जिसने आतंकियों के जनाजे की अगुवाई की, वो निकला अमेरिका का मोस्ट वांटेड अतंकवादी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 13-05-2025
The person who led the funeral procession of the terrorists turned out to be a terrorist on America's wanted list
The person who led the funeral procession of the terrorists turned out to be a terrorist on America's wanted list

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली

पाकिस्तान एक बार फिर वैश्विक मंच पर कटघरे में है। इस बार वजह है—‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के जनाजे की अगुवाई करने वाला वही व्यक्ति, जिसे पाकिस्तान की फौज "आम नागरिक" बता रही थी, अमेरिका की वांछित आतंकियों की सूची में नामजद पाया गया है.

दरअसल, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुदरिके शहर में स्थित लश्कर-ए-तैयबा के एक प्रमुख ठिकाने पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई सटीक कार्रवाई में कई आतंकवादी मारे गए.

इन आतंकियों के जनाजे की अगुवाई करने वाले व्यक्ति को पाकिस्तान की सेना के मीडिया विंग—इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR)—के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने एक प्रेस वार्ता में 'आम आदमी' करार दिया.

लेकिन चौधरी द्वारा सार्वजनिक रूप से बताए गए विवरण ने खुद पाकिस्तान की ही पोल खोल दी. उन्होंने हाफिज अब्दुल रऊफ नामक व्यक्ति की राष्ट्रीय पहचान संख्या (CNIC), जन्मतिथि (25 मार्च 1973) और उसका पता (लाहौर) प्रेस को बताया.

यह विवरण अमेरिका के वित्त विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (Office of Foreign Assets Control – OFAC) द्वारा प्रकाशित आतंकियों की सूची से हूबहू मेल खा गया.

OFAC की 'स्पेशली डिजिग्नेटेड नेशनल्स एंड ब्लॉक्ड पर्सन्स लिस्ट' (SDN List) में दर्ज जानकारी के अनुसार, हाफिज अब्दुल रऊफ वर्ष 1999 से लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष नेतृत्व का हिस्सा है और उसे कई आतंकवादी गतिविधियों का मास्टरमाइंड माना जाता है.

चौंकाने वाली बात यह है कि पाकिस्तान, जो वैश्विक मंचों पर खुद को आतंकवाद से पीड़ित देश बताता है, उसी का सेना प्रमुख सार्वजनिक रूप से एक नामजद वैश्विक आतंकी को सामान्य नागरिक बताने की कोशिश करता है.

इससे यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान आतंकियों को संरक्षण देने की नीति पर अब भी कायम है और 'आतंक के खिलाफ लड़ाई' का उसका दावा खोखला है.

भारत सरकार की ओर से इस खुलासे को गंभीरता से लिया गया है. दिल्ली स्थित पत्र सूचना कार्यालय (PIB) की ओर से सोमवार रात जारी एक बयान में कहा गया,

“आईएसपीआर के महानिदेशक द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस में साझा की गई जानकारी अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित हाफिज अब्दुल रऊफ की पहचान से पूरी तरह मेल खाती है. रऊफ लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष नेतृत्व में शामिल है और उस पर 1999 से अब तक कई आतंकी घटनाओं में संलिप्त रहने का आरोप है.”

इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान की सरकार और सेना, आतंकियों के लिए सॉफ्ट कॉर्नर बनाए रखने की नीति से कभी पीछे नहीं हटी.

भारत का स्टैंड और अंतरराष्ट्रीय असर

यह खुलासा ऐसे समय पर सामने आया है जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारत में राष्ट्रवाद की एक नई लहर देखी जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी थी और आतंकियों के खात्मे की कार्रवाई को "सीमा पार न्याय" करार दिया था.

अब जबकि पाकिस्तान खुद अपनी गलती के सबूत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने रख चुका है, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र और FATF जैसे संस्थान इसपर क्या रुख अपनाते हैं.

क्या है OFAC और उसकी सूची?

OFAC, यानी अमेरिका का 'ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल', अमेरिकी वित्त मंत्रालय की एक शाखा है जो अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों, माफिया नेटवर्क और प्रतिबंधित संगठनों की सूची बनाती है.

इस सूची में शामिल किसी भी व्यक्ति या संस्था की अमेरिका या उसके सहयोगी देशों में संपत्ति जब्त कर ली जाती है और उनके साथ कोई भी आर्थिक लेन-देन गैरकानूनी माना जाता है.

हाफिज अब्दुल रऊफ का नाम इस सूची में होना और पाकिस्तान की ओर से उसे सामान्य नागरिक बताना, सीधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अवहेलना और आतंकवाद के प्रति पाकिस्तान की दोहरी नीति को दर्शाता है.

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सफल संचालन के बाद भारत ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि आतंकवाद को उसकी जमीन पर जाकर जवाब दिया जाएगा. लेकिन पाकिस्तान की यह चाल—जहां एक नामी आतंकी को 'आम आदमी' के रूप में पेश करने की कोशिश की गई—यह बताती है कि सीमा पार आतंक के खिलाफ लड़ाई आसान नहीं है.