अलीगढ़ की बेटी सबीरा ने कज़ाख़स्तान में लहराया तिरंगा, दो स्वर्ण पदक किए अपने नाम

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 28-08-2025
Aligarh's daughter Sabira hoisted the tricolor in Kazakhstan, won two gold medals
Aligarh's daughter Sabira hoisted the tricolor in Kazakhstan, won two gold medals

 

आवाज द वाॅयस/अलीगढ़

भारत के लिए और विशेष रूप से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के लिए यह क्षण अत्यंत गौरव का है, जब कक्षा 12वीं की छात्रा सबीरा हारिस ने कज़ाख़स्तान में आयोजित 16वीं एशियन शूटिंग चैम्पियनशिप में न केवल एक, बल्कि दो-दो स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया. यह विजय केवल खेल के क्षेत्र में उनकी प्रतिभा का प्रतीक नहीं, बल्कि मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास की मिसाल भी है.

सबीरा हारिस ने प्रतियोगिता में अपने असाधारण कौशल और अदम्य जज़्बे का प्रदर्शन करते हुए एक व्यक्तिगत स्वर्ण पदक और एक टीम स्वर्ण पदक हासिल किया. यह उपलब्धि उन्हें चैम्पियनशिप के शीर्ष खिलाड़ियों की सूची में सबसे आगे ले आई और उन्होंने यह साबित कर दिया कि उम्र और परिस्थितियाँ कभी भी सपनों की उड़ान को रोक नहीं सकतीं.

कठिन शुरुआत, मगर सुनहरा अंत

फाइनल मुकाबले में शुरुआत सबीरा के लिए चुनौतीपूर्ण रही. वह मात्र 105 अंकों के साथ छठे स्थान पर थीं. लेकिन यही पल उनके जज़्बे और दृढ़ निश्चय की असली परीक्षा थी. उन्होंने संयम नहीं खोया और धीरे-धीरे अंक तालिका में ऊपर चढ़ती गईं. अंततः उन्होंने सबको चौंकाते हुए पहला स्थान हासिल कर लिया.

इस मुकाबले की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि उन्होंने भारत की ही एक और दिग्गज खिलाड़ी अद्द्या कटियाल को पछाड़कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया. अद्द्या 113 अंकों के साथ प्रतियोगिता की सबसे मज़बूत दावेदार मानी जा रही थीं और उन्हें शीर्ष स्थान का प्रबल दावेदार समझा जा रहा था.

लेकिन सबीरा ने अपने संतुलित प्रदर्शन, मानसिक मजबूती और रणनीतिक चतुराई से बाज़ी पलट दी और दर्शकों के लिए यह चैम्पियनशिप का सबसे रोमांचक फिनिश साबित हुआ.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान

सबीरा की जीत ने यह संदेश दिया है कि भारतीय युवा खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय मंच पर कितने प्रतिस्पर्धी हो चुके हैं. एशियन चैम्पियनशिप जैसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में उनका प्रदर्शन न केवल भारत की ताक़त को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि सही मार्गदर्शन और अवसर मिलने पर हमारे खिलाड़ी किसी भी स्तर पर विजय हासिल कर सकते हैं.

विश्वविद्यालय परिवार की खुशी

इस अभूतपूर्व सफलता पर एएमयू परिवार गर्व से भर उठा. कुलपति प्रो. नाइमा खातून ने बधाई देते हुए कहा, “यह विश्वविद्यालय के लिए गर्व का क्षण है कि हमारी छात्रा खेल और शिक्षा दोनों में प्रगति करते हुए अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि हासिल कर रही है. मुझे पूरा विश्वास है कि सबीरा भविष्य में भी विश्वविद्यालय और देश का नाम रोशन करती रहेंगी.”

इसी अवसर पर प्रो. एस. अमजद अली रिज़वी, सचिव, यूनिवर्सिटी गेम्स कमेटी ने कहा, “सबीरा की जीत उनके कठिन परिश्रम, अनुशासन और खेल के प्रति जुनून का परिणाम है. उन्होंने न केवल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को गौरवान्वित किया है, बल्कि पूरे भारत को गर्व का अवसर दिया है। वह युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा और एक आदर्श हैं.”

सामाजिक और व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएँ

सबीरा की इस जीत पर सोशल मीडिया पर भी बधाइयों की बाढ़ आ गई. देश-विदेश से लोग उन्हें शुभकामनाएँ दे रहे हैं. किसी ने लिखा “माशाअल्लाह, अल्लाह आपको नज़र-ए-बद से बचाए”, तो किसी ने कहा “आप युवा खिलाड़ियों की सच्ची रोल मॉडल हैं.”

मिर्ज़ा ग़ुफ़रान असद ने उन्हें “माशाअल्लाह, कॉन्ग्रैचुलेशन्स” कहकर शुभकामनाएँ दीं.
शाहनवाज़ ख़ान नवाज़ ने लिखा— “माशाअल्लाह, बधाई हो .”
डॉ. दिव्या शर्मा ने सरल शब्दों में “Congratulations  कहकर अपनी खुशी जताई.
फैसल बासित ने कहा, “कॉन्ग्रैचुलेशन्स शबीरा.”
वहीं नासिर अनवर और आज़म मीर ख़ान ने भी उन्हें ढेरों शुभकामनाएँ दीं और दुआ की कि वह हमेशा सफलता की ऊँचाइयों को छूती रहें.

शाइस्ता ख़ान, पप्पू ख़ान, सलीम अहमद, अशी आश और अनेक लोगों ने उनके प्रदर्शन की तारीफ़ करते हुए कहा कि उन्होंने अलीगढ़ और भारत की पहचान को एक नया आयाम दिया है.

प्रेरणा का स्रोत

सबीरा हारिस की यह उपलब्धि केवल पदक जीतने की कहानी नहीं, बल्कि यह संदेश भी है कि संघर्ष और आत्मविश्वास से हर चुनौती को जीता जा सकता है. उनकी यात्रा हर उस युवा खिलाड़ी के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहता है, चाहे रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो.

उनकी इस जीत ने यह भी साबित किया है कि शिक्षा और खेल दोनों में संतुलन बनाकर चलना संभव है. उन्होंने यह दिखा दिया कि मेहनत और समर्पण से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं.

कज़ाख़स्तान में सबीरा हारिस का यह स्वर्णिम प्रदर्शन आने वाली पीढ़ियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने न केवल एएमयू और अलीगढ़ को गौरवान्वित किया है, बल्कि पूरे भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान दिलाया है. उनकी यह जीत देश की खेल संस्कृति को और मज़बूत करेगी और आने वाले समय में और भी युवा खिलाड़ियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी.

सबीरा का नाम अब केवल अलीगढ़ तक सीमित नहीं रहा, बल्कि वह पूरे एशिया में भारत की प्रतिभा, जज़्बे और संघर्ष की मिसाल बन चुकी हैं।