संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इज़राइल को चेतावनी दी है कि संयुक्त राष्ट्र के पास “विश्वसनीय जानकारी” है जिसमें इज़रायली बलों द्वारा हिरासत में रखे गए फ़िलिस्तीनियों के साथ यौन हिंसा और अन्य उल्लंघनों के आरोप शामिल हैं। वहीं, इज़राइल के संयुक्त राष्ट्र राजदूत डैनी डैनन ने इन आरोपों को “आधारहीन” बताते हुए खारिज कर दिया।
गुटेरेस ने डैनन को भेजे पत्र में कहा कि उन्हें इज़रायली सैन्य और सुरक्षा बलों द्वारा कई जेलों, एक हिरासत केंद्र और एक सैन्य अड्डे में फ़िलिस्तीनियों के खिलाफ कथित उल्लंघनों की रिपोर्टों पर “गंभीर चिंता” है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ये पैटर्न जारी रहे तो इज़रायली बलों का नाम उनके अगले “सशस्त्र संघर्षों में यौन हिंसा” संबंधी रिपोर्ट में सूचीबद्ध किया जा सकता है।
डैनन ने मंगलवार को यह पत्र और अपना जवाब साझा करते हुए कहा,"ये आरोप पक्षपातपूर्ण प्रकाशनों पर आधारित हैं। संयुक्त राष्ट्र को हमास के युद्ध अपराधों और यौन हिंसा पर ध्यान देना चाहिए और सभी बंधकों की रिहाई के लिए काम करना चाहिए।"
डैनन का इशारा 7 अक्तूबर 2023 को हमास के दक्षिणी इज़राइल पर हमले की ओर था, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए और करीब 250 लोगों को बंधक बना लिया गया था। इज़रायली अधिकारियों ने दावा किया था कि हमले में महिलाओं के साथ बलात्कार और यौन शोषण हुआ।
इस हमले के बाद गाज़ा में जारी युद्ध में अब तक 61,400 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। गाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इनमें से लगभग आधे महिलाएं और बच्चे हैं, हालांकि यह नहीं बताया गया कि कितने लड़ाके थे और कितने नागरिक।
गुटेरेस ने पत्र में कहा कि इज़राइल द्वारा संयुक्त राष्ट्र मॉनिटरों को प्रवेश न देने के कारण यौन हिंसा के पैटर्न और रुझानों पर “पुख्ता निष्कर्ष” निकालना मुश्किल रहा है। उन्होंने इज़राइल से तुरंत सभी यौन हिंसा की घटनाओं को रोकने, विश्वसनीय आरोपों की जांच कराने, सैन्य और सुरक्षा बलों के लिए स्पष्ट आचार संहिता लागू करने और संयुक्त राष्ट्र मॉनिटरों को निर्बाध पहुंच देने की अपील की।
मार्च में संयुक्त राष्ट्र समर्थित मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इज़राइल पर “यौन, प्रजनन और अन्य लैंगिक हिंसा के व्यवस्थित इस्तेमाल” का आरोप लगाया था। आयोग ने कहा था कि उसके पास ऐसे कई मामलों का दस्तावेजी सबूत है, जिनमें फ़िलिस्तीनी महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के साथ बलात्कार और यौन हिंसा शामिल है।
उस समय, इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को “यहूदी-विरोधी और अप्रासंगिक संस्था” बताते हुए खारिज कर दिया था, लेकिन रिपोर्ट के निष्कर्षों पर सीधे तौर पर प्रतिक्रिया नहीं दी थी।