आवाज़ द वॉयस/ नई दिल्ली
पूरा भारत आज आज़ादी के रंग में रंगा हुआ है. सूरज की पहली किरण के साथ ही गलियों, चौपालों, मोहल्लों, कस्बों और महानगरों में तिरंगे की शान लहराने लगी है. कहीं स्कूलों में बच्चों की प्रभात फेरियाँ गूंज रही हैं, तो कहीं मोहल्ला समितियाँ रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तैयारी में जुटी हैं. घर-घर और गली-गली तिरंगे झंडे व पताकाओं से सजी हैं. हर उम्र, हर वर्ग का नागरिक आज गर्व और उल्लास से भरा है, क्योंकि यह दिन सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि हमारे गौरवशाली स्वतंत्रता संघर्ष और उस पर मिले अमूल्य फल की स्मृति है.
राजधानी दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस का मुख्य समारोह लाल किले की प्राचीर पर आयोजित किया गया है. सुबह साढ़े सात बजे से ही सुरक्षा, व्यवस्था और अतिथियों की आवक का दौर शुरू हो गया . ऐतिहासिक लाल किले के इस समारोह का केंद्रबिंदु रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिन्होंने तिरंगे को सलामी देकर 79वें स्वतंत्रता दिवस का ध्वजारोहण किया. खास बात यह है कि यह उनका लगातार 12वां अवसर है जब उन्होंने लाल किले से तिरंगा फहराया—और ऐसा करने वाले वे पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बन गए हैं.
लाल किले का वातावरण इस बार भी भव्य और अनुशासित था. समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई वरिष्ठ सदस्य, सत्ता और विपक्ष के बड़े नेता, सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति, संवैधानिक पदों पर आसीन विशिष्ट लोग, वरिष्ठ नौकरशाह, सैन्य अधिकारी और विभिन्न देशों के राजदूत उपस्थित थे.
उनके साथ-साथ, सरकार ने इस बार जमीनी स्तर पर काम करने वाले सफाई कर्मचारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और कई ‘अज्ञात नायकों’ को भी अतिथि के रूप में आमंत्रित किया—जो समारोह की आत्मा को और भी जीवंत बना रहा था.
सुरक्षा व्यवस्था राजधानी में बेहद सख्त रही. गुरुवार रात 10 बजे से दिल्ली की सीमाओं पर व्यावसायिक वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी, जो लाल किले के कार्यक्रम समाप्त होने तक लागू रही. लाल किले और इंडिया गेट की ओर जाने वाले सभी प्रमुख मार्गों पर ट्रैफिक डायवर्जन लगाए गए. करीब तीन हज़ार सुरक्षा कर्मी जगह-जगह तैनात थे.
हवा में निगरानी ड्रोन मंडरा रहे थे, जबकि मेट्रो स्टेशनों पर भी जांच प्रक्रिया कड़ी कर दी गई थी.देश के कोने-कोने में स्वतंत्रता दिवस का जोश देखने लायक है. सरकारी और निजी संस्थान, दफ्तर, दुकानें, प्रतिष्ठान और घर—हर जगह तिरंगा फहरा रहा है.
स्कूल-कॉलेजों में नन्हें-मुन्ने बच्चे देशभक्ति गीत गा रहे हैं, रंग-बिरंगे परिधान पहने मंच पर नृत्य-नाटिकाएँ पेश कर रहे हैं. कई जगह प्रभात फेरियों में ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम्’ के नारों से वातावरण गूंज उठा. यह दिन केवल अतीत के बलिदानों को स्मरण करने का नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ने की शपथ लेने का भी है.
इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस की थीम ‘नया भारत’ रखी गई है—एक ऐसा भारत जो 2047 तक, यानी आज़ादी के शताब्दी वर्ष तक, एक समृद्ध, आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र के रूप में विश्व में अपनी पहचान बनाए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में इसी दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए देशवासियों को संकल्पित किया कि आने वाले 22 वर्ष, भारत के विकास के ‘स्वर्ण युग’ की नींव होंगे.
समारोह के दौरान प्रधानमंत्री की सहायता फ्लाइंग ऑफिसर रशिका शर्मा ने की, जिन्होंने ध्वजारोहण की प्रक्रिया को सुचारु रूप से संपन्न कराया. 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्रगान गूंजा, जिसे भारतीय वायुसेना के अग्निवीर वायु संगीतकारों ने प्रस्तुत किया. इसके तुरंत बाद दो Mi-17 हेलीकॉप्टरों से फूलों की वर्षा हुई, जिसने पूरे लाल किले के आसमान को केसरिया, सफेद और हरे रंग में रंग दिया.
इस वर्ष के कार्यक्रम में लगभग 5,000 विशेष अतिथि शामिल हुए. इनमें सरकारी योजनाओं से लाभान्वित नागरिक, विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि, खेल, विज्ञान और कला के उभरते हुए चेहरे, और सबसे महत्वपूर्ण, जमीनी स्तर पर समाज के लिए योगदान देने वाले ‘अनसुने नायक’ शामिल थे। यह समावेशी पहल ‘जन-भागीदारी’ की भावना का प्रतीक रही.
समारोह के बाद लाल किले से लेकर इंडिया गेट तक परेड और सांस्कृतिक झांकियों का भव्य आयोजन हुआ. झांकियों ने भारत के विभिन्न राज्यों की संस्कृति, परंपरा और उपलब्धियों का सुंदर चित्रण किया.
‘हर घर तिरंगा’ अभियान के अंतर्गत देशभर के घरों, संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों पर तिरंगे फहराए गए. साथ ही, आयोजकों ने जन-सुविधा उपायों पर भी विशेष ध्यान दिया—जिनमें मेट्रो सेवाओं का विशेष संचालन, क्लोकरूम, व्हीलचेयर सहायता और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र शामिल थे.
जहाँ राजधानी में भव्य आयोजन हुआ, वहीं पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रमों ने एक त्योहार का रूप ले लिया। गांवों में पंचायत भवनों पर ध्वजारोहण हुआ, स्थानीय विद्यालयों में खेलकूद और निबंध प्रतियोगिताएं हुईं, और कई स्थानों पर किसानों और श्रमिकों को विशेष सम्मान दिया गया.
इस अवसर पर लोग सोशल मीडिया पर भी देशभक्ति के रंग में रंगे नजर आए. लाखों लोगों ने तिरंगे के साथ अपनी तस्वीरें और देशभक्ति के संदेश साझा किए. महापुरुषों के प्रेरक उद्धरणों की बाढ़-सी आ गई—महात्मा गांधी का “आप मेरे शरीर को नष्ट कर सकते हैं, लेकिन मेरे मन को कभी कैद नहीं कर सकते,” भगत सिंह का “अपनी मातृभूमि के लिए हज़ार बार भी मौत का सामना करना पड़े, तो भी मुझे कोई दुःख नहीं होगा,” और नेताजी सुभाष चंद्र बोस का “मुझे रक्त दो, मैं तुम्हें स्वतंत्रता दूँगा” जैसे अमर वाक्य हर प्लेटफॉर्म पर गूंज रहे थे.
इतिहासकारों के लिए भी यह दिन विशेष चर्चा का विषय है. अक्सर यह सवाल उठता है कि आखिर 2025 में भारत 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है या 79वां? गणना का अंतर इसी में है कि पहला स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947 को ही मनाया गया था.
इस हिसाब से 1947 से लेकर 2025 तक कुल 78 वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन यह 79वां अवसर है जब हम इसे मना रहे हैं—क्योंकि गणना आरंभिक वर्ष को भी शामिल करते हुए की जाती है.
यह दिन केवल अतीत के संघर्ष का उत्सव नहीं, बल्कि आने वाले कल की तैयारी का भी प्रतीक है. ‘नया भारत’ की दिशा में आगे बढ़ते हुए, आज का स्वतंत्रता दिवस हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता केवल एक बार अर्जित करने की चीज नहीं है—यह एक निरंतर प्रक्रिया है, जिसमें हमें अपने लोकतंत्र, अपने अधिकारों और अपनी एकता की रक्षा करनी है.
15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था—“जब दुनिया सो रही थी, भारत जाग उठा था.” आज, 79वें स्वतंत्रता दिवस पर, भारत एक नए सवेरे की ओर अग्रसर है—जहाँ सपने सिर्फ देखे नहीं जाते, बल्कि पूरे किए जाते हैं; जहाँ मेहनत और एकता से हर चुनौती को अवसर में बदला जाता है.
आज लाल किले की प्राचीर से गूंजता हर शब्द, हर नारा, हर सलामी—हम सभी को यह भरोसा दिलाता है कि आने वाले वर्षों में भारत न केवल एशिया, बल्कि पूरे विश्व में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराएगा. इस विश्वास के साथ, हर दिल में तिरंगा और हर मन में ‘जय हिंद’ की गूंज के साथ स्वतंत्रता दिवस 2025 का यह दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया.