ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
कश्मीर घाटी में एक नया बदलाव देखने को मिल रहा है. यहां की युवा पीढ़ी अब आतंकवाद, हिंसा और दुष्प्रचार की राजनीति को सिरे से नकार रही है. वे उन लड़ाइयों से दूरी बना रहे हैं जो उनकी नहीं हैं, और अब एक शांतिपूर्ण, सम्मानजनक और सुरक्षित भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहे हैं — एक ऐसा भविष्य जिसे वे खुद आकार देना चाहते हैं, वो खून से लिखा हुआ न हो.
एक यूजर ने लिखा कि अगर जिंदगी तुम्हें मौका दे तो बुरहान अली बनो, बुरहान वानी नहीं। ये कश्मीरियों की अगली पीढ़ी है जो भारतीय मुख्यधारा में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है!
आज का कश्मीरी युवा न तो पाकिस्तान के छद्म युद्ध का हिस्सा बनना चाहता है और न ही धर्म या राजनीति के नाम पर किसी भी प्रकार की हिंसा को स्वीकार कर रहा है. वे अब आतंकवाद को आज़ादी नहीं मानते, न ही जिहाद को न्याय का रास्ता. इन युवाओं का कहना है कि पाकिस्तान उनके लिए नहीं बोल सकता — अब वे खुद अपनी आवाज़ हैं. बदलती सोच और मुखर होते विचारों के साथ कश्मीर के युवा अब राष्ट्रीय मुख्यधारा में अपने अधिकार और भविष्य के लिए खड़े हो रहे हैं. वे बुरहान वानी नहीं, बुरहान अली बनना चाहते हैं — एक प्रेरणा, न कि विनाश का प्रतीक। यह कश्मीर की नई पीढ़ी की कहानी है — गर्व, संकल्प और शांति की कहानी.
कश्मीरी युवा इस बात पर काफी गंभीर रुख रखते हुए लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बात देश के सामने रख रहे हैं. और अपने विचार भी सबके साथ शेयर कर रहे हैं. यहां देखिये कुछ खास ट्वीट्स.
कश्मीरी युवा हिंसा और दुष्प्रचार को नकार रहे हैं। वे ऐसी लड़ाइयाँ नहीं लड़ेंगे जो उनकी नहीं हैं. वे शांति, सम्मान और एक ऐसा भविष्य चाहते हैं जिसे वे आकार दे सकें - खून से लिखा हुआ नहीं. आतंकवाद ने हमें बोलने से डराया. लेकिन आज के युवा?
हम चुप रहने से इनकार करते हैं. हम मुखर, गर्वित और शांतिपूर्ण हैं. कश्मीरी युवा अब पाकिस्तान के छद्म युद्ध के लिए तोप का चारा नहीं बनेंगे. हम राजनीति या धर्म के नाम पर हिंसा को अस्वीकार करते हैं.
हम शांति चुनते हैं. कश्मीर का युवा अब झूठ नहीं खरीदता। जिहाद न्याय नहीं है. आतंकवाद आज़ादी नहीं है. पाकिस्तान हमारे लिए नहीं बोल सकता. अगर जिंदगी आपको मौका दे तो बुरहान अली नहीं बुरहान वानी बनो. यह कश्मीरियों की अगली पीढ़ी है जो भारतीय मुख्यधारा में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है!
कश्मीर में नजीर वानी का नाम वीरता और बलिदान के प्रतीक के रूप में गूंजता है. एक आतंकवादी से एक सैनिक में उनका उल्लेखनीय परिवर्तन वीरता की सच्ची भावना का प्रतीक है. अगर जिंदगी आपको वानी बनने का मौका देती है, तो नजीर बनिए, बुरहान नहीं!
एक यूजर ने लिखा कि "पाक प्रायोजित आतंकवाद ने कश्मीर में कई पीढ़ियों को बर्बाद कर दिया. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. डर की खामोशी उम्मीद की आवाज़ में बदल रही है. कश्मीरी युवा अपनी किस्मत को फिर से हासिल कर रहे हैं और आतंकवाद को दृढ़ता से खारिज कर रहे हैं."
आज कश्मीर के युवा न केवल अपनी पहचान खोज रहे हैं, बल्कि वे समाज और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी समझते हैं. यह युवा पीढ़ी अब हिंसा और आतंकवाद से दूर, एक शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा रही है. कश्मीर के युवा सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं और अलग अलग क्षेत्रों में रोजगार की उमीदें देख कर उसमें भाग लेने के लिए उत्साहित हैं. उनका संदेश स्पष्ट है: "हम शांति चाहते हैं, और इसे पाने का रास्ता सिर्फ एक है — प्यार, एकता और सच्चाई." कश्मीर का आने वाला कल अब इन युवाओं के हाथों में है, जो अपनी शक्ति और विचारों से एक नया इतिहास रचने को तैयार हैं.