कैमरून की स्वतंत्रता संग्राम में फ्रांस की ‘दमनकारी हिंसा’ को मैक्रों ने माना

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 13-08-2025
Macron acknowledges France's 'repressive violence' during Cameroon's independence struggle
Macron acknowledges France's 'repressive violence' during Cameroon's independence struggle

 

डकार (सेनेगल) 

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने स्वीकार किया है कि 1960 में स्वतंत्रता से पहले और बाद में फ्रांस ने कैमरून में “दमनकारी हिंसा” से भरा युद्ध लड़ा था। यह फ्रांस की ओर से पहली बार आधिकारिक स्वीकारोक्ति है कि उसने कैमरून के स्वतंत्रता आंदोलन को युद्ध के रूप में दबाया।

पिछले महीने कैमरून के राष्ट्रपति पॉल बिया को भेजे गए इस पत्र को मंगलवार को सार्वजनिक किया गया। यह पत्र जनवरी में प्रकाशित उस रिपोर्ट के बाद आया है, जिसे फ्रांसीसी और कैमरूनियाई इतिहासकारों की संयुक्त आयोग ने तैयार किया था। रिपोर्ट में खुलासा किया गया था कि 1945 से 1971 के बीच फ्रांस ने बड़े पैमाने पर जबरन विस्थापन किए, लाखों कैमरूनियाई लोगों को हिरासत शिविरों में बंद किया और स्वतंत्रता व संप्रभुता की लड़ाई को कुचलने के लिए क्रूर मिलिशिया को समर्थन दिया।

यह आयोग 2022 में मैक्रों की याउंडे यात्रा के दौरान गठित हुआ था, जिसने 1 जनवरी 1960 को कैमरून की स्वतंत्रता से पहले और उसके बाद के वर्षों में फ्रांस की भूमिका की जांच की।

मैक्रों के पत्र में लिखा है,"इतिहासकारों के काम के अंत में यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि कैमरून में एक युद्ध हुआ था, जिसमें औपनिवेशिक अधिकारियों और फ्रांसीसी सेना ने देश के कुछ क्षेत्रों में कई तरह की दमनकारी हिंसा की। यह युद्ध 1960 के बाद भी जारी रहा, जिसमें फ्रांस ने स्वतंत्र कैमरूनियाई सरकार की कार्रवाइयों को समर्थन दिया।"

मैक्रों ने यह भी स्वीकार किया कि फ्रांस का हाथ स्वतंत्रता सेनानियों रूबेन उम न्योबे, पॉल मोमो, इसाक न्योबे पांजॉक और जेरिमी नदेलने की मौत में था, जिन्हें 1958 से 1960 के बीच फ्रांसीसी कमान में चलाए गए सैन्य अभियानों में मार दिया गया था।

कैमरून प्रथम विश्व युद्ध के अंत तक जर्मनी का उपनिवेश था। युद्ध के बाद इसे ब्रिटेन और फ्रांस में बांट दिया गया। फ्रांस-प्रशासित हिस्सा 1960 में स्वतंत्र हुआ और अगले वर्ष दक्षिणी ब्रिटिश कैमरून भी संघ में शामिल हो गया।