इस्लाम में भाई-बहनों के अधिकार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 24-08-2023
Brother and Sister
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ईमान सकीना

इस्लाम एक ऐसा धर्म है, जो मानव संघ की नैतिकता को नियंत्रित करता है. इस्लामी नैतिकता और शिक्षाओं ने भाई-बहनों के अधिकारों और दायित्वों को सिखाया है, चाहे वह परिवार का सदस्य हो, समाज का सदस्य हो या यहां तक कि मुस्लिम समाज का भी हो. यह इस दुनिया के कुछ नियमों से अलग है, जैसे कि मानवाधिकार की अवधारणा, या मानवाधिकार के रूप में जाना जाता है.

इस्लाम में भाई-बहनों के कुछ अधिकार हैंः

- अभिवादन करना (अस्सलामुअलैकुम = आप मोक्ष में हों) एक अत्यधिक अनुशंसित सुन्नत है, क्योंकि यह मुसलमानों के बीच विशेष रूप से भाई-बहनों के बीच बढ़ते प्यार और निकटता का कारण है. जैसा कि देखा जा सकता है और जैसा कि पैगंबर द्वारा सिखाया गया है, “और जब तुमसे सलाम किया जाए, तो उससे बेहतर सलाम करो या फिर जवाब में सलाम करो. निस्संदेह, अल्लाह हर चीज का हिसाब-किताब रखता है. (अन-निसा 4ः86)

 यदि हमारे भाई-बहन मार्गदर्शन के लिए हमारे पास आते हैं, तो हमें उन्हें यह प्रदान करना चाहिए, क्योंकि यह धार्मिक प्रकृति का है. हमारे पास उन्हें सलाह देने का अधिकार है, भले ही यह कार्य उन पर निर्देशित न हो, क्योंकि इसमें मुसलमानों से खतरे और बुराई को दूर करना शामिल है.

- अपने भाई-बहनों के शव को सुपुर्द-ए-खाक करना एक मुसलमान का भी अधिकार है, क्योंकि यह आखिरी बार उनके प्रति हमारी देखभाल और श्रद्धांजलि को दर्शाता है. इसके अलावा, हमारे लिए दो महान पहाड़ों की तरह एक बड़ा इनाम है, जिसके बारे में नीचे हदीस में बताया गया है, ‘‘किसने शव को पूजा के स्थान पर पहुंचाया, फिर उसे एक किरथ का इनाम दिया, और जिसने उसे दफनाने के लिए दिया, उसके लिए दो किरथ का इनाम, उसने पूछाः ‘किरथ क्या है?, उसने उत्तर दियाः ‘दो महान पर्वतों की तरह.’ (एचआर बुखारी और मुस्लिम)

- लड़ाई के बाद शांति बनाना भाई-बहन का अधिकार है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि हम एक भाई-बहन हैं, जिसे अल्लाह ने जीवन के अंत तक साथ रहने के लिए बनाया है.

केवल ईमानवाले ही भाई-भाई हैं, अतः अपने भाइयों के बीच सुलह कर लो और अल्लाह से डरो, ताकि तुम पर दया हो. (अल-हुजुरात 49ः10)

और सब मिलकर अल्लाह की रस्सी को मजबूती से पकड़ लो और फूट न पड़ो. और अल्लाह के उस उपकार को याद करो, जो तुम पर था, जब तुम शत्रु थे, फिर उसने तुम्हारे दिलों में मित्रता करायी, फिर तुम उसके उपकार से भाई बन गये. और तुम आग के मुहाने पर थे, तो उसने तुम्हें उससे बचा लिया. इस प्रकार, अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी आयतें स्पष्ट कर देता है, ताकि तुम मार्ग पाओ. (अल-इमरान 3ः103)

- भाई-बहन होने के नाते, हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए और अपने भाई-बहनों को कभी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए. ऐसे भाई-बहन होने का फायदा है, जो एक जैसी समस्या साझा करते हैं और साथ मिलकर इसे आसान बना सकते हैं.

- भाई-बहन हमेशा गलती और पाप कर सकते हैं. हमें धैर्य रखना चाहिए और उन्हें माफ कर देना चाहिए, क्योंकि अगर हम उन्हें अपने दिल में रखेंगे, तो भाई-बहनों के साथ हमारे रिश्ते खराब हो जाएंगे.


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