आवाज द वाॅयस / अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के भौतिकी विभाग ने 5 मई 2025 को एक ऐतिहासिक और ज्ञानवर्धक पहल करते हुए "परमाणु संरचना और परमाणु प्रतिक्रियाओं पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन" (ICNSNR-2025) का भव्य उद्घाटन किया. यह बहुप्रतीक्षित सम्मेलन परमाणु विज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक विशेषज्ञता और विचारों के आदान-प्रदान का सशक्त मंच बना, जिसमें भारत और विदेशों से आए ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों ने भाग लिया.
सम्मेलन का उद्घाटन परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB), भारत सरकार के अध्यक्ष डॉ. डी. के. शुक्ला ने किया. उन्होंने अपने विचारोत्तेजक उद्घाटन भाषण में इस बात पर जोर दिया कि परमाणु शक्ति केवल विद्युत उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव स्वास्थ्य सेवाओं, कृषि, औद्योगिक अनुप्रयोगों और राष्ट्रीय रणनीतिक आवश्यकताओं में भी व्यापक रूप से महसूस किया जा रहा है.
डॉ. शुक्ला ने परमाणु सुरक्षा, निगरानी और सतत नवाचार की आवश्यकता पर भी बल दिया.उन्होंने कहा कि “टेक्नोलॉजी का विकास तभी सार्थक है जब वह मानवीय कल्याण के लिए सुरक्षित और जिम्मेदार ढंग से उपयोग में लाई जाए.”
सम्मेलन को मिला AERB का उदार समर्थन
इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB) से विशेष सहयोग प्राप्त हुआ, जिसने इस आयोजन की वैज्ञानिक और नीतिगत दृष्टि से प्रासंगिकता को मान्यता दी. यह समर्थन इस बात का प्रमाण है कि भारत के नीति निर्माता परमाणु ऊर्जा से जुड़े उच्चस्तरीय विमर्श को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
कुलपति प्रो. नईमा खातून ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि एएमयू का भौतिकी विभाग देश में परमाणु अनुसंधान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और प्रभावशाली केंद्र रहा है. उन्होंने कहा, “यह सम्मेलन न केवल एएमयू की अकादमिक प्रतिष्ठा को और ऊँचाइयों पर ले जाएगा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक सोच को दिशा भी प्रदान करेगा.”
उन्होंने शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में विभाग के योगदान की सराहना करते हुए इसकी भविष्य की योजनाओं को भी रेखांकित किया.
प्रो. ए. के. जैन ने रेखांकित की वैज्ञानिक विरासत
आईआईटी रुड़की के प्रो. ए. के. जैन ने एएमयू में परमाणु अनुसंधान की ऐतिहासिक विरासत को उजागर किया. उन्होंने कहा कि “ऐसे सम्मेलन वैज्ञानिक सहयोग को सशक्त करते हैं और नई पीढ़ी के शोधकर्ताओं को प्रेरित करते हैं।” प्रो. जैन ने शिक्षा और अनुसंधान को जोड़ने के महत्व पर भी प्रकाश डाला.
एनपीसीआईएल के निदेशक (संचालन) डॉ. एस. डी. परसवार ने भारत की ऊर्जा जरूरतों के संदर्भ में परमाणु ऊर्जा की भूमिका को स्पष्ट किया. उन्होंने बताया कि “भारत में बढ़ती ऊर्जा मांगों के बीच सुरक्षित और दीर्घकालिक समाधान केवल परमाणु ऊर्जा जैसे टिकाऊ स्रोतों से ही संभव है.”
उन्होंने यह भी बताया कि भारत किस प्रकार अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए स्वदेशी परमाणु परियोजनाएं विकसित कर रहा है.
विभागीय इतिहास और परंपरा पर प्रो. ए. के. चौबे की आत्मीय प्रस्तुति
भौतिकी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. ए. के. चौबे ने विभाग की समृद्ध शैक्षणिक और शोध परंपराओं की चर्चा की। उन्होंने उन ऐतिहासिक क्षणों को साझा किया जिन्होंने विभाग को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित किया. उन्होंने छात्रों और शोधकर्ताओं से आह्वान किया कि वे विज्ञान में नवाचार और मानवीय मूल्यों को साथ लेकर चलें.
विज्ञान संकाय के डीन प्रो. सरताज तबस्सुम ने सम्मेलन के आयोजन में भौतिकी विभाग की भूमिका की सराहना की. उन्होंने कहा कि “यह आयोजन न केवल एएमयू के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, बल्कि संकाय की उस प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है जो उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए है.”
सम्मेलन के संयोजक और भौतिकी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अनीसुल ऐन उस्मानी ने उद्घाटन सत्र में स्वागत भाषण दिया. उन्होंने सम्मेलन की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य वैज्ञानिकों के बीच सार्थक संवाद को बढ़ावा देना और परमाणु संरचना एवं प्रतिक्रियाओं के उभरते विषयों पर गंभीर विमर्श स्थापित करना है//
ICNSNR-2025 न केवल एक वैज्ञानिक आयोजन था, बल्कि यह भारतीय विज्ञान और शोध परंपरा का एक प्रतिबिंब था, जिसने एएमयू को फिर से केंद्र में ला खड़ा किया – एक ऐसे मंच के रूप में जहाँ विचार, नवाचार और उत्कृष्टता की संगति देखने को मिली. आने वाले वर्षों में यह सम्मेलन परमाणु विज्ञान की दिशा में कई नई पहल का आधार बन सकता है.