मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली / बारामूला
2014 से पहले तक आतंकवादी गतिविधियों में अव्वल नंबर गिना जाने वाला जम्मू-कश्मीर का बारामूला जिला अब एक नए रास्ते पर चल निकला है.‘ओआरएफ इशू ब्रिफ’ नामक एक विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार, बारामूला में आखिरी बार 2014 में आतंकवाद से संबंधित सर्वाधिक 157 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें आम नगरिक और सुरक्षा से जुड़े 222 लोगों की मौत हुई थी. उस साल 125 मामले कुपवाड़ा और 97 मामले पुलवामा में रिकॉर्ड किए गए थे.
इसके उलट बारामूला में अब खून की नहीं दूध की नदियां बह रही हैं.हद यह कि केंद्र शासित प्रदेश का उत्तरी जिला बारामूला डेयरी उद्योग में अब प्रगति का प्रतीक बन चुका है. यही नहीं यह श्वेत क्रांति में प्रदेश का नेतृत्व कर रहा है.यह आंकड़े आपको चौंकने पर मजबूर कर देंगे कि बारामूला ने वर्ष 2022-23 में 5.5 लाख लीटर से अधिक दैनिक दूध उत्पादन किया है.
वर्ष 2011-12 में, जम्मू क्षेत्र ने लगभग 7.86लाख लीटर दूध का उत्पादन किया था, जबकि कश्मीर ने लगभग 7.69 लाख लीटर का योगदान दिया था.पिछले कुछ वर्षों में बारामूला ने अपनी दूध उत्पादन क्षमता में वृद्धि की है, जिससे वह डेयरी उद्योग की बड़ी ताकत बन गया है.स्थाीय प्रषासन का कहना है कि जिले के डेयरी किसानों और हितधारकों ने उन्नत पशु-पालन तकनीकों और बेहतर पशु चिकित्सा देखभाल को दिल से अपनाया है, जिससे दूध उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि हुई है.
एक दूध उत्पादक का कहना है,बारामूला की डेयरी सफलता के पीछे महत्वपूर्ण कारकों में से एक स्थानीय और राज्य सरकार से मिला समर्थन है.डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सब्सिडी और सहायता कार्यक्रमों ने किसानों को डेयरी और दूध उत्पादन में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया .
इस बीच जिले में डेयरी प्रसंस्करण संयंत्रों और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की स्थापना की गई. दूध भंडारण और वितरण क्षमताओं के विस्तार किए गए . इन प्रयासों से दूध की बर्बादी में काफी कमी आई है.दूध उत्पादकों की ओर से बताया गया कि सफलता की यह उपलब्धि डेयरी उद्योग को आधुनिक बनाने और जनसंख्या की लगातार बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए जिला प्रशासन की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है.
बताया गया कि डेयरी उद्योग में बारामूला की सफलता का सकारात्मक प्रभाव इस क्षेत्र से परे तक फैला हुआ है. इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और लोगों की आजीविका पर गहरा प्रभाव पड़ा है.दूध उत्पादन बढ़न से किसानों और डेयरी श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं, जिससे क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है.डेयरी क्षेत्र की वृद्धि ने परिवहन, पैकेजिंग और खुदरा जैसे सहायक व्यवसाय भी बढ़ाए हैं.
पिछले महीने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बारामूला जिले की प्रगति में श्वेत क्रांति के इस नए चेहरे का न केवल जिक्र किया था, प्रशंसा भी की थी.प्रधानमंत्री ने बारामुला जिले की प्रतिदिन 5.5लाख लीटर से अधिक दूध उत्पादन की अभूतपूर्व उपलब्धि को संभव बनाने में समुदाय और स्थानीय प्रशासन के सामूहिक प्रयासों की सराहना की थी.
उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला था कि कैसे जम्मू-कश्मीर में सकारात्मक विकास को दुनिया भर में मान्यता मिल रही है.प्रधानमंत्री इससे पहले कश्मीर के प्रसिद्ध नादरू (कमल की डंडी) की न केवल देश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता पर चर्चा की थी. अब बारामूला के डेयरी पावर हाउस के रूप में उभरने से यह क्षेत्र सुर्खियां बटोर रहा है.
बारामूला के लोगों ने डेयरी फार्मिंग में सक्रिय रूप से शामिल होकर लंबे समय से चली आ रही दूध की कमी को दूर करने की पहल की है, और विशेष रूप से, महिलाएं इस क्षेत्र के विकास में सबसे आगे रही हैं.स्थानीय डेयरी किसान हाशिम गोजरी ने कहा, “यहां डेयरी उद्योग में परिवर्तन उल्लेखनीय रहा है.
सरकार की मदद और आधुनिक तरीकों से हम अपनी दूध उत्पादन क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने में सफल रहे हैं. इससे न केवल हमारी आय में सुधार हुआ, हमारे समुदाय के कई लोगों को स्थिर रोजगार भी मिला है. मुझे इस सकारात्मक बदलाव का हिस्सा बनने पर गर्व है.”
उन्होंने कहा, शुरुआत में, मैं डेयरी फार्मिंग करने में झिझक रहा था. हालांकि, अपने परिवार के प्रोत्साहन और समर्थन से, मैंने इस क्षेत्र में उद्यम करने का फैसला किया. आज, मुझे अपने फैसले पर गर्व है, क्योंकि मेरा डेयरी व्यवसाय फल-फूल रहा है. मैं अपने परिवार की आय में योगदान दे रहा हूं. क्षेत्र के अन्य पुरुषों को भी नए अवसर तलाशने के लिए प्रेरित कर रहा हूं.
यह जम्मू और कश्मीर के कृषि परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव और समृद्धि लाने में डेयरी क्षेत्र की अपार क्षमता को प्रदर्शित करता है.