कश्मीर की पहली महिला मूर्तिकारः सबरीना फिरदौस ने मूर्ति कला को जीवंत किया

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 01-09-2023
Sabrina Firdous
Sabrina Firdous

 

आवाज-द वॉयस / श्रीनगर

श्रीनगर के गुलाब बाग हजरतबल की 22 वर्षीय मूर्तिकार सबरीना फिरदौस अपनी रचनात्मक कलाकृति से लोगों का दिल जीत रही हैं. वह सिर्फ मिट्टी को आकार नहीं दे रही है, वह मूर्ति कला को नए आयाम भी दे रही हैं. अपनी मनमोहक रचनाओं से कला जगत पर अमिट छाप छोड़ने वाली सबरीना फिरदौस को इस क्षेत्र की पहली महिला मूर्तिकार कलाकार होने का गौरव प्राप्त है.

2001 में जन्मी सबरीना का बचपन में मिट्टी के प्रति आकर्षण से लेकर एक अग्रणी मूर्तिकार बनने तक का सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है. वर्तमान में कश्मीर विश्वविद्यालय में संगीत और ललित कला में अपनी डिग्री हासिल कर रही सबरीना कम यात्रा वाले रास्ते पर चल पड़ी हैं, जो समर्पण, लचीलेपन और अपनी कला के प्रति उत्कट जुनून से चिह्नित है.

एक कलाकार का मार्ग चुनौतियों से रहित नहीं होता. सबरीना उन संघर्षों को स्वीकार करती हैं, जिनका उन्होंने सामना किया है - वित्तीय अस्थिरता जो अक्सर कलात्मक गतिविधियों को प्रभावित करती है, प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में खड़े होने का दबाव, और आत्म-संदेह और रचनात्मक रुकावटों के खिलाफ आंतरिक लड़ाई. फिर भी, यही चुनौतियाँ उसके विकास के लिए उत्प्रेरक रही हैं.

सबरीना कहती हैं, ‘‘मेरे संघर्ष मेरी रचनात्मक अभिव्यक्ति की गहराई में योगदान करते हैं.’’ सबरीना इस बात पर जोर देती है कि कैसे उसकी कला उसकी भावनाओं, विचारों और दृष्टिकोणों को प्रसारित करने का एक तरीका है.

सबरीना के लिए, कला सिर्फ एक व्यवसाय से कहीं अधिक है, यह एक ज्वलंत जुनून है जो उसकी हर रचना को ऊर्जा देता है. वह स्पष्ट करती हैं, ‘‘यह वह आग है जो मेरी कल्पना को प्रज्वलित करती है और मुझे नए क्षितिज तलाशने के लिए प्रेरित करती है.’’ इस अडिग जुनून ने उन्हें अपने कौशल को निखारने और विभिन्न तकनीकों के साथ प्रयोग करने के लिए निरंतर प्रयास करने के लिए प्रेरित किया है. अपनी कला के माध्यम से, वह भाषाई और सांस्कृतिक बाधाओं को पार करते हुए दुनिया के साथ गहन स्तर पर संवाद करती है.

 


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उनकी कलात्मक यात्रा में 2019 में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब उन्होंने मूर्तिकला कला की दुनिया में कदम रखा. शुरुआत में स्व-शिक्षित, बाद में वह संगीत और ललित कला में बीए कार्यक्रम के लिए 2020 में कश्मीर विश्वविद्यालय में शामिल हो गईं. पिछले तीन वर्षों में, सबरीना ने मिट्टी की नक्काशी, पत्थर की नक्काशी, सुलेख, पेंटिंग और चित्र रेखाचित्र सहित विभिन्न कलात्मक रूपों की खोज की है. उनकी रचनाओं, जो अक्सर इंस्टाग्राम पर साझा की जाती हैं, ने अपनी गहनता और भावनात्मक अनुनाद के लिए व्यापक प्रशंसा प्राप्त की है.

सीमाओं को आगे बढ़ाने और सम्मेलनों को चुनौती देने की अपनी खोज में, सबरीना ने श्रीनगर के निगीन झील में आयोजित कोलोरेक्टल कैंसर जागरूकता पर केंद्रित एक कार्यक्रम ‘‘वैली 2022 के पहले ब्लूथॉन’’ में भाग लिया. उनकी उल्लेखनीय रचनात्मकता ने उन्हें रचनात्मक कला प्रतियोगिता में शीर्ष स्थान दिलाया, जिससे कला को सामाजिक जागरूकता के साथ मिलाने की उनकी क्षमता का प्रदर्शन हुआ.

अपने कलात्मक प्रयासों से परे, सबरीना बहुमुखी प्रतिभा का प्रतीक है. 8वीं कक्षा के दौरान स्काउटिंग में प्रतिष्ठित राज्य पुरस्कार प्राप्तकर्ता, उन्हें खेलों में भी सांत्वना और प्रेरणा मिलती है. हालाँकि, यह उसकी मूर्तिकला है जो वास्तव में उसकी आत्मा में आग लगा देती है. वह दार्शनिक रूप से कहती हैं, ‘‘अपना रास्ता खोजने की कोशिश करने वाले कलाकारों के लिए रचनात्मकता हमेशा एक घुमावदार रास्ता होगी.’’ उनकी यात्रा कला के माध्यम से आत्म-खोज की प्रामाणिकता का उदाहरण देती है.

 


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