बदलते कश्मीर की तस्वीर: पुलवामा में महिला पुलिस अधिकारी ने दिखाया नया रास्ता

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 16-08-2025
Picture of changing Kashmir: Woman police officer showed a new path in Pulwama
Picture of changing Kashmir: Woman police officer showed a new path in Pulwama

 

आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से घाटी की तस्वीर बदलती हुई साफ़ दिखाई दे रही है. जहां कभी आतंक और अशांति की छाया हर ख़बर पर हावी रहती थी, वहीं आज यहां विकास, शिक्षा, पर्यटन और महिलाओं की भागीदारी की कहानियां सुनाई दे रही हैं. एक समय था जब पुलवामा जैसे इलाक़े सिर्फ़ आतंकवादी घटनाओं के लिए चर्चा में रहते थे, लेकिन अब वही ज़मीन नए इतिहास लिख रही है.

79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पुलवामा की धरती पर ऐसा नज़ारा देखने को मिला जिसने पूरे देश को गर्व से भर दिया. इतिहास में पहली बार घाटी में एक महिला पुलिस अधिकारी, डॉ. सेहरिश ने स्वतंत्रता दिवस परेड का नेतृत्व किया.

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यह सिर्फ़ एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि बदलते कश्मीर की असली तस्वीर थी. खासकर इसलिए भी क्योंकि कुछ ही समय पहले इसी पुलवामा में पाकिस्तानपरस्त आतंकियों ने निर्दोष पर्यटकों पर हमला कर 26 ज़िंदगियों को छीन लिया था. ऐसे हालात के बीच महिला पुलिस अधिकारी का मार्च पास्ट की अगुवाई करना साहस और सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया.

सोशल मीडिया पर डॉ. सेहरिश की तस्वीरें और वीडियो खूब वायरल हो रहे हैं. लोग उन्हें सलाम कर रहे हैं और कह रहे हैं कि यह नया कश्मीर है, जहां महिलाएं सिर्फ़ घर की चौखट तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सुरक्षा बलों, प्रशासन और समाज के हर क्षेत्र में नेतृत्व करती नज़र आ रही हैं.

यह पल सिर्फ़ महिलाओं के बढ़ते नेतृत्व का ही प्रतीक नहीं था, बल्कि यह भी दिखाता है कि घाटी में बदलाव कितना गहरा और स्थायी हो रहा है. पुलवामा का यह दृश्य दुनिया को बताता है कि जम्मू-कश्मीर अब सिर्फ़ संघर्ष का इलाक़ा नहीं, बल्कि प्रगति और समानता का भी प्रतीक है.

इस मौके पर पुलवामा जिला न्यायालय परिसर में भी स्वतंत्रता दिवस समारोह पूरी गरिमा और उत्साह के साथ मनाया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश) पुलवामा के अध्यक्ष मलिक शब्बीर अहमद ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया.

इस दौरान न्यायिक अधिकारी, लोक अभियोजन अधिकारी, बार के सदस्य, न्यायपालिका के कर्मचारी और पुलिस अधिकारी बड़ी संख्या में मौजूद रहे.केवल इतना ही नहीं, जिले के विभिन्न तहसीलों में विधिक सेवा समितियों के अध्यक्षों ने भी तिरंगा फहराकर स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी.

यह दृश्य घाटी में लोकतंत्र और न्यायपालिका की मज़बूत जड़ों का अहसास कराता है.मुख्य समारोह पुलवामा जिला पुलिस लाइंस (डीपीएल) में हुआ. यहां जिला विकास परिषद (डीडीसी) के अध्यक्ष सैयद अब्दुल बारी अंद्राबी ने तिरंगा फहराया और परेड की सलामी ली.

मंच पर राजपोरा के विधायक गुलाम मोहिउद्दीन मीर, पुलवामा के उपायुक्त डॉ. बशारत कयूम, एसएसपी पुलवामा पी.डी. नित्या सहित सेना, वायुसेना, अर्धसैनिक बलों और नागरिक प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.

कार्यक्रम में वरिष्ठ नागरिक, शहीदों के परिजन, समाजसेवी, विद्यार्थी, युवा और बड़ी संख्या में आम लोग शामिल हुए. मार्च पास्ट में जम्मू-कश्मीर पुलिस, जम्मू-कश्मीर आर्म्ड पुलिस, सीआरपीएफ, आईआरपी बटालियन, होमगार्ड, अग्निशमन एवं आपात सेवाएं, एनसीसी और विभिन्न स्कूलों के छात्र शामिल थे। यह दृश्य कश्मीर की बदलती धड़कन का जीवंत प्रमाण था.

अपने संबोधन में डीडीसी अध्यक्ष अंद्राबी ने जिले की विकासात्मक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि पुलवामा ने राष्ट्रीय स्तर पर कई उपलब्धियां हासिल की हैं, जो यहां की जनता के सामूहिक प्रयासों और सरकार की नीतियों का परिणाम है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि प्रशासन समाज के हर वर्ग तक योजनाओं का लाभ पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध है.अंद्राबी ने पुलवामा की कुछ उल्लेखनीय सफलताओं का ज़िक्र किया. जैसे, ब्लॉक इचेगोज़ा का नीति आयोग की चौथी तिमाही की डेल्टा रैंकिंग में पूरे देश के 500 आकांक्षी ब्लॉकों में दूसरा स्थान प्राप्त करना.

यह उपलब्धि बताती है कि यहां के लोग विकास और आत्मनिर्भरता के रास्ते पर कितनी तेज़ी से बढ़ रहे हैं.इसी तरह, पुलवामा को प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत विज़न को साकार करने के प्रयासों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर “वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट” (ओडीओपी) पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया.

इतना ही नहीं, परख रिपोर्ट के तहत भी पुलवामा ने जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में प्रथम स्थान हासिल किया. ये उपलब्धियां केवल सांख्यिकीय आँकड़े नहीं हैं, बल्कि यह इस बात का प्रमाण हैं कि अब घाटी के लोग शांति और विकास के रास्ते पर चलने को तैयार हैं.

दरअसल, पुलवामा की यह तस्वीर पूरे जम्मू-कश्मीर की बदलती हकीकत को दर्शाती है. अनुच्छेद 370 हटने के बाद यहां न केवल निवेश और रोज़गार के अवसर बढ़े हैं, बल्कि समाज के हर वर्ग को समान अवसर मिल रहे हैं. महिलाओं की भूमिका अब पहले से कहीं ज़्यादा सक्रिय और निर्णायक बन गई है.

डॉ. सेहरिश द्वारा परेड का नेतृत्व करना केवल एक रस्मी कदम नहीं, बल्कि उस संदेश का प्रतीक है कि घाटी की बेटियाँ अब किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रहेंगी. चाहे पुलिस बल हो, प्रशासन हो, शिक्षा हो या उद्यमिता—महिलाएँ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं.

इस स्वतंत्रता दिवस पर पुलवामा ने देश को जो तस्वीर दिखाई, उसने यह साबित कर दिया कि बदलाव सिर्फ़ काग़ज़ों में नहीं, बल्कि ज़मीन पर हो रहा है। जहां कभी गोलियों की गूँज सुनाई देती थी, वहीं अब तिरंगे की शान और परेड के कदमताल गूंज रहे हैं.

यह नज़ारा न केवल जम्मू-कश्मीर के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है. यह हमें यह भी याद दिलाता है कि स्वतंत्रता का असली अर्थ तभी है जब समाज का हर वर्ग बराबरी के साथ आगे बढ़ सके.

आज पुलवामा की बेटियाँ और बेटे तिरंगे के नीचे खड़े होकर यह संकल्प ले रहे हैं कि वे आतंक की छाया से बाहर निकलकर शांति, प्रगति और आत्मनिर्भरता के रास्ते पर चलेंगे. यही नया कश्मीर है—जहां उम्मीद है, उत्साह है और सबसे बढ़कर आत्मविश्वास है.