संभल
संभल में पिछले वर्ष शाही जामा मस्जिद के एएसआई सर्वे के दौरान भड़की हिंसा की जांच कर रहे तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग के समक्ष गवाही देने वाले स्थानीय निवासियों ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वे जिले में हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें और उनके पलायन को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा की अध्यक्षता में गठित न्यायिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट गुरुवार को मुख्यमंत्री को सौंप दी। इस आयोग का गठन 28 नवंबर 2024 को किया गया था, और 1 दिसंबर को पैनल ने पहली बार हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर गवाहों के बयान दर्ज किए थे।
आयोग के समक्ष बयान देने वाले लोगों ने आयोग का आभार जताते हुए उम्मीद जताई कि आयोग की रिपोर्ट के जरिए “संभल की सच्चाई” सरकार तक पहुंचाई गई है।
स्थानीय निवासी संजय कुमार पोली ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, "हम न्यायिक आयोग के बहुत आभारी हैं कि उन्होंने संभल की वास्तविक स्थिति को उजागर किया। अब हम सरकार से मांग करते हैं कि वह इस ओर ध्यान दे और हमारी सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित करे।"
हालांकि आयोग की रिपोर्ट की विषय-वस्तु को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। आयोग के सदस्यों ने इसे ‘गोपनीय’ बताते हुए रिपोर्ट के किसी भी अंश को उजागर करने से इनकार कर दिया है, लेकिन स्थानीय लोगों के बीच रिपोर्ट को लेकर कई दावे किए जा रहे हैं।
पोली ने दावा किया, "हमने आयोग के समक्ष जो बातें रखी थीं, आज उनका सत्यापन आयोग ने कर दिया है। संभल में जिस तरह से हिंदुओं का पलायन हुआ और जिस तरह का भय का माहौल बना, उससे अब स्पष्ट हो गया है कि यहां सुरक्षा की सख्त ज़रूरत है।"
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील करते हुए कहा, "मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि संभल में हिंदुओं की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए जाएं ताकि पलायन को रोका जा सके।"
संभल के एक अन्य स्थानीय प्रतिनिधि और सभासद गगन वार्ष्णेय ने कहा, "हमने न्यायिक आयोग से यह मांग की थी कि चूंकि संभल में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, इसलिए उन्हें भी अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए और सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों को दी जाने वाली सुविधाएं उन्हें भी प्रदान की जाएं। हमें उम्मीद है कि आयोग ने हमारे दर्द को समझा होगा।"
उल्लेखनीय है कि 24 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद में एएसआई के सर्वेक्षण के दौरान संभल में हिंसा भड़क उठी थी। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने एक उच्चस्तरीय न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था।
आयोग के सदस्य और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक ए.के. जैन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, "हां, हमने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी है। यह एक विस्तृत और गंभीर रिपोर्ट है।" हालांकि उन्होंने रिपोर्ट की गोपनीयता का हवाला देते हुए इसमें शामिल बिंदुओं को सार्वजनिक करने से इनकार किया।