इसपर आयोग ने मदरसा शिक्षा परिषद से रिपोर्ट मांगी. इससे सामने आया कि उत्तराखंड में कुद 412 मदरसे हैं, जिसमें 18 हजार बच्चे पढ़ रहे हैं.इनमें 30 मदरसे ऐसे हैं जिनमें पढ़ने वाले 7,399 बच्चों में 749 बच्चे गैर-मुस्लिम यानी हिंदू बच्चे हैं.
तीन जिलों उधमसिंह नगर, हरिद्वार, नैनीताल के 30 मदरसों में 749 हिंदू बच्चे तालीम ले रहे हैं. सबसे ज्यादा 21 मदरसे धर्मनगरी हरिद्वार में हैं. जहां 623 हिंदू बच्चे शिक्षा ले रहे हैं.
उधमसिंह नगर के 8 मदरसों में 122 और नैनीताल के एक मदरसे में चार हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं.हालांकि परिषद ने धर्मांतरण की ऐसी किसी घटना से इनकार किया है.
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हिंदू अभिभावक बोले, प्राइवेट स्कूल में पढ़ा नहीं सकते
मदरसों में हिंदू बच्चों के पढ़ने के आंकड़े सामने के बाद सवाल उठने लगा है कि आखिर हिंदू बच्चे मदरसों में क्यों पढ़ रहे हैं ? इसपर हिंदू बच्चों के अभिभावकों ने इसकी दो वजह बताई.
एक, उनके क्षेत्र में सरकारी स्कूल नहीं है. हैं तो इतने दूर हैं कि वहां तक छोटे बच्चों का जाना मुमकिन नहीं. दूसरी, प्राइवेट स्कूलों में फीस बहुत महंगी है. हरिद्वार के मदरसा एवरग्रीन में पढ़ने वाले जुड़वां बच्चे सौरभ और गौरव की मां मेघवती बताती हैं कि हमारे घर से सरकारी स्कूल 10 से 12 किलोमीटर दूर है.
मदरसा घर के करीब है.मदरसा इस्लामिया बच्चे भेजने वाले मेहरबान सिंह का कहना है कि प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने की हमारी हैसियत नहीं हैं.
मदरसों में भी एनसीईआरी कोर्स पढ़ा रहे: महानिदेशक
उत्तराखं के शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवार के मुताबिक,जिन इलाकों में हिंदू बच्चे मदरसों में पढ़ रहे हैं, वहां सरकारी स्कूल नहीं है. जो स्कूल हैं, वो मदरसों की तुलना में दूर हैं. एनसीईआरटी से पढ़ाई होती है, इसलिए हिंदू अभिभावक अपने बच्चों को मदरसों में भेज रहे हैं. फिलहाल धर्मांतरण का कोई मामला नहीं है.
मदरसों में उर्दू और अरबी के लिए अलग क्लास
उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिश्द के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने बताया कि मदरसों में उर्दू और अरबी की पढ़ाई बंद है. जिन मुस्लिम बच्चों को इस्लामी शिक्षा हासिल करनी होती है, उनके लिए अलग व्यवस्था होती है. मदरसों में एनसीईआरटी आधार पर अंग्रेजी, गणित और विज्ञान की पढ़ाई अनिवार्य कर दी गई है.