प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज : जब संत बोले अमीर खुसरो की भाषा

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 25-06-2025
The gold coins of thirteen camels are a cheap deal: Saint Premanand ji became emotional while narrating the story of Amir Khusro
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मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली

वर्तमान भारत में यदि कोई संत ऐसा है जिसकी वाणी सभी धर्मों के लोगों को एक समान आकर्षित करती है, तो वह हैं वृंदावन के रसिक संत प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज. उनकी लोकप्रियता महज हिंदू समाज तक सीमित नहीं है, बल्कि बड़ी संख्या में मुस्लिम अनुयायी भी उन्हें सुनने के लिए उनके वृंदावन स्थित श्री हित राधा केली कुंज आश्रम तक खिंचे चले आते हैं.


उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे पाखंड और आडंबर से कोसों दूर रहते हैं. प्रवचन करते समय कभी किसी धर्म की आलोचना नहीं करते. उलटे सार्वजनिक स्थलों पर नमाज़ अदा करने वालों की तारीफ़ तक कर चुके हैं. एक प्रवचन में उन्होंने कहा था—“हमें मुसलमानों से सीखना चाहिए कि वे अपने मालिक को हर समय, हर जगह याद करते हैं.”

सिर्फ इतना ही नहीं, महाराज सूफी संतों के भी बड़े प्रशंसक हैं. उनके कथनों में अक्सर औलिया और फकीरों का ज़िक्र होता है. कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वे ख्वाजा गरीब नवाज़ की तारीफ़ करते हुए नज़र आ रहे थे.


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संत प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के विचार सुनते क्रिकेटर विराट कोहली और उनकी अभिनेत्री पत्नी अनुष्का शर्मा

यही वजह है कि उनके शिष्यों और श्रोताओं में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से लेकर विराट कोहली और अनुष्का शर्मा जैसे सेलिब्रिटी और साथ ही कई मुस्लिम चेहरे भी शामिल हैं. हाल ही में एक और वीडियो वायरल हुआ जिसमें कई मुस्लिम बच्चे उनके आश्रम में जाकर उनका मार्गदर्शन प्राप्त करते हुए दिखाई दिए.

अब उनका एक नया वीडियो सोशल मीडिया पर काफी चर्चाओं में है, जिसमें वह अमीर खुसरो, उनके पीर हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया और एक गरीब व्यक्ति की कथा बड़े भाव-विभोर होकर सुनाते हैं. प्रेमानंद गोविंद शरण जी कहते हैं—“अमीर खुसरो पूरे समर्पित महापुरुष थे..

उन्होंने बताया कि एक बार अमीर खुसरो के गुरुदेव दिल्ली आए हुए थे. तभी एक गरीब आदमी उनसे धन की याचना लेकर आया ताकि अपनी बेटी का विवाह कर सके. गुरुदेव ने उसे परसों आने को कहा. जब वह दोबारा पहुंचा, तो गुरुदेव ने उसे अपनी पादुका (चप्पल) दे दी. गरीब असमंजस में था, लेकिन चूंकि वह संत की देन थी, उसने उसे सिर पर रख लिया और चल पड़ा.

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संत प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के विचार सुनते आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

रास्ते में अमीर खुसरो तेरह उंटों पर अशर्फियाँ लादे आ रहे थे. उन्हें अचानक अहसास हुआ कि कहीं उनके गुरूदेव की कोई वस्तु आस-पास है. पूछताछ करने पर उन्होंने उस गरीब को देखा, जिसके सिर पर उनके गुरूदेव की पादुका थी. खुसरो ने उससे वह पादुका मांगी और बदले में 13 उंटों की अशर्फियां नौकर सहित उसे दे दीं.

जब खुसरो वह पादुका लेकर अपने गुरूदेव के पास पहुंचे, तो उन्होंने पूछा—“कितने की ली?” खुसरो ने उत्तर दिया—“तेरह उंटों की अशर्फियों में.” इस पर गुरूदेव मुस्करा उठे और बोले—“बहुत सस्ता सौदा किया है!”

प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज यह कथा सुनाते हुए बहुत पुलकित नज़र आते हैं. यह कोई मनगढ़ंत कथा नहीं, बल्कि सूफी इतिहास की प्रसिद्ध घटना है, जहां हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया ने अपने सबसे प्रिय शिष्य अमीर खुसरो को उसकी श्रद्धा और समर्पण के लिए इस कदर सम्मानित किया कि अपनी मृत्यु से पहले वसीयत की कि उनकी कब्र के बराबर ही अमीर खुसरो की कब्र बने..

असल में मूल कथा में "पादुका" के बजाय "जूती" का ज़िक्र है, पर भाव वही है—गुरू के प्रति निष्ठा, समर्पण और त्याग.प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज पहले भी अजमेर स्थित ख्वाजा गरीब नवाज पर एक विस्तृत वीडियो में उनके योगदान और चिश्ती परंपरा की प्रशंसा कर चुके हैं.

उल्लेखनीय है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती और निजामुद्दीन औलिया दोनों चिश्ती सिलसिले से जुड़े महान सूफी संत थे. निजामुद्दीन औलिया दरअसल ख्वाजा साहब के परपोते गुरु बाबा फरीद के शिष्य थे. दोनों संतों का जीवन मानवता, प्रेम और भाईचारे की मिसाल है—ठीक वैसे ही जैसे प्रेमानंद महाराज की शिक्षाएं.

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प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज: जीवन और योगदान

जन्म: 30 मार्च 1969, अखरी गाँव, सरसौल ब्लॉक, कानपुर

मूल नाम: अनिरुद्ध कुमार पांडेय

आध्यात्मिक मार्ग: 13 वर्ष की उम्र में घर त्यागकर सन्यास मार्ग पर चल पड़े

संप्रदाय: राधा वल्लभ सम्प्रदाय

आश्रम: श्री हित राधा केली कुंज ट्रस्ट, वृंदावन (स्थापना: 2016)

विशेष सेवाएं: निःशुल्क भोजन, चिकित्सा, आवास, भक्ति साधना

स्वास्थ्य: स्वयं कई बार कह चुके हैं कि वे डायलिसिस पर हैं, क्योंकि दोनों किडनियां खराब हैं.

प्रमुख कृतियाँ:

ब्रह्मचर्य

एकान्तिक वार्तालाप

हित सदगुरुदेव के वचनामृत

अष्टयाम सेवा पद्धति

Spiritual Awakening (Vol. 1)

उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि अध्यात्म किसी एक पंथ का विषय नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता की साधना है. प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज की वाणी में सूफी आत्मा की धड़कन सुनाई देती है और यही वजह है कि हर धर्म, हर जाति और हर वर्ग के लोग उनके चरणों में एकसाथ सिर झुकाते हैं.