मैं तब लिखती हूँ जब चुप रहना मुश्किल हो जाता है: अरुंधति रॉय

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 28-08-2025
I write when it becomes difficult to remain silent: Arundhati Roy
I write when it becomes difficult to remain silent: Arundhati Roy

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
सुरक्षा मुझे घुटन देती है। शायद यह दूसरों की तरफ से एक असामान्य टिप्पणी हो, लेकिन अरुंधति रॉय की तरफ से नहीं, जिन्होंने अपने लेखन के लिए प्रसिद्धि और आक्रोश दोनों का सामना किया है.
 
चाहे वह उनका पहला उपन्यास हो जिसने उन्हें 1997 में बुकर पुरस्कार दिलाया और उन्हें स्टारडम तक पहुँचाया या फिर उनके बेबाक राजनीतिक लेख.... भले ही उन्हें राष्ट्रविरोधी कहा जाता हो, लेकिन वह इस सबको सहजता से लेती हैं. उन्हें उनके शब्दों और विचारों के चलते ‘ट्रोल’ किया जाता रहा है.
 
बृहस्पतिवार को उनका संस्मरण ‘‘मदर मैरी कम्स टू मी’’ जारी हुआ.
 
उनका लेखन कुछ लोगों के लिए तीखा और दूसरों के लिए सीधा है. उनका कहना है कि यह ‘‘किसी चीज़ के प्रति प्रेम और परवाह की भावना’’ से आता है.
 
रॉय ने पीटीआई-भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैं तब लिखती हूं जब लिखने से ज्यादा चुप रहना कठिन हो जाता है.
 
यह बात उनके पहले राजनीतिक निबंध ‘‘कल्पना का अंत’’ से ही स्पष्ट है, जिसमें वह परमाणु प्रसार और मानवता तथा पर्यावरण पर इसके विनाशकारी प्रभाव जैसे मुद्दों से दो-चार हुई थीं.