मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली
बिहार की राजधानी पटना से करीब 153 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद मोतिहारी शहर के बड़ा बरियारपुर में स्थित रहमानिया मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर डॉक्टर तबरेज अजीज आज भी 67 वर्ष की उम्र के बावजूद प्रतिदिन ऑपरेशन करते हैं और करीब सौ मरीज को देखते हैं. उनके यहां उत्तर बिहार समेत नेपाल से भी मरीज पहुंचते हैं. इस उम्र में वह कहते हैं कि बहुत ले लोगों ने हमें राजनीति में आने की दावत दी, लेकिन मैं नहीं गया. उनकी कोशिश है कि शिक्षा से दूर रहने वाले बच्चे शिक्षित हों. वे इसके लिए कई सहत पर काम करते हैं. कई अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं.
उनका जन्म मोतिहारी जिले से करीब 32 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद मशहूर मुस्लिम बस्ती पकही में हुई. उनके पिता का नाम डॉक्टर अजीजुर रहमान था. वह पांच भाई और तीन बहन हैं. एक भाई दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. बड़े भाई गांव में सामाजिक कार्यकर्ता हैं, दूसरे भाई किडोलॉजिस्ट हैं और सबसे छोटा भाई पैथोलॉजिस्ट है.
डॉ तबरेज अजीज के पुत्र डॉ उमर अजीज सर्जन हैं, जो अपने पिता के काम में हाथ बंटाते हैं. डॉ तबरेज अजीज बताते हैं कि उनके पिता डॉक्टर अजीजुर रहमान, 1950 में डॉक्टर के पेशे से मोतिहारी में जुड़ गए, जो एमबीबीएस डॉक्टर थे. मेहनत से काम करने का प्रेरणा उन्हीं से मिली है.
डॉक्टर तबरेज अजीज कहते हैं कि मेडिकल साइंस में उसके हिसाब से हम लोगों ने अस्पताल को अपग्रेड किया है. हॉस्पिटल में आजकल जीपीएस सर्विस है या गवर्नमेंट की जितनी भी स्कीम हैं, उन सबके साथ अटैच करना होता है. ये सब भी हम लोगों ने यहां शुरू किया.
एएमयू से शिक्षा हासिल की
उनकी शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से हुई हैं, उसके बाद वह बिहार की राजधानी पटना से एमबीबीएस और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर से पीजी करने के बाद प्रैक्टिकल में आ गए.
इस बारे में डॉ तबरेज अजीज बताते हैं कि 1986 में, जब मैं मेडिकल प्रैक्टिस में आया, तो देखा कि बहुत बुनियादी तौरपर पर मेडिकल डिलीवरी सिस्टम था. तो हमारी टीम ने धीरे-धीरे इसे मजबूत किया और सर्जिकल फील्ड में नई-नई चीजों को लाए. नई चीजों के बारे में यहां के डॉक्टर जानते भी नहीं थे. जैसे 1986 में एंडोस्कोपी मंगवा कर काम करना शुरू किया था.
सुदूर इलाकों में भी शिक्षा
शिक्षा के बारे में डॉक्टर तबरेज अजीज कहते हैं कि मैं काम कर रहा हूं. मैंने महसूस किया है कि मुसलमानों की जो बस्तियां हैं, समाजिक स्तर पर पीछे हैं और उसकी जो बुनियादी चीजें हैं, तो वह एजुकेशन की कमी के कारण हैं. इसके लिए वे स्कूल चला रहे हैं, जहां कम पैसे पर बच्चों को शिक्षा की रोशनी दी जा रही है. खुदा नगर मोहल्ला में गरीब बच्चों के लिए फ्री क्लासिस होती हैं. इसके अलावा सुदूर इलाकों में भी शिक्षा को लेकर काम हो रहा है.
एजुकेशन और मुस्लिम समाज के बारे में उनका ख्याल है कि मुसलमानों का रुझान पढ़ाई की तरफ जरूर बढ़ा है. इसमें और ज्यादा मेहनत की जरूरत है.
एसपी ने किया शुक्रिया
डॉ. तबरेज अजीज की सेवाओं का पुलिस प्रशासन ने भी स्वीकारोक्ति किया है. वह कहते हैं “मोतिहारी के तत्कालीन एसपी डॉ कमल किशोर जब पुलिस टीम के साथ किसी जगह से छापेमारी करके लौट रहे थे, तो रास्ते में पेड़ गिर गया, जिसमें कई पुलिस वाले जख्मी हो गए. इलाज के बाद ठीक हो गए, लेकिन बाद में फिर एक पुलिस वाले की तबीयत खराब हुई, तो एसपी साहब खुद मौजूद थे.
उनके जमाने में ऐसी कई वारदात होती थीं. जब एसपी साहब का तबादला हुआ, तो उन्होंने मेरे ऑपरेशन सेंटर में पहुंच कर मेरा शुक्रिया अदा किया कि आप बेहतर सेवाएं दे रहे हैं और लोगों की जान बचा रहे हैं”.