प.बंगाल और असम की तरह उत्तराखंड के मदरसों में भी पढ़ रहे 749 हिंदू बच्चे

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 12-01-2024
प.बंगाल और असम की तरह उत्तराखंड के मदरसों में भी पढ़ रहे 749 हिंदू बच्चे
प.बंगाल और असम की तरह उत्तराखंड के मदरसों में भी पढ़ रहे 749 हिंदू बच्चे

 

गुलाम कादिर
 
पश्चिम बंगाल और असम की तरह अब उत्तराखंड के मदरसे भी सुर्खियों में हैं.वजह है मदरसों में हिंदू बच्चों का पढ़ना. राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग को दो नवंबर का शिकायत मिली थी कि उत्तराखंड के मदरसों में हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं और षिक्षा की आड़ में धर्मांतरण चल रहा है.

इसपर आयोग ने मदरसा शिक्षा परिषद से रिपोर्ट मांगी. इससे सामने आया कि उत्तराखंड में कुद 412 मदरसे हैं, जिसमें 18 हजार बच्चे पढ़ रहे हैं.इनमें 30 मदरसे ऐसे हैं जिनमें पढ़ने वाले 7,399 बच्चों में 749 बच्चे गैर-मुस्लिम यानी हिंदू बच्चे हैं.

तीन जिलों उधमसिंह नगर, हरिद्वार, नैनीताल के 30 मदरसों में 749 हिंदू बच्चे तालीम ले रहे हैं. सबसे ज्यादा 21 मदरसे धर्मनगरी हरिद्वार में हैं. जहां 623 हिंदू बच्चे शिक्षा ले रहे हैं.

उधमसिंह नगर के 8 मदरसों में 122 और नैनीताल के एक मदरसे में चार हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं.हालांकि परिषद ने धर्मांतरण की ऐसी किसी घटना से इनकार किया है.

madarzsa

---मदरसे और बच्चे--

  • -राव असगर अली मेमोरियल हरिद्वार- 131
  • -बहार-ए-चमन हरिद्वार-112
  • -जामिया इस्लामिया, लक्सर-50
  • -मदरसा एवर ग्रीन मुंडाखेड़ा हरिद्वार- 41
  • -महबूबिया हराग्राउंड हरिद्वार- 28
  • -शमा पब्लिक स्कूल, लक्सर हरिद्वार-20
  • -मदरसा राष्ट्रीय एकता, हरिद्वार 58
  • -तुल आलिम रूड़की हरिद्वार-79
  • -साबिर हुसैन इस्लामिया,उधमसिंह नगर-68
  • -साबिर बाबा साहब, उधमसिंह नगर - 21
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हिंदू अभिभावक बोले, प्राइवेट स्कूल में पढ़ा नहीं सकते

मदरसों में हिंदू बच्चों के पढ़ने के आंकड़े सामने के बाद सवाल उठने लगा है कि आखिर हिंदू बच्चे मदरसों में क्यों पढ़ रहे हैं ? इसपर हिंदू बच्चों के अभिभावकों ने इसकी दो वजह बताई.

एक, उनके क्षेत्र में सरकारी स्कूल नहीं है. हैं तो इतने दूर हैं कि वहां तक छोटे बच्चों का जाना मुमकिन नहीं. दूसरी, प्राइवेट स्कूलों में फीस बहुत महंगी है. हरिद्वार के मदरसा एवरग्रीन में पढ़ने वाले जुड़वां बच्चे सौरभ और गौरव की मां मेघवती बताती हैं कि हमारे घर से सरकारी स्कूल 10 से 12 किलोमीटर दूर है.

मदरसा घर के करीब है.मदरसा इस्लामिया बच्चे भेजने वाले मेहरबान सिंह का कहना है कि प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने की हमारी हैसियत नहीं हैं.

मदरसों में भी एनसीईआरी कोर्स पढ़ा रहे: महानिदेशक

उत्तराखं के शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवार के मुताबिक,जिन इलाकों में हिंदू बच्चे मदरसों में पढ़ रहे हैं, वहां सरकारी स्कूल नहीं है. जो स्कूल हैं, वो मदरसों की तुलना में दूर हैं. एनसीईआरटी से पढ़ाई होती है, इसलिए हिंदू अभिभावक अपने बच्चों को मदरसों में भेज रहे हैं. फिलहाल धर्मांतरण का कोई मामला नहीं है.

मदरसों में उर्दू और अरबी के लिए अलग क्लास

उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिश्द के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने बताया कि मदरसों में उर्दू और अरबी की पढ़ाई बंद है. जिन मुस्लिम बच्चों को इस्लामी शिक्षा हासिल करनी होती है, उनके लिए अलग व्यवस्था होती है. मदरसों में एनसीईआरटी आधार पर अंग्रेजी, गणित और विज्ञान की पढ़ाई अनिवार्य कर दी गई है.

असम के मदरसे स्कूल में बदले

असम सरकार मदरसों में आधुनिक शिक्षा को लेकर  िनरंतर सक्रिय है. इसके लिए हाल में सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. पहले तो अवैध मदरसों का पता लगाने के लिए पंजीकरण और पोर्टल पर नाम दर्ज कराने का सिलसिला शुरू किया .
 
अब करीब हजार मदरसों को स्कूल में बदल दिया गया है. सरकार ने इसके पीछे के उद्देश्य के बारे में बताया कि मदरसों में बच्चों को आधुनिक शिक्षा नहीं मिल रही है. सरकार के पास संसाधन सीमित है, इसलिए मदरसों को स्कूल में बदल दिया गया. इसके बाद इन शिक्षण संस्थानों में हिंदू बच्चों की पढ़ाई का भी रास्ता साफ हो गया है.
 
मालदा और सियालदा के मदरसों में हिंदू बच्चे

कई प्रदेशों में अब मदरसों में हिंदू बच्चों के तालीम लेने का सिलसिला शुरू हुआ है. इसके विपरीत पश्चिम बंगाल के मुस्लिम बहुाल जिलों सियालदा, मालदा में यह सिलसिला बहुत पहले से चल रहा है. कई बार तो मदरसा बोर्ड की परीक्षाओं में गैर-मुस्लिम बच्चे मुस्लिम बच्चों को पछाड़ चुके हैं.