प्रधानमंत्री मोदी के सामने झोली फैलाकर क्या कहा पद्म श्री पाने वाली हीराबाई लोबी ने

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 23-03-2023
प्रधानमंत्री के सामने हीराबाई लोबी
प्रधानमंत्री के सामने हीराबाई लोबी

 

मंजीत ठाकुर

कुछ साल पहले तक पद्म पुरस्कार पाने के बारे में कोई आम आदमी सोच भी नहीं सकता था. लेकिन अब स्थितियां अलहदा हैं. अब जमीन से जुड़े ऐसे लोगों को पद्म सम्मान मिलने लगे हैं जो दूरदराज के लिए इलाकों में काम कर रहे हैं और जिनका भरोसा किसी पुरस्कार के लिए लॉबिंग में नहीं है.

 

इस बार 106 पद्म पुरस्कार सम्मानित लोगों की सूची में 19 महिलाओं के नाम शामिल हैं. इनमें भी एक नाम ऐसा है जिन्होंने प्रधानमंत्री के सामने अभिवादन से और राष्ट्रपति के कंधे पर आदर और स्नेह से हाथ रखकर सुर्खियां बटोरी हैं. नाम है हीराबाई लोबी.

 

Hirabai

 

एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, वहां मौजूद मेहमानों के मुताबिक हीराबाई ने पीएम से कहा,

 

“मेरे प्यारे नरेंद्र भाई, आपने हमारी झोली खुशियों से भर दी. किसी ने हमें कोई मान्यता नहीं दी और किसी ने भी हमारे बारे में तब तक परवाह नहीं की जब तक आपने नहीं की. आप हमें सबसे आगे लाए.”

 

वह गुजरात के सिद्दी समाज से ताल्लुक रखती हैं और सिद्दी समाज और महिला उत्थान के लिए कार्य कर रही हैं. वह महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में प्रयासरत हैं, और इस मार्ग में उनके सामने खुद उनकी शिक्षा या अन्य कमियां रुकावट नहीं बन पाईं.

 

PM and Hirabai

 

पद्म श्री से सम्मानित हीराबाई लोबी गुजरात के गिर-सोमनाथ जिले के जांबुर गांव की रहने वाली हैं. हीराबाई अफ्रीकी मूल के सिद्दी समाज की महिला हैं. बचपन में माता-पिता की मृत्यु के बाद उनका पालन-पोषण उनकी दादी ने किया था.

 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हीराबाई की शादी कम उम्र में हो गई थी. महज 14वर्ष की आयु में शादी होने के बाद भी उनकी जिज्ञासाएं, सीखने का जुनून कम नहीं हुआ. वह नई जानकारियां प्राप्त करती रहती, इसके लिए वह गांधीनगर सचिवालय के चक्कर लगाया करतीं.

 

हीराबाई ने जो भी सीखा है रेडियो से सीखा. इसी माध्यम से उन्होंने जैविक खाद बनाने के बारे में सुना. उन्होंने इस दिशा में काम भी किया.

 

Hira bai padma award

 

इस प्रयास में उन्हें कई कठिनाइयों और विरोध का भी सामना करना पड़ॉ. लेकिन हीराबाई ने अपने जैसी महिलाओं की जिंदगी बदलने की ठान ली थी. वह सिद्दी समाज की महिलाओं को शिक्षित और सशक्त बनाना चाहती थीं. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए उन्होंने कई कदम उठाएं. नतीजनतन, हीराबाई 700से अधिक महिलाओं और बच्चों के जीवन में हीराबाई बदलाव लाईं.

 

लोबी सीद्दी समुदाय के बच्चों के लिए हीराबाई ने ‘बालवाड़ी’ के माध्यम से शिक्षा प्रदान की व्यवस्था बनाई. महिलाओं के विकास के लिए उन्होंने ‘महिला विकास मंडलों’ के माध्यम से महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में भी काम किया. उन्होंने सहकारी आंदोलन, परिवार नियोजन और सिद्दी समुदाय के लिए छोटा सेविंग क्लब भी शुरू किया है.

 

Hira bai village

 

हीराबाई लोबी को अपने काम के लिए कई बार सम्मानित किया जा चुका है. 2001 में गुजरात कृषि विश्वविद्यालय, जूनागढ़ ने उन्हें ‘सम्मान पत्र’ से सम्मानित किया था. ये सम्मान हीराबाई को साल 2007 और 2012 में भी मिला था. साल 2002 में हीराबाई को विमेंस वर्ल्ड समिट फाउंडेशन की ओर से सम्मानित किया गया था. 2006 में उन्हें जानकी देवी सम्मान पुरस्कार ने नवाजा गया था.