जैसलमेर में 'जुरासिक पार्क'? राजस्थान में मिला जीवाश्म, फाइटोसोर्स का निकला अवशेष

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 26-08-2025
'Jurassic Park' in Jaisalmer? Fossil found in Rajasthan, remains of phytosaurs
'Jurassic Park' in Jaisalmer? Fossil found in Rajasthan, remains of phytosaurs

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
 
राजस्थान के जैसलमेर के पास एक गांव में पिछले सप्ताह खुदाई के दौरान मिले जीवाश्मों की पहचान फाइटोसोर्स (Phytosaur) के रूप में हुई है। यह भारत में इस प्राचीन सरीसृप का अब तक का सबसे सुरक्षित और स्पष्ट जीवाश्म है।

यह अवशेष करीब दो मीटर लंबा है और इसे जैसलमेर से लगभग 45किलोमीटर दूर मेघा गांव में एक झील के पास खुदाई के दौरान स्थानीय लोगों ने खोजा। इसके पास एक जीवाश्मीकरण अंडा भी मिला है, जिसे विशेषज्ञ उसी सरीसृप का मान रहे हैं।

जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग के डीन और वरिष्ठ जीवाश्म वैज्ञानिक प्रोफेसर वी. एस. परिहार ने बताया,“फाइटोसोर्स दिखने में मगरमच्छ जैसे होते हैं और यह जीवाश्म करीब 20करोड़ साल पुराना है। यह मध्यम आकार का फाइटोसोर्स लगता है जो उस समय यहाँ की किसी नदी के किनारे मछलियाँ खाकर जीवित रहता होगा।”

विशेषज्ञों के अनुसार, फाइटोसोर्स की उत्पत्ति 229मिलियन वर्ष पहले हुई थी और यह जुरासिक युग के शुरुआती समय का जीव हो सकता है।हालाँकि 2023में बिहार-मध्यप्रदेश सीमा पर फाइटोसोर्स के कुछ अवशेष मिले थे, लेकिन यह खोज भारत में अब तक का सबसे अच्छा संरक्षित नमूना मानी जा रही है।

भूविज्ञानी डॉ. नारायण दास इनाखिया, जो लंबे समय से जैसलमेर में जीवाश्मों पर शोध कर रहे हैं, ने बताया:“जैसलमेर का इलाका लाठी फॉर्मेशन का हिस्सा है, जो लगभग 100किलोमीटर लंबा और 40किलोमीटर चौड़ा क्षेत्र है। 18करोड़ वर्ष पहले यह इलाका जीवों की दृष्टि से समृद्ध था। उस समय यहाँ एक ओर नदी और दूसरी ओर समुद्र था, जिससे यहां मीठे पानी और समुद्री जीवों का अनूठा मिश्रण मिलता है।”

डॉ. इनाखिया ने यह भी सुझाव दिया कि जैसलमेर को "जियो-टूरिज्म" यानी भू-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है क्योंकि यहां जड़ जीवाश्म, समुद्री जीवाश्म, और अब डायनासोर से जुड़ी कई खोजें हो चुकी हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि तनोत क्षेत्र के पास पौराणिक सरस्वती नदी की जलधाराएं, जो आज भूमिगत हैं, वैदिक काल से लगभग 5000-6000 वर्ष पूर्व की हैं और वैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

फाइटोसोर्स की बनावट लगभग मगरमच्छ जैसी होती है — छोटे पैर, मजबूत शरीर, बख्तरबंद त्वचा, लंबी पूंछ और नुकीले दांतों वाला थूथन। मगर एक प्रमुख अंतर यह है कि मगरमच्छ की नाक थूथन के छोर पर होती है, जबकि फाइटोसोर्स की नाक आंखों के ठीक सामने एक उभरी हुई जगह पर होती है।

हालाँकि दिखने में समानता है, पर दोनों जीवों का आपसी संबंध नहीं है।यह खोज जैसलमेर क्षेत्र में डायनासोर से संबंधित पांचवीं प्रमुख खोज मानी जा रही है। इससे पहले थियत गांव में हड्डियों के जीवाश्म, एक डायनासोर का पदचिन् और 2023में एक सुरक्षित डायनासोर अंडा मिल चुका है।खोज के बाद स्थानीय लोग बड़ी संख्या में मौके पर पहुंचे और सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो साझा करने लगे।