गाज़ा हिंसा पर मुस्लिम संगठनों का फ्रांस सरकार से निर्णायक कदम उठाने का आग्रह

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 13-08-2025
Muslim organizations urge French government to take decisive action on Gaza violence
Muslim organizations urge French government to take decisive action on Gaza violence

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली

जमात-ए-इस्लामी हिन्द के नेतृत्व में देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को भारत स्थित फ्रांस दूतावास के राजनीतिक काउंसलर  शाद जॉयनल अबेदीन से मुलाक़ात की. प्रतिनिधिमंडल ने गाज़ा में जारी हिंसा और मानवीय संकट पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए फ्रांस सरकार से ठोस और सार्थक भूमिका निभाने की अपील की.

प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि भारत के शांति-प्रिय और न्यायप्रिय नागरिकों तथा मुस्लिम संगठनों की ओर से फ्रांस दूतावास के माध्यम से फ्रांस सरकार तक यह संदेश पहुँचाया जा रहा है कि गाज़ा में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए तुरंत अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जाए और पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं.

बैठक के दौरान फ्रांस सरकार के समक्ष पांच प्रमुख मांगें रखी गईं:

1. हिंसा पर नैतिक रुख और सार्वजनिक बयान

प्रतिनिधिमंडल ने आग्रह किया कि फ्रांस सरकार गाज़ा में चल रही अंधाधुंध हिंसा और नागरिकों व नागरिक ढांचों पर हो रहे हमलों के खिलाफ स्पष्ट, नैतिक और ठोस रुख अपनाए.

यह न केवल अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है बल्कि मानवीय संकट को और गहरा कर रहा है. फ्रांस को इस पर एक सशक्त सार्वजनिक बयान जारी करना चाहिए, जिसमें नागरिकों की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन की मांग हो.

2. जवाबदेही के समर्थन में पहल

प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि फ्रांस सरकार अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) द्वारा जारी इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के गिरफ्तारी वारंट का समर्थन करे. इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव का भी समर्थन करे, जिसमें इजरायल के अवैध कब्जे को समाप्त करने की मांग की गई है.

3. इजरायल से संबंध तोड़ना

तीसरी प्रमुख मांग यह थी कि फ्रांस सरकार, जब तक इजरायल अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन नहीं करता और गाज़ा में अपनी आक्रामक कार्रवाई बंद नहीं करता, तब तक उससे सैन्य, आर्थिक और राजनयिक संबंध निलंबित करे. प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि केवल निंदा से काम नहीं चलेगा, बल्कि ठोस राजनीतिक और आर्थिक दबाव ही इस हिंसा को रोक सकता है.

4. मानवीय सहायता और राहत प्रयास

प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि फ्रांस को गाज़ा के पीड़ितों के लिए बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता भेजनी चाहिए, जिसमें भोजन, पानी, ईंधन और दवाइयों की तत्काल आपूर्ति शामिल हो. इसके लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA) को आर्थिक मदद देने और मानवीय गलियारों को तत्काल खोलने की दिशा में सक्रिय कूटनीतिक पहल करने की जरूरत है.

5. फिलिस्तीनियों के अधिकार और आत्मनिर्णय का समर्थन

प्रतिनिधिमंडल ने ज़ोर देकर कहा कि फ्रांस को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत फिलिस्तीनी जनता के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करना चाहिए. इसमें कब्जे के खिलाफ प्रतिरोध का अधिकार, अपनी चुनी हुई प्रतिनिधि सरकार के तहत शासन का अधिकार, और गरिमा, संप्रभुता एवं स्वतंत्र भविष्य का अधिकार शामिल है.

प्रतिनिधिमंडल ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मुद्दा केवल फिलिस्तीन का नहीं, बल्कि पूरी मानवता का है. निर्दोष नागरिकों का रक्तपात, बच्चों की मौतें, अस्पतालों और शरण स्थलों पर बमबारी किसी भी सभ्य समाज के लिए अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि फ्रांस जैसे लोकतांत्रिक और मानवाधिकारों के पक्षधर देश की ज़िम्मेदारी है कि वह इस अन्याय के खिलाफ निर्णायक कदम उठाए.

इस संयुक्त प्रतिनिधिमंडल में जमात-ए-इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एसक्यूआर इलियास, मरकज़ी जमीयत अहले हदीस, दिल्ली के अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद नदीम सिद्दीकी सल्फी, जमात-ए-इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय सचिव मोहम्मद शफ़ी मदनी, स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया (SIO) के महासचिव एडवोकेट अनीस-उर-रहमान, और जमात-ए-इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय सहायक सचिव डॉ. रिज़वान रफ़ीकी शामिल थे.

प्रतिनिधिमंडल के नेताओं ने कहा कि गाज़ा में जारी हालात केवल स्थानीय संघर्ष नहीं हैं, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय न्याय, मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय कानून की साख का सवाल है. अगर दुनिया ने अब भी चुप्पी साधी, तो यह न केवल फिलिस्तीनियों के लिए, बल्कि वैश्विक मानवाधिकार व्यवस्था के लिए भी एक गहरा आघात होगा.

बैठक के अंत में प्रतिनिधिमंडल ने उम्मीद जताई कि फ्रांस सरकार अपनी ऐतिहासिक मानवाधिकार प्रतिबद्धताओं को ध्यान में रखते हुए गाज़ा के लिए निर्णायक और साहसी कदम उठाएगी, ताकि निर्दोष ज़िंदगियों को बचाया जा सके और मध्य-पूर्व में स्थायी शांति की राह प्रशस्त हो सके.