पंजाब के लाल ने लहराया तिरंगा, छह साल की उम्र में फतह की माउंट एल्ब्रस

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 03-07-2025
Punjab's son waved the tricolor, conquered Mount Elbrus at the age of six
Punjab's son waved the tricolor, conquered Mount Elbrus at the age of six

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली

पंजाब के रोपड़ जिले के छह साल नौ महीने के तेगबीर सिंह ने इतिहास रचते हुए यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रस (5,642 मीटर) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई कर ली है. वे इस चोटी को फतह करने वाले दुनिया के सबसे कम उम्र के पर्वतारोही बन गए हैं.

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यह कीर्तिमान उन्होंने 28 जून को -20 डिग्री सेल्सियस तापमान और बेहद कठिन मौसम परिस्थितियों में हासिल किया. उन्होंने 20 जून को चढ़ाई शुरू की थी और आठ दिनों की कठिन यात्रा के बाद शिखर पर पहुंचे.

तेगबीर को रूस के काबर्डिनो-बाल्केरियन गणराज्य की पर्वतारोहण महासंघ द्वारा आधिकारिक प्रमाण पत्र प्रदान किया गया, जिसमें उनकी उपलब्धि को दुनिया में सबसे कम उम्र में माउंट एल्ब्रस पर चढ़ने वाले पर्वतारोही के रूप में मान्यता दी गई है.

इस रिकॉर्ड से उन्होंने महाराष्ट्र के वाघा कुशाग्र का पिछला रिकॉर्ड तोड़ा, जिन्होंने 7 साल 3 महीने की उम्र में यह चढ़ाई की थी.तेगबीर की यह यात्रा आसान नहीं थी.

उन्होंने एक वर्ष तक पूर्व राष्ट्रीय कोच बिक्रमजीत सिंह घुमन के मार्गदर्शन में विशेष प्रशिक्षण लिया, जिसमें ऊंचाई पर शरीर की अनुकूलता, फेफड़ों की क्षमता और हृदय स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया गया.

हर सप्ताह वे पिता और कोच के साथ पहाड़ी ट्रेक पर जाया करते थे. उनके पिता सुखिंदरदीप सिंह, जो रोपड़ के एक अस्पताल में प्रशासक हैं, इस अभियान में उनके साथ थे.

चढ़ाई के दौरान उन्हें दो बार मौसम की खराबी के कारण रुकना पड़ा. अंततः 27 जून की रात 1 बजे जब हवाएं कुछ शांत हुईं, तब उन्होंने दो गाइडों और एक सहायक के साथ शिखर की ओर चढ़ाई शुरू की और छह घंटे की कठिन यात्रा के बाद 28 जून को सुबह 7:56 बजे शिखर पर पहुंचे.

शिवालिक पब्लिक स्कूल, रोपड़ के कक्षा 2 के छात्र तेगबीर ने बताया कि उन्हें अपने लक्ष्य के बारे में पूरा विश्वास था और उन्होंने अपने पिता के साथ शिखर पर पहुंचकर फोटो भी खिंचवाई.

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यह पहली बार था जब वे बर्फ में ऊंचे जूते, क्रैम्पन, हार्नेस और ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ चल रहे थे, जिससे उनके पैरों का वजन लगभग 3 से 4 किलो बढ़ गया था.

तेगबीर की मां डॉ. मनप्रीत कौर, जो पेशे से स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, ने कहा कि इस सफलता में आहार और अनुशासन का बहुत बड़ा योगदान है. तेगबीर ने कोच द्वारा बनाए गए विशेष डाइट प्लान का पूरी तरह पालन किया और कठिन मौसम में भी साहस नहीं खोया.

यह पहली बार नहीं है जब तेगबीर ने ऐसा कारनामा किया हो. अगस्त 2024 में वे अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो (4,900 मीटर) पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के एशियाई बने थे.

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उससे पहले उन्होंने माउंट एवरेस्ट बेस कैंप (5,364 मीटर) तक की ट्रेकिंग भी पूरी की थी. उनके नाम एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हैं.

तेगबीर की यह सफलता महज एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत के पर्वतारोहण इतिहास में एक प्रेरणास्पद अध्याय है. इतनी कम उम्र में बर्फीली चोटियों को पार करना न केवल साहस की मिसाल है, बल्कि यह दिखाता है कि समर्पण, अनुशासन और परिवार के सहयोग से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है.