नई दिल्ली
भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के खूंखार आतंकवादी अब्दुल रऊफ के अंतिम संस्कार में शरीक पाकिस्तानी अधिकारियों के नाम सार्वजनिक कर दिए हैं। अब्दुल रऊफ उन आतंकियों में शामिल था जिन्हें अमेरिका ने ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया था, और भारत की हालिया सैन्य कार्रवाई में मारा गया।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, लश्कर कमांडर अब्दुल रऊफ को पाकिस्तान के मुरीदके में सुपुर्द-ए-खाक किया गया, जहां उसके जनाज़े में पाक सेना और पुलिस के बड़े अधिकारी भी शरीक हुए और नमाज़ अदा की। इनमें शामिल थे—
लेफ्टिनेंट जनरल फैयाज हुसैन,
मेजर जनरल राव इमरान,
ब्रिगेडियर मोहम्मद फुरकान,
पंजाब पुलिस के IGP उस्मान अनवर,
पाकिस्तान पंजाब विधानसभा के विधायक मलिक सोहैब अहमद।
भारत ने 7 मई को चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाक अधिकृत कश्मीर (पीओजेके) और पाकिस्तान के भीतर नौ आतंकी शिविरों को निशाना बनाया, जिनमें—
सावल नाला, सैयदना बिलाल, गुलपुर, बरनाला, अब्बास (पीओजेके में) और
भावलपुर, मुरीदके, सरजाल, महमूना जोया (पाकिस्तान में) शामिल हैं।
ऑपरेशन में मारे गए आतंकवादियों की पहचान भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठानों के लिए बेहद अहम रही, जिनमें शामिल थे:
खालिद अबू अकाशा – अफगानिस्तान से पाकिस्तान तक हथियारों की तस्करी करता था। लश्कर की केंद्रीय समिति का सदस्य और हाफिज सईद के दामाद खालिद वलीद से जुड़ा था।
मोहम्मद हसन खान – पुलवामा हमले (2019) में शामिल रहा था। यह जैश-ए-मोहम्मद के शीर्ष आतंकी मुफ्ती असगर खान कश्मीरी का बेटा था।
हाफिज मुहम्मद जमील – मौलाना मसूद अजहर का साला और जैश का प्रमुख रणनीतिकार। बहावलपुर स्थित जैश मुख्यालय का प्रभारी था।
इन आतंकियों के संपर्क पीओजेके, लाहौर, बहावलपुर और इस्लामाबाद तक फैले हुए थे। कई बार यह आतंकी शूरा बैठकों में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद भी जाते थे।
ऑपरेशन के बाद, पाकिस्तान ने भारत के पुंछ ज़िले में एक गुरुद्वारा और मदरसे को निशाना बनाकर जवाब देने की कोशिश की, जो भारत के लिए बेहद निंदनीय है।
भारत ने अपनी हवाई रक्षा की ताकत दिखाते हुए रामनगर, नौशेरा और मीरान साहिब में नष्ट किए गए पाकिस्तानी ड्रोन भी पेश किए।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमला पाकिस्तान द्वारा किया गया ‘मूल प्रयास’ था, और भारत ने उसका जवाब "सटीक, मापा हुआ और गैर-आक्रामक तरीके से" दिया।
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी संघर्ष या वार्ता के लिए सैन्य चैनल (DGMOs) के सीधे संवाद को ही प्राथमिकता दी जाएगी, बैकचैनल वार्ता या तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को सिरे से खारिज किया गया है।
ऑपरेशन सिंदूर को भारत के आतंकवाद विरोधी अभियानों में "नए सामान्य" (New Normal) के रूप में देखा जा रहा है—जिसका स्पष्ट संदेश है कि कश्मीर या देश के किसी भी हिस्से पर हमला करने की कोशिश करने वालों को अब सटीक और निर्णायक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।