काशी में बाढ़ का कहर: घाट डूबे, छतों पर हो रही अंतिम क्रियाएं और आरती

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 28-08-2025
Flood wreaks havoc in Kashi: Ghats submerged, last rites and aartis being performed on rooftops
Flood wreaks havoc in Kashi: Ghats submerged, last rites and aartis being performed on rooftops

 

वाराणसी (उप्र)

वाराणसी में गंगा के बढ़ते जलस्तर के चलते जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है। घाटों के निचले हिस्से पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं, जिससे परंपरागत गतिविधियां जैसे गंगा आरती और शवदाह कार्य अब घाटों की छतों पर किए जा रहे हैं।

गंगा का जलस्तर बीते कुछ दिनों की गिरावट के बाद एक बार फिर बढ़ने लगा है। गुरुवार सुबह यह चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर को पार करते हुए 70.91 मीटर तक पहुंच गया, जो कि खतरे के निशान 71.262 मीटर के बेहद करीब है।

दशाश्वमेध घाट पर आरती आयोजन करने वाली संस्था ‘गंगा सेवा निधि’ के पदाधिकारियों ने बताया कि घाट के निचले हिस्सों में पानी भर जाने के कारण पिछले कुछ दिनों से आरती की व्यवस्था घाट की छतों पर की जा रही है। हरिश्चंद्र घाट और मणिकर्णिका घाट पर भी शवदाह कार्य छतों पर किया जा रहा है। दशाश्वमेध घाट पर स्थित शीतला माता मंदिर भी पूरी तरह जलमग्न हो गया है।

बाढ़ की गंभीर स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने सभी संबंधित विभागों को सतर्क रहने के निर्देश जारी किए हैं। जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने बताया कि नगर निगम को राहत शिविरों और उनके शौचालयों की नियमित सफाई, जलभराव वाले क्षेत्रों में एंटी-लार्वा छिड़काव और फॉगिंग कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही पुराने बाढ़ राहत शिविरों को दोबारा सक्रिय किया जा रहा है।

गंगा के साथ-साथ वरुणा नदी का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है, जिससे तटवर्ती इलाकों में पानी घुस गया है। शक्कर तालाब, पुराना पुल, नक्खी घाट, पुलकोहना और दीनदयालपुर जैसे इलाकों में बाढ़ का पानी घरों में प्रवेश कर चुका है। इसके कारण अब तक 100 से ज्यादा लोगों को अपने घर खाली कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना पड़ा है।

इधर मिर्जापुर से मिली जानकारी के अनुसार वहां भी गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु से ऊपर चला गया है। गुरुवार दोपहर तक ओझला पुल पर जलस्तर 76.820 मीटर दर्ज किया गया, जो कि चेतावनी बिंदु 76.724 मीटर से ऊपर है। बीते तीन दिनों से पानी लगातार बढ़ रहा है, हालांकि इसकी गति में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। वर्तमान में गंगा का जलस्तर एक सेंटीमीटर प्रति घंटा की दर से बढ़ रहा है।

प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और बाढ़ से होने वाले संभावित नुकसान को कम करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।