संगीत, चित्र और शब्दों के उस्ताद: आज़ाद भारत की 10 शख़्सियतें

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 11-08-2025
Masters of music, pictures and words: Ten personalities of independent India
Masters of music, pictures and words: Ten personalities of independent India

 

ग़ौस सिवानी/ नई दिल्ली

आज़ाद भारत में साहित्य और कला के क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय ने भी उल्लेखनीय योगदान दिया है. इनमें से कुछ हस्तियों ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की, तो कुछ ने अपने हुनर से वैश्विक पहचान बनाई. जहाँ विभिन्न भाषाओं के साहित्य में उनकी सेवाएँ स्वर्णाक्षरों में लिखी जाने योग्य हैं, वहीं संगीत, चित्रकला और ललित कलाओं की अन्य विधाओं में भी इन कलाकारों ने भारत का नाम रोशन किया.

यहाँ हम ऐसी ही 10 प्रमुख साहित्यकारों और कलाकारों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं, जिन्होंने अपने क्षेत्र में बेजोड़ पहचान बनाई.

dउस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ

शहनाई के बादशाह कहे जाने वाले उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ ने इस वाद्य को विश्व मंच पर प्रतिष्ठा दिलाई. संगीत, आध्यात्मिकता और संस्कृति का अद्भुत संगम उनकी शख़्सियत में झलकता था.

बिहार में जन्मे, पर जीवन का अधिकांश समय वाराणसी में बिताया. उन्होंने शहनाई को लोक वाद्य से आगे बढ़ाकर एक शास्त्रीय वाद्य के रूप में स्थापित किया. 15 अगस्त 1947 को लाल क़िले पर स्वतंत्र भारत का स्वागत उनकी शहनाई की मधुर धुन से हुआ. उन्हें पद्मश्री (1961), पद्मभूषण (1968), पद्मविभूषण (1980) और भारत रत्न (2001) से सम्मानित किया गया.

dक़ुर्रतुलऐन हैदर

उर्दू कथा-साहित्य की क्रांतिकारी लेखिका क़ुर्रतुलऐन हैदर अपने कालजयी उपन्यास आग का दरिया (1959) के लिए प्रसिद्ध हैं, जिसे उर्दू साहित्य में मील का पत्थर माना जाता है. उनकी अन्य रचनाओं में सफ़ीना-ए-ग़म-ए-दिल, आख़िर-ए-शब के हमसफ़र, चाँदनी बेग़म और कार-ए-जहाँ दराज़ है शामिल हैं. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ, पद्मश्री (1984) और मरणोपरांत पद्मभूषण (2005) से सम्मानित किया गया.

dमौलाना अबुल कलाम आज़ाद

स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना आज़ाद उच्चकोटि के निबंधकार और पत्रकार थे. उनकी लेखनी में विद्वत्ता, प्रभावशीलता और साहित्यिक सौंदर्य का अद्वितीय समन्वय मिलता है. अल-हिलाल, अल-बलाग़ जैसे पत्रों के संपादकीय, तज़किरा और ग़ुबार-ए-ख़ातिर उनकी प्रतिनिधि कृतियाँ हैं. उनकी बहुमूल्य सेवाओं के लिए उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

sअली सरदार जाफ़री

प्रगतिशील आंदोलन के सशक्त स्वर अली सरदार जाफ़री की कविताओं में क्रांति, शांति, भाईचारे और सामाजिक न्याय की पुकार सुनाई देती है. उनकी प्रमुख कृतियों में नई दुनिया को सलाम, प्रजा का गीत, मेरे ख़्वाब मेरी ताबीर और अमन का सितारा शामिल हैं. वे पटकथा और संवाद लेखन में भी निपुण थे। उन्हें पद्मश्री (1967) और ज्ञानपीठ (1997) से सम्मानित किया गया.

fरहमान राही

कश्मीरी भाषा के आधुनिक कविता आंदोलन के अग्रदूत रहमान राही ने अपनी रचनाओं में सूफ़ी भाव, सांस्कृतिक चेतना और समसामयिक सरोकारों का सुंदर समावेश कि. उनकी प्रसिद्ध कृतियों में नौरोज़ सहराए, स्याह रूड झारन मंज़ और कस ओ नाख़ प्रमुख हैं. वे कश्मीरी भाषा के पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार (2007) से सम्मानित कवि थे, साथ ही साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्मश्री के भी प्राप्तकर्ता.

dएम.एफ. हुसैन

मक़बूल फ़िदा हुसैन को आधुनिक भारतीय चित्रकला का जनक माना जाता है. उनके चित्रों में भारतीय परंपरा और आधुनिक शैली का अनोखा संगम मिलता है. मदर इंडिया, थ्रू द आई ऑफ़ अ हॉर्स, माँ सीरीज़ जैसी कृतियाँ आज भी कला-प्रेमियों को मोहित करती हैं. उन्हें पद्मश्री (1966), पद्मभूषण (1973) और पद्मविभूषण (1991) से सम्मानित किया गया.

sउस्ताद ज़ाकिर हुसैन

तबला वादन के अद्वितीय उस्ताद ज़ाकिर हुसैन ने अपनी गति, संतुलन और नज़ाकत से भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर पहुँचाया. उन्होंने जाज़, सूफ़ी और पश्चिमी संगीत के कलाकारों के साथ भी काम किया. उन्हें पद्मश्री (1988), पद्मभूषण (2002), अनेक ग्रैमी पुरस्कार और 2023 में साहित्य अकादमी फ़ेलोशिप प्राप्त हुई.

sतैयब मेहता

भारतीय आधुनिक कला के अंतरराष्ट्रीय हस्ताक्षर तैयब मेहता ने अपने चित्रों में मानव पीड़ा, द्वंद्व और संघर्ष को अनूठे अंदाज़ में प्रस्तुत किया. उनके कार्यों में महाभारत के पात्र, देवी-देवता और टूटी-फूटी आकृतियाँ विशेष रूप से चर्चित रहीं. उन्हें पद्मभूषण और कालिदास सम्मान से नवाज़ा गया.

dउस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ

पटियाला घराने के उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ाँ को ख़याल, ठुमरी और दादरा गायकी में अप्रतिम महारत हासिल थी. उनकी गायकी में मधुरता, गहराई और भावपूर्णता का अद्वितीय मिश्रण था। उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया.

wबेग़म अख़्तर

"मलिका-ए-ग़ज़ल" के नाम से मशहूर बेग़म अख़्तर ने ग़ज़ल, ठुमरी और दादरा को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई. उनकी आवाज़ की सादगी और गहन भावुकता श्रोताओं के हृदय को स्पर्श करती थी. उन्हें पद्मश्री, पद्मभूषण और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.