नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए भारत की सेना, खुफिया एजेंसियों और वैज्ञानिकों को “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता पर सैल्यूट किया. उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की, और अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की आतंक के खिलाफ नई नीति का प्रतीक बन चुका है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “यह ऑपरेशन सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, यह भारत की बेटियों के सिंदूर की रक्षा की प्रतिज्ञा थी। हमने आतंकवादियों को उनके ही गढ़ में ढूंढकर मारा। बहावलपुर और मुरीदके जैसे ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन से सटीक हमले किए गए। 100 से अधिक खूंखार आतंकी मारे गए।”
प्रधानमंत्री ने पहलगाम की घटना को देश की आत्मा को झकझोरने वाली बताया और कहा कि “मासूम पर्यटकों को धर्म पूछकर मौत के घाट उतारना एक बर्बरता थी। पूरे देश ने इस पर एकस्वर में कड़ी कार्रवाई की मांग की और हमने अपनी सेनाओं को पूरी छूट दी।”
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर जवाबी हमला करते हुए उनके ट्रेनिंग सेंटर और इंफ्रास्ट्रक्चर को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि भारत की मिसाइलें और ड्रोन्स, पाकिस्तान की घमंड भरी वायुसेना और उनके एयरबेस को भारी नुकसान पहुँचा चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की नई रणनीति है। अब कोई भी आतंकी हमला भारत पर होगा तो भारत अपने तरीके से और अपनी शर्तों पर जवाब देगा।
तीन प्रमुख बिंदु उन्होंने सामने रखे:
भारत आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल और एयर स्ट्राइक जैसे निर्णायक हमले करता रहेगा।
न्यूक्लियर ब्लैकमेल अब नहीं चलेगा।
आतंक की सरपरस्ती करने वाली सरकार और आतंकी अब अलग नहीं देखे जाएंगे।
उन्होंने कहा, “अब टेरेरिज्म और टॉक, टेरेरिज्म और ट्रेड एक साथ नहीं चल सकते। पाकिस्तान को अब अपने आतंक नेटवर्क का सफाया करना ही होगा वरना वह खुद समाप्त हो जाएगा।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस ऑपरेशन ने ‘मेड इन इंडिया’ हथियारों की विश्वसनीयता को भी प्रमाणित किया है। न्यू एज वॉरफेयर में भारत की श्रेष्ठता अब दुनिया के सामने है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी दो टूक कहा, “पाकिस्तान से अगर कोई बातचीत होगी, तो सिर्फ आतंकवाद या फिर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) पर होगी। शांति का रास्ता शक्ति से होकर जाता है।”
बुद्ध पूर्णिमा के दिन दिए गए इस संबोधन में प्रधानमंत्री ने शांति के रास्ते को अपनाने की बात तो की, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि यदि भारत को अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए शक्ति का प्रयोग करना पड़ा तो वह एक क्षण भी नहीं हिचकेगा।