बिहार SIR विवाद: सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई सुनवाई, मतदाता सूची से ‘मास एक्सक्लूजन’ पर जताई चिंता

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 12-08-2025
Bihar SIR dispute: Hearing begins in Supreme Court, concern expressed over 'mass exclusion' from voter list
Bihar SIR dispute: Hearing begins in Supreme Court, concern expressed over 'mass exclusion' from voter list

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिहार में चुनाव आयोग द्वारा कराए जा रहे विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision - SIR) अभ्यास के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू कर दी। यह अभ्यास विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को अद्यतन करने के लिए किया जा रहा है, लेकिन विपक्षी दलों का आरोप है कि इससे करोड़ों पात्र मतदाताओं का नाम सूची से बाहर हो सकता है.

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलें सुनीं, जो RJD सांसद मनोज झा की ओर से पेश हुए। सिब्बल ने आरोप लगाया कि एक विधानसभा क्षेत्र में आयोग ने 12 लोगों को मृत घोषित किया, लेकिन जांच में वे जिंदा निकले, जबकि एक अन्य मामले में जीवित लोगों को मृत दिखाया गया.

चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने सफाई देते हुए कहा कि इस तरह के बड़े पैमाने पर किए गए किसी भी अभ्यास में “इक्का-दुक्का त्रुटियां” हो सकती हैं, जिन्हें मसौदा सूची (Draft Roll) के दौरान सुधारा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया केवल ड्राफ्ट रोल तक सीमित है, और अंतिम सूची से पहले सभी आपत्तियों पर विचार होगा.

पीठ ने चुनाव आयोग से कहा कि वह तथ्यों और आंकड़ों के साथ तैयार रहे — विशेषकर यह बताने के लिए कि इस अभ्यास से पहले और अब मतदाताओं की संख्या में कितना अंतर आया है और कितने लोगों को मृत घोषित किया गया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि ‘मास एक्सक्लूजन’ (बड़े पैमाने पर नाम कटने) का मामला सामने आया तो वह तुरंत हस्तक्षेप करेगी.

1 अगस्त को मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की गई है और अंतिम सूची 30 सितंबर को जारी होनी है. विपक्षी दलों का दावा है कि इस प्रक्रिया से करोड़ों पात्र नागरिकों के नाम हट सकते हैं, जिससे उनके वोट देने का अधिकार छिन जाएगा.

इससे पहले, 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को वैध दस्तावेज मानने के निर्देश दिए थे, ताकि सही पहचान के आधार पर मतदाता सूची संशोधन हो सके। आयोग ने अपने हलफनामे में कहा है कि यह अभ्यास चुनाव की ‘पवित्रता’ बढ़ाने के लिए किया जा रहा है, जिसमें अपात्र नामों को हटाया जाएगा.

RJD सांसद मनोज झा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, कांग्रेस के के. सी. वेणुगोपाल, शरद पवार गुट की सुप्रिया सुले, CPI के डी. राजा, सपा के हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के अरविंद सावंत, JMM के सरफराज अहमद और CPI (ML) के dipankar भट्टाचार्य समेत कई नेताओं ने 24 जून को चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाएं दायर की हैं.

इसके अलावा, पीयूसीएल, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और कार्यकर्ता योगेंद्र यादव जैसी सामाजिक संस्थाएं भी इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं.

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