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नाज़िया ख़ानः एक डॉक्टर जिसकी कलम में है नश्तर जैसी तेजी
मंजीत ठाकुर
“नहीं ब्रो, बस कविता न लिख पाने की 'अक्षमता' तुम्हें अल्फा मेल नहीं बना देती.
वैसे भी कविता, नज़्म, शायरी लिखना सबके वश का है भी नहीं. नफ़ीस, ज़हीन, सॉफिस्टिकेटेड माइ...