गरीब नवाज योजना: मुस्लिम के लिए रोजगार और कौशल का बेहतर जरिया

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 06-07-2022
गरीब नवाज योजना: मुस्लिम के लिए रोजगार और कौशल का बेहतर जरिया
गरीब नवाज योजना: मुस्लिम के लिए रोजगार और कौशल का बेहतर जरिया

 

डॉ शुजात अली कादरी

भारत के महान सूफी-संत हैं हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती. उन्हें गरीब नवाज भी कहा जाता है. ख्वाजा गरीब नवाज को खेराज-ए-अकीदत पेश करते हुए उनके नाम पर बनाई गई रोजगार योजना ‘गरीब नवाज स्कीम’ अल्पसंख्यक समुदायों के युवाओं के लिए बड़ा सहारा बन गई है. इसके माध्यम से युवाओं को रोजगार के योग्य और कौशल में निपुण (हुनरमंद, माहिर) बनाया जाता है.

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही इस स्कीम को देश के 100जिलों के 371गरीब नवाज कौशल केंद्रों के माध्यम से लागू किया गया है.यह योजना 2017में अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं की रोजगार पर ध्यान केंद्रित करके उन्हें सशक्त बनाने की मोदी सरकार की पहल के हिस्से के रूप में शुरू की गई थी. अल्पसंख्यक मंत्रालय के तत्वावधान में एक स्वायत्त निकाय मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन इस योजना को लागू करता है.

मंत्रालय प्रत्येक केंद्र को एक लाख से 50लाख रुपये की वित्तीय सहायता देता है.आवंटित राशि कोर्स के समय के अनुसार बढ़ती जाती है.एमएईएफ द्वारा संचालित केंद्रों में रजिस्ट्रेशन करने वाले युवाओं को अल्पकालिक रोजगारोन्मुखी कौशल विकास पाठ्यक्रम पूरा करना होता है. ये पाठ्यक्रम युवाओं को विभिन्न रोजगार केंद्रित कौशल सीखने में सक्षम बनाते हैं, ताकि प्रशिक्षण के बाद उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जा सके.

पाठ्यक्रम पूरा करने वाले उम्मीदवारों को जीएसटी अकाउंटिंग, प्रोग्रामिंग, और अन्य रोजगार से संबंधित क्षेत्रों जैसे व्यावसायिक कौशल के प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जाता है. मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि बायोडिग्रेडेबल कचरे से खाद तैयार करने और सफाई में नवीनतम तकनीक और मशीनों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा.

इन पाठ्यक्रमों में स्वास्थ्य सेवाओं, मोबाइल और लैपटॉप की मरम्मत, कंप्यूटर हार्डवेयर और नेटवर्किंग, खुदरा प्रबंधन कार्यक्रम, मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग, सुरक्षा गार्ड ट्रेनिंग, हाउसकीपिंग में पाठ्यक्रम आदि पर सर्टिफिकेट कोर्सेज भी शामिल हैं.भारत के मुस्लिम, सिख, जैन, ईसाई, पारसी और बौद्ध जैसे समुदाय से संबंधित सभी युवा ऑनलाइन फॉर्म आसानी से भरकर सर्टिफिकेट कोर्स में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन कर सकते हैं.

मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, उम्मीद के मुताबिक कौशल केंद्रों में पंजीकृत ज्यादातर युवा, मुस्लिम हैं. नामांकित युवाओं में 90प्रतिशत से अधिक मुसलमान हैं.मंत्रालय ने सुनिश्चित किया है कि प्रशिक्षित युवाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिया जाए. इस उद्देश्य के लिए मंत्रालय ने पैनल में शामिल प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन एजेंसियों (पीआईए) को कुल प्रशिक्षित प्रशिक्षुओं में से 70प्रतिशत की भर्ती करने का अधिकार दिया है.

आंकड़ों के अनुसार, एमएईएफ ने भारत के 31राज्यों के 1,06,600लाभार्थियों को नौकरियों में नियुक्ति के लिए 108पीआईए में भेजा है, जिसमें उन्हें प्रशिक्षित किया गया है.साथ ही हितग्राहियों को अधिकतम तीन माह का मासिक वजीफा और रोजगार मिलने के बाद अधिकतम दो माह की नियुक्ति के बाद सहायता का भुगतान भी किया जा रहा है. यह सहायता राशि सीधे उनके खातों में स्थानांतरित की जाती है.

देश के 371 केंद्रों में से कुल 9,620 प्रशिक्षुओं के आवंटन के साथ उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में कुल 65 गरीब नवाज ट्रेनिंग सेंटर खोले गए हैं. ये सेंटर नोएडा, लखनऊ, रामपुर, प्रयागराज (इलाहाबाद) और शाहजहांपुर जैसे प्रमुख जिलों में हैं. भारत के अन्य प्रमुख शहर जहां ये केंद्र स्थापित किए गए हैं, उनमें महाराष्ट्र के मुंबई और नागपुर, मध्य प्रदेश में भोपाल और इंदौर, हरियाणा में मेवात और पानीपत, बिहार में पटना और किशनगंज और झारखंड में रांची और गिरिडीह हैं.

अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि गरीब नवाज कौशल विकास केंद्र सशक्तिकरण केंद्र साबित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय अल्पसंख्यक समुदायों के गरीब लोगों को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रहा है और गरीब नवाज रोजगार योजना ऐसी ही एक विशेष योजना है.

(लेखक पत्रकार हैं और मुस्लिम स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन हैं.)