आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के कटरा स्थित वैष्णो देवी मार्ग पर हाल ही में हुए भीषण भूस्खलन ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. अर्धकुंवारी के पास हुए इस हादसे में कई लोगों की जान चली गई, अनेक लोग घायल हुए और कई परिवार अभी भी अपने प्रियजनों की तलाश में हैं. इस हृदयविदारक आपदा पर देशभर से शोक संदेश आ रहे हैं. विशेष रूप से मुस्लिम संगठनों और सामाजिक नेताओं ने न केवल दुख व्यक्त किया है, बल्कि प्रभावित परिवारों के प्रति एकजुटता और हर संभव सहयोग का भरोसा भी दिया है.
फरीदाबाद के इमाम जमालुद्दीन ने कहा कि यह घटना बेहद दुखद और पीड़ादायक है. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में धर्म या समुदाय नहीं, बल्कि इंसानियत सबसे बड़ी पहचान होती है. उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि इस त्रासदी से वे गहरे मर्माहत हैं और हर मुमकिन मदद देने के लिए तैयार हैं.
इसी प्रकार, बिहार की फलाह मिल्लत सोसाइटी और गुरुग्राम स्थित एपीजे अब्दुल कलाम मेमोरियल ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष नौशाद अख्तर हाश्मी ने भी इस दुर्घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि वैष्णो देवी यात्रा केवल हिंदू श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि यह भारत की साझा सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है. इस यात्रा से जुड़े किसी भी व्यक्ति की पीड़ा हम सबकी पीड़ा है.
इस बीच, जमात-ए-इस्लामी हिंद (JIH) के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने विस्तृत बयान जारी करते हुए कहा कि अर्धकुंवारी के पास हुए भीषण भूस्खलन से हुई जनहानि बेहद दुखद है और इससे पूरे समाज को गहरी चोट पहुँची है. उन्होंने कहा, “हम अपनी हार्दिक संवेदनाएँ उन परिवारों के प्रति व्यक्त करते हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है.
भारी बारिश से उत्पन्न इस आपदा ने न केवल कई मासूम जिंदगियाँ छीन लीं, बल्कि स्थानीय निवासियों और हजारों तीर्थयात्रियों के जीवन को भी संकट में डाल दिया है. आशंका है कि कई लोग अब भी मलबे में दबे हो सकते हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है.”
प्रो. इंजीनियर ने केंद्र और राज्य सरकार से आग्रह किया कि बचाव और राहत कार्यों में और तेजी लाई जाए. उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवकों ने सराहनीय तत्परता दिखाई है, लेकिन अब भी चुनौती बड़ी है. लापता लोगों को ढूँढ़ने और घायलों को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अभियानों की गति बढ़ाना बेहद जरूरी है.
उन्होंने यह भी कहा कि कटरा और आसपास के लोगों को इस कठिन समय में अकेला महसूस नहीं करना चाहिए. यह देश का नैतिक कर्तव्य है कि हम सब एक साथ खड़े होकर उनकी मदद करें. उन्होंने विशेष रूप से अपील की कि देशभर के नागरिक, चाहे जिस भी धर्म या पृष्ठभूमि से हों, इस आपदा के पीड़ितों के समर्थन में हाथ बढ़ाएँ.
प्रो. इंजीनियर ने केवल तात्कालिक राहत कार्यों तक ही सीमित न रहते हुए दीर्घकालिक तैयारी और नीति निर्माण पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि सरकार को भूस्खलन, अचानक बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एक व्यापक आपदा प्रबंधन रणनीति तैयार करनी चाहिए. इसमें स्पष्ट और प्रभावी मानक संचालन प्रक्रियाएँ (SOPs) हों ताकि आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया दी जा सके और जन-धन की हानि को न्यूनतम रखा जा सके.
उन्होंने प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए एक विशेष राहत पैकेज की भी मांग की. उनके अनुसार, केवल तत्काल सहायता पर्याप्त नहीं है, बल्कि विस्थापित परिवारों के लिए दीर्घकालिक पुनर्वास योजनाएँ जरूरी हैं ताकि वे अपनी आजीविका और सम्मानजनक जीवन फिर से स्थापित कर सकें.
यह भूस्खलन हमें यह याद दिलाता है कि प्राकृतिक आपदाएँ धर्म और संप्रदाय से परे केवल इंसानियत की परीक्षा लेती हैं. दुख की इस घड़ी में मुस्लिम संगठनों और सामाजिक नेताओं का यह रुख देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब और साझा विरासत को रेखांकित करता है. जब किसी एक समुदाय का दुख दूसरे का भी हो, तभी राष्ट्र सशक्त बनता है..
JIH Vice President Prof. Salim Engineer Expresses Grief Over Tragic Landslide on Vaishno Devi Route
— Jamaat-e-Islami Hind (@JIHMarkaz) August 27, 2025
New Delhi: The Vice President of Jamaat-e-Islami Hind (JIH), Prof Salim Engineer, has expressed deep sorrow and solidarity over the devastating landslide that struck the Vaishno… pic.twitter.com/VxofYxFfZJ
आज जरूरत है कि सभी राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक संगठन मिलकर आपसी सहयोग और संवेदनशीलता की मिसाल पेश करें. कटरा की इस त्रासदी ने पूरे देश को एक साथ खड़े होने का अवसर दिया है, और मुस्लिम संगठनों द्वारा जताई गई संवेदनशीलता इस एकजुटता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.