्यावरणीय स्थिरता, मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता और युवा सशक्तिकरण का संदेश देने वाला अवसर था.
एएमयू के सांस्कृतिक शिक्षा केंद्र (सीईसी) ने "विकसित भारत 2047 में युवाओं की भूमिका" विषय पर समूह चर्चा आयोजित की, जिसमें प्रतिभागियों ने अक्षय ऊर्जा, वनरोपण, ग्रामीण विकास, महिला सशक्तिकरण और समावेशी शिक्षा जैसे मुद्दों पर विचार साझा किए.
छात्रों ने न सिर्फ सरकार की योजनाओं जैसे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और ग्रामीण आवास योजनाओं पर चर्चा की, बल्कि शिक्षा में एआई, फिनटेक और अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला. अंत में सभी ने 2047 तक एक विकसित भारत के लिए नवाचार और नागरिक भागीदारी को बढ़ाने की प्रतिज्ञा ली.
मानसिक स्वास्थ्य को लेकर भी विश्वविद्यालय गंभीर दिखा. छात्र परामर्श केंद्र ने “व्यक्तिगत जीवन में परामर्श की भूमिका: कल्याण का मार्ग” विषय पर एक व्याख्यान आयोजित किया, जिसमें परामर्श के महत्व और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने पर जोर दिया गया.
कार्यक्रम के अंत में नारा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया गया.समाजशास्त्र विभाग ने वृक्षारोपण अभियान चलाया और "2047 के विकसित भारत का मेरा दृष्टिकोण" विषय पर भाषण प्रतियोगिता आयोजित की. छात्रों ने आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय, सांस्कृतिक बहुलवाद और स्थिरता पर अपने विचार प्रस्तुत किए.
कृषि विज्ञान संकाय ने भी पीछे नहीं रहते हुए एचजीटी 2025 के तहत एक तिरंगा रैली निकाली, जबकि जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के फिजियोलॉजी विभाग ने वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया. प्रो. गुल आर नवी खान ने युवाओं को अपने आस-पास हरियाली फैलाने की प्रेरणा दी.
स्कूल स्तर पर भी उत्सव की लहर दिखाई दी. एबीके हाई स्कूल (गर्ल्स) में पोस्टर, निबंध प्रतियोगिताएं और एकता गतिविधियों का आयोजन हुआ, जबकि अब्दुल्ला स्कूल ने हर घर तिरंगा अभियान को बढ़ावा देने के लिए प्रतियोगिताओं और ध्वज फहराने की पहल की.
एएमयू सिटी गर्ल्स हाई स्कूल में "यूएन@80 और भारत का नेतृत्व" विषय पर स्टाम्प डिज़ाइन प्रतियोगिता हुई, जिसमें छात्राओं ने भारत की वैश्विक भूमिका पर अपने दृष्टिकोण को रचनात्मक तरीके से प्रस्तुत किया.
अहमदी स्कूल फॉर द विजुअली चैलेंज्ड ने क्विज़, हुला हूप रेस और टीम गेम्स का आयोजन कर समावेशी भागीदारी का उदाहरण पेश किया. एबीके हाई स्कूल (लड़कों) में विशेष सभा, देशभक्ति गीत और एकता पर भाषणों ने छात्रों में राष्ट्रप्रेम की भावना को और प्रबल किया.
इस तरह, एएमयू और जामिया दोनों ही विश्वविद्यालयों ने स्वतंत्रता दिवस को एक अवसर से अधिक, एक जिम्मेदारी की तरह मनाया,जहां तिरंगे की लहर के साथ देशभक्ति, एकता, पर्यावरण संरक्षण और युवा सशक्तिकरण का संदेश भी गूंजता रहा. यहां सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि देश के भविष्य की एक झलक दिखाई दी—एक ऐसा भारत जो अपनी जड़ों से जुड़ा है और 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है.