मलिक असगर हाशमी
भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!
इन गूंजते नारों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन का समापन किया. मगर इस बार कुछ अलग था. आमतौर पर ‘वंदे मातरम्’ के नारे के साथ समाप्त होने वाले प्रधानमंत्री के भाषण में पहली बार ‘भारत माता की जय’ की तीन गूंजती पुकारों ने एक नया संदेश दिया — देशभक्ति, एकजुटता और निर्णायक कार्रवाई का.
यह भाषण केवल एक औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं थी. यह एक भावनात्मक और राष्ट्रीय चेतना से भरा ऐलान था कि भारत अब आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा. प्रधानमंत्री मोदी के इस संबोधन में कई विशेषताएं रहीं, लेकिन सबसे अहम बात थी – सियासत से परे जाकर केवल देश और देशवासियों के लिए बोलना.
देश के एक वर्ग को वंदेमातरम का नारा थोड़ा असहज कर देता है. मगर पीएम मोदी ने अपने संबोधिन में उन्हें भी इसका मौका नहीं दिया. सबके जज्बात का ख्याल रखा.पीएम मोदी के संबोधन से बात-बात में हिंदू-मुसलमान करने वाले भी अवश्य ही मायूस हुए होंगे.
प्रधानमंत्री ने सेना, वैज्ञानिकों और जनता को दिया पूरा श्रेय
आमतौर पर सरकारें ऐसे सैन्य अभियानों को सियासी लाभ के रूप में पेश करती हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का श्रेय सिर्फ और सिर्फ भारतीय सेना, खुफिया एजेंसियों, वैज्ञानिकों और देश की एकजुट जनता को जाता है.उन्होंने कहा –"देश जब एकजुट होता है, तो बड़े से बड़ा फैसला भी लिया जा सकता है."
एकता की मिसाल: विपक्ष और सरकार एक सुर में
प्रधानमंत्री के संबोधन का सबसे उज्ज्वल पक्ष था – देश की एकजुटता को खुलकर स्वीकार करना. मोदी ने न सिर्फ सशस्त्र बलों की वीरता की सराहना की, बल्कि विपक्षी दलों और समाज के विभिन्न वर्गों की एकजुटता को भी खुले दिल से सम्मान दिया. उन्होंने कहा कि जब देश एक साथ खड़ा होता है, तब भारत हर चुनौती का सामना कर सकता है.
यह दृश्य देश में वर्षों बाद देखने को मिला जब राजनीतिक मतभेदों को किनारे रखकर सभी दल, सभी समुदाय एक मंच पर दिखे और आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई का समर्थन करते नज़र आए.
विपक्ष अक्सर प्रधानमंत्री मोदी पर ‘आपदा में अवसर’ की राजनीति करने का आरोप लगाता रहा है. लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.प्रधानमंत्री के संबोधन में न सियासी इशारे थे, न श्रेय लेने की होड़.उनका पूरा ध्यान इस पर था कि देश कैसे एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम उठा रहा है, और कैसे सेना, खुफिया एजेंसियां और नागरिक एक साथ मिलकर आतंक के सफाए के मिशन में योगदान दे रहे हैं.
"हमने आतंकियों को उनकी कल्पना से परे जवाब दिया है," – प्रधानमंत्री ने यह संदेश पाकिस्तान और उनके समर्थित आतंकी संगठनों को दिया.
संदेश साफ था – नया भारत अब चुप नहीं रहेगा
प्रधानमंत्री ने पहलगाम आतंकी हमले को न सिर्फ एक कायराना हरकत कहा, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि अब भारत हर हमले का जवाब अपनी शर्तों पर देगा.‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि न्याय की प्रतिज्ञा बताया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संबोधन केवल शब्दों की प्रस्तुति नहीं था, बल्कि यह एक भावनात्मक-सैन्य-सामाजिक दस्तावेज था, जिसमें नई सदी के भारत की झलक थी –जो अपनी बेटियों का सिंदूर मिटने पर चुप नहीं बैठता,जो सीमा पार छिपे आतंकियों को भी उनके अंजाम तक पहुंचाता है र जो राजनीति नहीं, एकता को अपना असली हथियार मानता है.
"भारत माता की जय" के नारों के साथ यह संबोधन समाप्त हुआ, लेकिन देशवासियों के दिलों में यह संकल्प अंकित कर गया – आतंक का अंत, एकता के संग.