पत्थर से परिवर्तन तक: वजाहत फारूक भट की कहानी, कश्मीर के युवाओं की बदल रहे हैं दिशा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 26-06-2025
From stone to change: The story of Wajahat Farooq Bhat, who is changing the direction of Kashmir's youth
From stone to change: The story of Wajahat Farooq Bhat, who is changing the direction of Kashmir's youth

 

 
भी कश्मीर की सड़कों पर पत्थरबाज़ी में शामिल रहने वाले वजाहत फारूक भट आज शांति, संवाद और विकास के प्रतीक बन चुके हैं. बारामुला के छोटे से कस्बे शीरी के तंग गलियों में पले-बढ़े वजाहत की कहानी असाधारण ही नहीं, बल्कि प्रेरणादायक भी है.द चेंजमेकर्स सीरिज के तहत यहां प्रस्तुत है दानिश अली की उनपर एक खास रिपोर्ट

एक समय था जब वह अपने जैसे सैकड़ों युवाओं के साथ गुस्से, असंतोष और हताशा में पत्थर उठाते थे, लेकिन आज वह 'सेव यूथ सेव फ्यूचर' (SYSF) नामक पहल के माध्यम से कश्मीर के युवाओं को एक नई राह दिखा रहे हैं.
 
 
संघर्ष से भरा बचपन

राजनीतिक अस्थिरता और बंद के माहौल में पले वजाहत फारूक भट के लिए पत्थरबाज़ी एक तरह की शुक्रवार की रस्म बन चुकी थी. सरकारी डिग्री कॉलेज, बारामुला में बीए की पढ़ाई करते वक्त उन्होंने राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) जॉइन किया. यहीं से उनकी सोच में बदलाव की शुरुआत हुई.
 
 
वह बताते हैं... 'हम ओसामा बिन लादेन जैसे चेहरों को हीरो मानते थे. हमें लगता था कि हिंसा से ही हमें पहचान मिलेगी, लेकिन इस आक्रोश के पीछे एक खालीपन था—अवसरों की कमी, संवाद का अभाव और भविष्य के प्रति असहायता थी'

बदलाव की शुरुआत

एनसीसी कैंप के दौरान नागरोटा की यात्रा उनके लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हुई. वह कहते हैं..'मैंने जब वहां दूसरे राज्यों के युवाओं से बहस की और उन्होंने मेरी बात ध्यान से सुनी, तो मुझे अहसास हुआ कि शायद संवाद भी एक रास्ता हो सकता है'
 
2017 में बारामुला में एक खेल आयोजन के दौरान जब वह एसएसपी इम्तियाज़ हुसैन मीर से मिले, तो वह अनुभव उनके लिए और भी गहरा हो गया. वजाहत कहते हैं, "वो अफसर कम और मेंटर ज़्यादा लगे. उनके रवैये ने मुझे भी बदल दिया".
 
SYSF की शुरुआत: उम्मीद की एक चिंगारी

2018 में वजाहत ने बिना किसी आर्थिक मदद या राजनीतिक संपर्क के 'सेव यूथ सेव फ्यूचर' की नींव रखी. शुरुआत में लोगों ने उन्हें पागल कहा, डराया और नसीहत दी कि यह रास्ता खतरनाक है, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
 
 
पहला बड़ा आयोजन 'द यंग कश्मीर: द डायलॉग विदिन' रहा, जिसमें 400 से अधिक युवाओं ने भाग लिया. इस मंच पर प्रशासन और आम युवाओं के बीच सीधा संवाद हुआ—यह कश्मीर के लिए एक नया अनुभव था.
 
खतरों के बीच जज़्बा कायम

2018 में जब 'कश्मीर फाइट' नामक एक कट्टरपंथी वेबसाइट ने उन्हें धमकी दी, तो उन्होंने डर को खुद पर हावी नहीं होने दिया. वजाहत बताते हैं, "एसएसपी इम्तियाज़ ने मुझसे कहा—'अगर लिखा नहीं है, तो कोई नहीं मार सकता'. उस एक लाइन ने मुझे शक्ति दी.
 

2020 में SYSF ने यूरोपीय संघ के साथ मिलकर एक शांति परियोजना शुरू की, जिसके तहत पुलवामा, शोपियां, अनंतनाग और कुपवाड़ा जैसे जिलों में 69 कार्यशालाएं आयोजित की गईं. JNU के सहयोग से एक सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम में 120 कश्मीरी छात्रों ने देशभर के छात्रों से संवाद किया.
 
एक उम्मीद, एक आंदोलन

वजाहत ने SYSF को महिलाओं की भागीदारी से भी जोड़ दिया. 2020 में कार्यकर्ता अनिका नाज़िर की अगुवाई में संगठन का महिला विंग शुरू हुआ, जिसने पहली बार महिला KPL (कश्मीर प्रीमियर लीग) का आयोजन किया. यह कश्मीर के पारंपरिक समाज के लिए एक साहसी कदम था.
 
इसके साथ ही, SYSF ने महिला अधिकारों पर चर्चा, सम्मान समारोह और सुरक्षित संवाद मंचों की शुरुआत की. इसके बाद संगठन ने सूफीवाद, कश्मीरियत और सांस्कृतिक पुनरुद्धार पर भी काम शुरू किया। इमामों और सूफी विद्वानों को बुलाकर साझा पहचान पर सेमिनार आयोजित किए गए.
 
आज SYSF कश्मीर के हर ज़ोन में सक्रिय है. इसके पास सैकड़ों समर्पित स्वयंसेवक हैं और यह कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ साझेदारी में काम कर रहा है. वजाहत का फोन कभी शांत नहीं रहता—कभी किसी युवा की कॉल आती है, कभी किसी कॉलेज का निमंत्रण और कभी किसी नीति निर्माता की सलाह की दरकार.
 
दर्द से उद्देश्य तक का सफर

वजाहत फारूक भट की कहानी सिर्फ आत्म-परिवर्तन की नहीं, बल्कि यह साबित करती है कि जब जज़्बा और उद्देश्य साथ हो, तो कोई भी बदलाव संभव है. एक समय के पत्थरबाज़ से आज के शांति-दूत तक का उनका सफर पूरे कश्मीर के लिए एक मिसाल है.
 
वजाहत कहते हैं, "कश्मीर के युवाओं को सिर्फ मौत की कहानियां मत सुनाओ. उन्हें जिंदगी की कहानियां सुनाओ. बताओ कि वे क्या बन सकते हैं. तभी हम शांति जीत सकेंगे.
 
 
2018 से अब तक 'सेव यूथ सेव फ्यूचर' दो लाख से अधिक युवाओं तक पहुंच चुका है, और निरंतर संवाद, सशक्तिकरण और समुदाय-निर्माण के माध्यम से कश्मीर के भविष्य को संवारे जा रहा है.
 
--इन सभी तस्वीरों से जाहिर है कि वजाहत फारूक भट  युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं.