See in pictures: How Shubhanshu Shukla flew into space, his parents became emotional
अर्सला खान/नई दिल्ली
भारत के लिए गर्व का पल तब आया जब युवा अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष की ओर अपनी पहली उड़ान सफलतापूर्वक पूरी की. यह मिशन न केवल तकनीकी उपलब्धियों के लिए याद किया जाएगा, बल्कि एक बेटे की सफलता पर उसके माता-पिता की भावनात्मक प्रतिक्रिया ने भी इस पल को खास बना दिया.
अंतरिक्ष यान से जब पहली तस्वीरें आईं, तो उनमें शुभांशु का आत्मविश्वासी चेहरा और आंखों में चमक देखने लायक थी. विशेष सूट पहने, उन्होंने स्पेस कैप्सूल से पृथ्वी की ओर हाथ हिलाकर इशारा किया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
माता-पिता की आंखों में आंसू
शुभांशु की उड़ान को लेकर उनके माता-पिता की आंखों में आंसू थे, लेकिन ये आंसू गर्व और खुशी के थे. शुभांशु की मां ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'बचपन से ही वह सितारों की बातें करता था. आज वह उन्हीं सितारों के बीच है'.
लॉन्चिंग के वक्त की तस्वीरों में शुभांशु को कैप्सूल की ओर बढ़ते हुए देखा जा सकता है, जहां उन्होंने अंतिम बार कैमरे की ओर देखकर हाथ जोड़ा और फिर यान में सवार हो गए. कंट्रोल रूम से मिली इजाजत के बाद जैसे ही रॉकेट ने उड़ान भरी, धरती पर मौजूद शुभांशु के माता-पिता ने हाथ जोड़कर प्रार्थना की.उस समय की तस्वीरें बेहद भावुक कर देने वाली हैं.
मिशन की निगरानी कर रहे वैज्ञानिकों ने बताया कि शुभांशु का प्रदर्शन उड़ान के हर स्तर पर उत्कृष्ट रहा. स्पेस स्टेशन से भेजी गई उनकी तस्वीरों में वह उपकरणों के साथ प्रयोग करते, ज़ीरो ग्रैविटी में तैरते और भारतीय ध्वज को नमन करते दिख रहे हैं.
इस पूरे मिशन को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से संचालित किया गया है. शुभांशु शुक्ला का यह मिशन विज्ञान, साहस और समर्पण की मिसाल है. अब जब वह कुछ दिनों में धरती पर लौटेंगे, देशभर के लोग और खासकर उनके अपने शहर के लोग एक नायक की तरह उनका स्वागत करने को तैयार हैं.
युवाओं के लिए प्रेरणा
आज शुभांशु देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में जाकर युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान, रिसर्च और वैज्ञानिक सोच के प्रति जागरूक कर रहे हैं. उनका मानना है कि भारत का भविष्य विज्ञान में ही है और इसके लिए युवाओं को नई सोच और तकनीक से लैस करना होगा.
इस तरह शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा न सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो विज्ञान को अपना भविष्य मानते हैं. उनकी कहानी हमें यह बताती है कि साधारण पृष्ठभूमि से आने वाला व्यक्ति भी असाधारण ऊंचाईयों को छू सकता है—बस उसके पास सपना होना चाहिए, और उसे पूरा करने का जज़्बा.
कितना जरूरी है ये मिशन?
शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष मिशन केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत के लिए गर्व, प्रेरणा और संभावनाओं का प्रतीक है. यह मिशन अंतरिक्ष अनुसंधान, माइक्रोग्रैविटी में प्रयोग, और तकनीकी विकास के क्षेत्र में भारत की प्रगति को दर्शाता है. इसके माध्यम से न केवल वैज्ञानिक खोजों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को भी मजबूत करेगा.
शुभांशु जैसे युवाओं की सफलता उन लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं. यह मिशन रक्षा, संचार, मौसम पूर्वानुमान और अंतरिक्ष में मानव उपस्थिति के भविष्य की दिशा में भी एक अहम कदम है. यह मिशन भारत की वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता, नवाचार, और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.