मुंबई के समुद्र तट की सफाई और पर्यावरण के लिए जुटे अफरोज शाह

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 15-09-2022
सफाई और स्वच्छता की दिशा में अफरोज मिसाल हैं
सफाई और स्वच्छता की दिशा में अफरोज मिसाल हैं

 

मंसूरुद्दीन फरीदी / मुंबई

“एक मदरसा टीचर हाई कोर्ट में अपना केस लेकर आए, मैंने उससे कहा कि अगर आप मदरसे के बच्चों को मेरे सफाई अभियान का हिस्सा बना देंगे तो मैं केस फीस नहीं लूंगा. उन्होंने मुझे बड़े आश्चर्य से देखा, लेकिन फिर मान गए. इस तरह वर्सोवा समुद्र तट पर पहली बार मदरसे के बच्चों ने सफाई अभियान में हिस्सा लिया और यह सिलसिला अब तक जारी है.”

ये हैं अफरोज शाह के शब्द. जो न तो फिल्मी दुनिया का चेहरा है और न ही खेल जगत का, लेकिन मुंबई का हर बच्चा इस नाम से जानता है. इतना ही नहीं बॉलीवुड के शहंशाह हो या सियासत के बादशाह, वे भी इस चेहरे के दीवाने हैं. क्योंकि अफरोज शाह द्वारा मुंबई में वर्सोवा के समुद्र तट को साफ करने के लिए शुरू किया गया अभियान अब एक आंदोलन बन गया है.

गौरतलब है कि 2016 में, संयुक्त राष्ट्र ने उनके अभियान को दुनिया का सबसे बड़ा तटीय सफाई अभियान घोषित किया और उन्हें चैंपियन ऑफ द अर्थ पुरस्कार से सम्मानित किया. 'जीक्यू' ने उन्हें मैन ऑफ द ईयर 2019 नामित किया और उन्हें 'सीएनएन हीरो 2019' भी नामित किया गया.

आवाज द वॉयस से बात करते हुए उनका कहना है कि स्वच्छता आधा विश्वास है, लेकिन यह खुद तक सीमित नहीं है, यह कर्तव्य नहीं है, हमें अपने आसपास के वातावरण और वातावरण को साफ रखना चाहिए. पर्यावरण प्रदूषण की सफाई और रोकथाम और इसके बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सभी को कुछ समय निकालना चाहिए. यही इस्लाम है और यही सुन्नत है.

उनका कहना है कि मुस्लिम समुदाय को इस तरह के अभियान से यथासंभव जुड़ना चाहिए क्योंकि यह इस्लाम के पैगंबर की शिक्षा है. मुसलमानों को आगे आना है, हाथ में हाथ डालकर चलना है. स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस मनाने के साथ और भी बहुत कुछ है क्योंकि एक वर्ष में 365 दिन होते हैं.

पेशे से वकील अफरोज शाह की पहल अब एक आंदोलन है. कभी संयुक्त राष्ट्र, कभी अमिताभ बच्चन ने उनकी पीठ थपथपाई, बिग बी ने उन्हें उनके काम में मदद करने के लिए एक ट्रैक्टर दिया. इसी तरह किसी ने मदद का हाथ बढ़ाया, किसी ने उपकरण मुहैया कराया. स्कूल आगे आए, बच्चे समुद्र तट पर आने लगे, विभिन्न संगठनों ने रुचि ली और विभिन्न महत्वपूर्ण हस्तियों ने खुद को अभियान से जोड़ा.

वर्सोवा बीच से हर रविवार को कचरा उठाकर और समुद्र तट की सफाई करके जन जागरूकता पैदा करने के मिशन ने तिरासी सप्ताह की यात्रा की है. लेकिन अफरोज शाह का कहना है कि ये तो शुरुआत है, लंबी यात्रा है, जिसमें सभी की भागीदारी अनिवार्य है

मदरसा को आमंत्रण

अफरोज शाह ने मुंबई हाई कोर्ट में एक मौलाना साहब से मुलाकात और मदरसों के बच्चों के अभियान में शामिल होने की घटना के बारे में 'आवाज द वॉयस' को बताया और कहा कि मदरसों के बच्चों का उत्साह देखते ही बनता है. उनके लिए एक नया अनुभव. ऐसा होता है, इसलिए वे उत्साहित हैं, एक-दूसरे से मिल रहे हैं और समाज को समझ रहे हैं.

 

खुशी की बात है कि वे न केवल इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं. बल्कि वे इससे बहुत कुछ सीख रहे हैं, इसे समझ रहे हैं और इसे अपने जीवन में शामिल कर रहे हैं. वे समुद्र में कचरे और प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक हो रहे हैं. वे इन दो घंटों को पूरी तरह से जी रहे हैं.

अफरोज शाह ने कहा कि उनका कार्यक्रम मदरसा में बहुत व्यस्त है, जिससे उन सभी का बाहर जाना मुश्किल है. लेकिन वे इस अभियान में शामिल होने के कारण समुद्र तट पर आ रहे हैं. वे जानते हैं कि हम यह सब क्यों कर रहे हैं. इसका महत्व क्या है और इसे समय की आवश्यकता क्यों है.

बच्चे राष्ट्र में बड़ा बदलाव ला सकते हैं

अफरोज शाह ने "आवाज द वॉयस" से बात करते हुए कहा कि मैं एक नगर निगम के स्कूल का छात्र था, मैंने अपना बचपन गरीबी में बिताया, लेकिन मैंने शिक्षा का रास्ता नहीं छोड़ा. शिक्षा से दुनिया को देखें और समझें. मुझे अपनी जिम्मेदारी महसूस हुई.

अब मैं चाहता हूं कि मदरसा के बच्चों को इस तरह के अभियान में आगे लाया जाए. इससे उन्हें न सिर्फ दुनिया की जानकारी होगी बल्कि बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा

वह आगे कहते हैं कि मेरा मानना ​​है कि अगर बच्चे सीखेंगे तो देश में बड़ा बदलाव आएगा. मैं मदरसों और मस्जिदों में जाता हूं और विद्वानों से बात करता हूं. मैं उन्हें बताता हूं कि आधा विश्वास क्या है और हमें अपनी उपस्थिति कैसे महसूस करनी है और साझा करना है. यह न केवल स्वच्छता की बात है, बल्कि नैतिकता और कार्यों की भी है.

मुझे लगता है कि जो बच्चे आज इन मदरसों में धार्मिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, वे भी कल इमाम बनेंगे और उपदेश देंगे. हमें ऐसे इमाम तैयार करने चाहिए जो न केवल देश को मानवाधिकारों के बारे में बताएंगे बल्कि अन्य प्राणियों के अधिकारों के बारे में भी बताएंगे और समझाएंगे. एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करने के बजाय पर्यावरण के बारे में जानकारी प्रदान करें. दुनिया के साथ ब्रह्मांड को बचाने के बारे में सोचें.

मैं इन बच्चों को बताता हूं कि पवित्र कुरान में लिखा है कि आप दुनिया में अकेले नहीं हैं, आपको अन्य प्राणियों के बारे में भी सोचना चाहिए. अगर हम समुद्र में कचरा फेंक दें तो मछलियों का क्या होगा? उनका जीवन कठिन हो जाएगा. ये सब बातें सुनने के बाद बच्चे बहुत जाग रहे हैं, लेकिन ये बातें दूसरे लोगों तक पहुंचा रहे हैं. वह एक समय में एक इमाम के रूप में देश का नेतृत्व करेंगे.

धार्मिक स्थलों की दिशा

मुंबई में वर्सोवा बीच सफाई अभियान को आंदोलन बनाने वाले अफरोज शाह का कहना है कि अब हम न सिर्फ मस्जिदों बल्कि मंदिरों और चर्चों में भी जाएंगे. हमने सभी से इस अभियान में हर हफ्ते दो घंटे दान करने का अनुरोध करने का फैसला किया है. अगर पूजा स्थलों का समर्थन मिलता है तो इस अभियान को और तेज किया जा सकता है. इस स्तर पर जागरूकता पैदा करना जरूरी है. लोग आध्यात्मिक नेताओं को सुनते हैं और कार्य करते हैं.

गणेश विसर्जन और टीम अफरोज

पिछले छह वर्षों से अफरोज शाह अपनी टीम के साथ गणेश विसर्जन के दौरान सक्रिय हैं, वे विसर्जन के दौरान समुद्र से मूर्तियों और फूलों के ढेर को हटाने का काम करते हैं. समुद्र तट पर फूल और प्लास्टिक के कूड़े को उठाकर किया जाता है. रात की

समुद्र तट को अंधेरे में साफ किया जाता है. उनका कहना है कि अपने अभियान के दौरान हम गोताखोरों को संगमरमर या धातु की मूर्तियों का इस्तेमाल करने के लिए कहते हैं. इससे समुद्र में प्रदूषण को रोका जा सकेगा. सकारात्मक बात यह है कि लोग न केवल इन सुझावों को सुन रहे हैं बल्कि उनका पालन भी कर रहे हैं. इससे पता चलता है कि अगर किसी को नियमों से अवगत कराया जाए तो कुछ भी बदल सकता है.

ब्रह्मांड पर दया करो

मैंने हर स्तर पर यही संदेश दिया है कि इंसानों और अन्य जीवों के अधिकारों के बीच कोई टकराव नहीं होना चाहिए. हम दुनिया में विस्तार कर रहे हैं, बोझ बन रहे हैं और अन्य प्राणियों के अधिकारों को मार रहे हैं, अपने जीवन के अलावा कुछ भी नहीं देख पा रहे हैं. जिनके अधिकारों को नष्ट किया जा रहा है वे अवाक हैं.

हमें यह समझना होगा कि यदि हमारे जीवन को सरल और सामान्य बना दिया जाए, तो अन्य प्राणियों के साथ अधिकारों का संघर्ष कम होगा. हम सब रहने दो. पानी साफ होगा तो मछलियां जीवित रह पाएंगी, हवा साफ होगी तो पक्षी भी जीवित रह सकेंगे. यह सब तभी संभव होगा जब हम अपनी जीवन शैली को बदलेंगे.

अफरोज शाह का कहना है कि लोगों के बीच जागरूकता लाने के लिए एक कोमल धक्का की जरूरत होती है, जिसके बाद हर कोई इस रास्ते पर चलता है. केवल एक बार मार्गदर्शन करने की आवश्यकता है.

कार्य के क्षेत्र

काम वर्सोवा से शुरू हुआ और जल्द ही मुंबई के अन्य समुद्र तटों तक फैल गया. मुंबई में 18तटीय क्षेत्र हैं जो समुद्री और भूमि कूड़े से बुरी तरह प्रभावित हैं. अफरोज शाह ने इन समुद्र तटों को साफ करने के लिए एक अभियान शुरू किया था.

इस अभियान में हजारों स्वयंसेवकों की मदद से उन्होंने पिछले तीन साल में मुंबई के वर्सोवा बीच से दो करोड़ किलोग्राम कचरा साफ किया है.

वर्सोवा मुंबई से तीन किलोमीटर उत्तर में एक तटीय क्षेत्र है जहां बड़ी संख्या में अवैध झुग्गियां हैं. साफ-सफाई और जल निकासी के अभाव के कारण लोग अपना कचरा समुद्र तट पर फेंक देते थे जिससे यह क्षेत्र अत्यधिक प्रदूषित हो जाता था. कचरे के इन ढेरों में समुद्र की लहरों से धुलने वाला प्लास्टिक कचरा भी पानी में समा गया था.

प्लास्टिक के खिलाफ अभियान

इस अभियान का एक हिस्सा प्लास्टिक के उपयोग को रोकना है. इस आदत को बदलने के लिए अफरोज शाह सब्जी मंडियों का दौरा करते हैं और अपने स्वयंसेवकों के साथ सुबह प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग को रोकने के लिए वैकल्पिक तरीके पेश करते हैं.

उनका कहना है कि कूड़ा-करकट के अस्तित्व में आने से पहले ही हमें इस संबंध में अपनी प्रथाओं को बदलने की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए. कचरा उत्पन्न करने और फिर उसके निपटान की चिंता करने का कोई मतलब नहीं है, और यह सब घर से शुरू होता है. हमें समझदारी से निर्णय लेना चाहिए कि कूड़े को कैसे कम किया जाए. दुनिया के सभी प्राणियों के अधिकारों की रक्षा कैसे करें?

पड़ोसी के साथ बिस्मिल्लाह

अफरोज शाह ने 'आवाज द वॉयस' को बताया कि यह अभियान किसी योजना के साथ शुरू नहीं किया गया था बल्कि उनके एक बुजुर्ग पड़ोसी हरबनिश माथुर ने अपने हाथों से समुद्र तट से प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करना शुरू कर दिया था.

अफरोज शाह का कहना है कि 2015में वर्सोवा बीच का नजारा कुछ ऐसा था, जहां जगह-जगह पांच फीट तक कूड़े के ढेर लगे थे. उन्हें साफ करने वाला कोई नहीं था और न ही कोई सरकार या कल्याणकारी संस्था अवैध बस्तियों के निवासियों के बीच स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने के पहलू के बारे में सोच रही थी.

वह अपने पुराने समुद्र तट को फिर वैसा ही बनाना चाहते थे, लेकिन इसके लिए बहुत श्रम और पूंजी की आवश्यकता थी, लेकिन कोई भी संगठन उसकी मदद करने को तैयार नहीं था. लेकिन अफरोज शाह मायूस होकर नहीं बैठे. उन्होंने अपने दोस्तों और ग्रामीणों की मदद से समुद्र तट को साफ करने की कसम खाई और आज हर मुंबईवासी के लिए एक उदाहरण बन गए हैं.

वर्सोवा में हर दिन कोई न कोई यह नजारा देखता था. उन्होंने महसूस किया कि कूड़े करने वाले बहुत हैं लेकिन सफाईकर्मी बहुत कम हैं. यही कारण है कि समुद्र तट की सफाई के आसपास अन्य लोगों का जुनून जाग गया और जल्द ही दो लोगों के साथ शुरू हुआ यह अभियान हजारों लोगों की एक स्वयंसेवी टीम में बदल गया.

और कारवां बनता गया

निस्संदेह, वर्सोवा के समुद्र तट पर ये गतिविधियां ध्यान देने योग्य थीं. इसलिए अभियान में आसपास के लोग, स्कूली छात्र, मुंबई के हजारों स्वयंसेवक शामिल हुए. अफरोज के अनुसार, इस सफलता ने उनकी प्रेरणा को बढ़ावा दिया और उन्होंने मुंबई के अन्य तटीय क्षेत्रों को साफ करने और लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए एक प्रशिक्षण अभियान शुरू किया.

जो दो लोगों ने शुरू किया था वह अब कारवां बन गया है. जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए हैं. जिसने तटीय बस्तियों के आसपास बिखरे लाखों टन प्लास्टिक कूड़े को समुद्र में जाने से रोक दिया.

अफरोज शाह कहते हैं, ''मैं एक वकील हूं और मुझे जब भी मौका मिलता है मैं अब भी समुद्र तटों और नदियों की सफाई करता हूं.'' हम सभी को सप्ताह में दो घंटे सफाई में लगाना चाहिए. हमें केवल बात ही नहीं करनी चाहिए बल्कि इन शब्दों पर अमल भी करना चाहिए.

अफरोज शाह ने आवाज द वॉयस से कहा कि इस देश ने मुझे बहुत कुछ दिया है, मैं देश को कुछ देना चाहता हूं, मैंने जो काम चुना है वह धार्मिक भी है और सांसारिक भी. मुझे अपनी और दुनिया की चिंता है. मानवता और ब्रह्मांड दोनों की.

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