कोच्चि की उद्यमी नौरीन आयशा ने खड़ा किया महिला स्वच्छता पर आधारित स्टार्ट-अप

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 20-12-2022
नौरीन आयशा
नौरीन आयशा

 

मंजीत ठाकुर

हाल ही में महिला स्टार्ट अप समिट 4.0 का आयोजन केरल स्टार्ट-अप मिशन (केएसयूएम) ने किया था. खास बात यह रही कि इस सम्मेलन में टीयर 2 और टीयर 3 शहरों की युवा उद्यमियों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया था और उन्होंने दर्शकों के सामने अपने नए-नवेले विचार पेश किए थे.

कोच्चि में मौजूद उन सैकड़ों महिला उद्यमियों में एक नाम नौरीन आयशा का भी है. नौरीन ने अपने पति नसीफ नजर के साथ मिलकर फेमिसेफ नाम का स्टार्ट-अप शुरू किया है. नसीफ नजर अपना ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद से ही विभिन्न उद्योगों में काम कर चुके हैं और उन्होंने सॉफ्टवेयर, मानव संसाधन और मार्केटिंग के फील्ड में काम किया है. 2020 में वह खुद उद्यमिता में उतर आए.

इस सम्मेलन में नौरीन ने कहा कि ‘कोच्चि जैसे गैर-मेट्रो शहरों से काम करने का मतलब पका दायरा छोटा होना भी होता है.’हालांकि, फेमिसेफ जो उत्पाद पेश करता है वह बहुत सामान्य नहीं है, इसलिए नौरीन का मानना है कि छोटे बाजार से शुरुआत करके अपनी पहचान बनाना और उसके बाद बड़े शहरों की ओर विस्तार करना बेहतर विकल्प है.

फेमिसेफ, कोच्चि, केरल में स्थित एक फेमिटेक कंपनी है और इसका विचार नौरीन आयशा और उनके पति नसीफ नज़र के बीच बातचीत से आया था.

असल में, कोविड-19 विश्वव्यापी महामारी के दौरान जब दोनों ने देखा कि सफाईकर्मियों को बहुत सारा सैनिटरी पैड्स का ढेर उठाना पड़ रहा था. असल में सफाई कर्मी भी कूड़ा उठाने हफ्ते में एक बार आते थे. नौरीन ने अपने एक इंटरव्यू में बताया, “खूनी पैड को नंगे हाथों से उठाते देखना भयानक था. सफाई कर्मचारियों को जेल को प्लास्टिक से अलग करना पड़ता था ताकि कचरे को संसाधित किया जा सके.”  

नौरीन आयशा अपने पति नसीफ नजर के साथ


न्हीं दिनों नसीफ ने नौरीन को सलाह दी कि उन्हें इस बारे में महिलाओं में जागरूकता पैदा करनी चाहिए कि वे पैड्स की जगह सैनिटरी कपों का इस्तेमाल करें क्योंकि एक कप का इस्तेमाल कई साल तक किया जा सकता है और यह कम खर्चीला भी है. इस बातचीत के बाद नौरीन ने रिसर्च शुरू कर दिया और 2020 में फेमिसेफ नाम के स्टार्ट-अप की शुरुआत हुई.

असल में नौरीन आयशा का स्टार्ट अप फेमिसेफ महिलाओं का बेस्ट फ्रेंड होने के टैग लाइन के साथ काम कर रहा है और वह महिलाओं की स्वच्छता की दिशा में काम कर रहा है. इसमें नए किस्म के पर्सनल केयर उत्पाद पेश किए जाते हैं. मसलन, मैंस्ट्रूअल कप, मैंस्ट्रूअल कप स्टेरीलाइजर, इंटीमेट वॉश, फेस रेजर्ज, बॉडी रेजर्स और स्किन केयर.

नौरीन और नसीफ ने अभी अपना सारा ध्यान बड़ी कंपनियों के नजरअंदाज किए गए छोटे बाजारों यानी टीयर 2 और टीयर 3 शहरों पर लगाया है. उसमें भी दक्षिण भारत उनकी प्राथमिकता है. फेमिसेफ के जरिए नौरीन महिलाओं के उम्दा उत्पाद पेश कर रही हैं पर साथ ही उनका ध्यान महिलाओं के बीच जागरूकता फैलाने पर भी है कि किस तरह पीरियड के दौरान उन्हें सफाई और स्वच्छता का ख्याल रखना चाहिए.

उन्होंने कहा है कि दक्षिण भारत पर उनका ध्यान इसलिए अधिक है क्योंकि उन्हें दक्षिण भारत की सांस्कृतिक समझ अधिक है.

फेमिसेफ के उत्पाद


सल में, देश में गैर-कामकाजी महिलाओं में अपने माहवारी के दिनों को लेकर कम जागरूक हैं और अपने बुनियादी स्वच्छता की जरूरतों पर बात करने से हिचकती हं.

एक अनुमानित आंकड़े के मुताबिक, देश में सालाना 12.3 अरब सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल किया जाता है. यह संख्या काफी अधिक है लेकिन इसको सकारात्मक रूप से लिया जाना चाहिए. लेकिन, इसके साथ ही यह समस्या भी है कि अभी भी देश की आधी से थोड़ी कम महिला आबादी को डिस्पोडजेबल सैनिटरी नैपकिन मिल नहीं पा रही है. इसलिए माहवारी स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी पहल का स्वागत किया जाना चाहिए.

 इस समस्या को एक अलग कोण से देखने की भी जरूरत है. सैनिटरी नैपकिन्स को लेकर पर्यावरणीय मुद्दे भी हैं क्योंकि इस्तेमाल के बाद उन्हें लैंडफिल साइट्स तक लाया जाता है और फिर उनको नष्ट होने में कई साल लगते है और इसका बुरा असर पर्यावरण पर पड़ता है.

ऐसी स्थिति में मैंस्ट्रूअल कप जैसे उत्पाद तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. डॉ. सोनिल सिंह कहती हैं, “टेंपोन, नैपकिन आदि उत्पादों के बीच मैंस्ट्रूअल कप सबसे बेहतर हैं. क्योंकि वह बढ़िया होते हैं और पर्यावरण हितैषी भी. साथ ही, वह आरामदायक भी होते हैं.”

नौरीन आयशा अपने वेबसाइट पर लिखती हैं, अभी हम सोशल मीडिया के जरिए समाज के एक तबके तक अपनी पहुंच बना रहे हैं. उन्हें हम लगातार जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए सेमिनार, वर्कशॉप और सत्र भी आयोजित कर रहे हैं.

स बारे मे नौरीन के मुताबिक, फेमिसेफ अब मैंस्ट्रूअल क्रैंप पैच, हेल्थ सप्लिमेंट्स और स्किन केयर, माउथ केयर और बेबी केयर के उत्पादों के साथ बाजार में उतरने की तैयारी में है.

फेमिसेफ का उत्पादों का अभी का टारगेट मार्केट छोटे शहर हैं और उनमें भी खास तौर पर उनका ध्यान कॉलेज की छात्राएं, कामकाजी पेशेवर महिलाएं और मांएं हैं. फेमिसेफ की अधिकतर बिक्री अमेजन, फ्लिपकार्ट और इसके खुद के वेबसाइट के जरिए होती है.

फेमिसेफ के उत्पाद कोच्चि और उसके आसपास के प्रमुख फार्मेसियों में भी उपलब्ध हैं. मौजूदा वक्त में, 30 लाख रुपये के निवेश के साथ स्टार्टअप के पास 1 करोड़ रुपये का एआरआर है. नौरीन अनुसंधान एवं विकास, मानव संसाधन और उत्पाद विकास को संभालती हैं जबकि नसीफ मार्केटिंग, ब्रांडिंग और फाइनेंस का ध्यान रखते हैं. यह वेंचर वाधवानी फाउंडेशन लिफ़्टऑफ़ और स्टैनफोर्ड सीड स्पार्क एक्सेलेरेटर प्रोग्राम का हिस्सा है.

लेकिन उनकी सबसे बड़ी बाधा समाज में, खासतौर पर मुस्लिम समाज में जागरूकता फैलाना है.

वह लिखती हैं, “इस कारोबार में जागरूकता फैलाना सबसे बड़ी चुनौती है, क्योंकि इस मामला ही कुछ ऐसा है. समाज में मैंस्ट्रूअल हाइजीन को लेकर एक वर्जना है और लोग इस पर बात करना पसंद नहीं करते हैं. इस चुनौती से निबटने में सोशल मीडिया ने काफी मदद की है. सोशल मीडिया लोगो को एकजुट करने का एक बेहतरीन मंच है, जिसके जरिए हम इन वर्जनाओं और जड़ता को खत्म कर सकते हैं.”

माहवारी से जुड़ी वर्जनाएं तो नौरीन खत्म कर ही रही हैं, पर एक रास्ता उन्होंने मुस्लिम महिला उद्यमियों को भी दिखाया है.

 

***