Nelson Mandela Jayanti: When Mandela spoke about Hindu-Muslim unity in the love of humanity
अर्सला खान /नई दिल्ली
आज नेल्सन मंडेला की 107वीं जयंती है. दुनिया उन्हें रंगभेद के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक मानती है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने केवल दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय न्याय के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर धार्मिक सौहार्द, खासकर हिंदू-मुस्लिम एकता के पक्ष में भी अपना समर्थन व्यक्त किया था.
नेल्सन मंडेला ने बार-बार इस बात को दोहराया कि शांति और सह-अस्तित्व का मार्ग केवल धर्मों के बीच संवाद और सहयोग से ही संभव है. उन्होंने भारत की विविधता को एक मिसाल बताया और गांधीजी की विचारधारा से गहरे रूप से प्रेरित रहे. उन्होंने एक बार कहा था—“अगर हम गांधीजी की तरह सभी धर्मों को समान आदर दे सकें, तो दक्षिण अफ्रीका ही नहीं, पूरी दुनिया में शांति संभव है.”
भारत की संस्कृति से रहा गहरा नाता
नेल्सन मंडेला भारत के स्वतंत्रता संग्राम से बेहद प्रेरित थे. उन्होंने हमेशा इस बात को सराहा कि कैसे भारत में अलग-अलग धर्मों, विशेषकर हिंदू और मुस्लिम समुदायों ने मिलकर अंग्रेजी हुकूमत का मुकाबला किया. मंडेला का मानना था कि सच्ची आज़ादी तभी मानी जाएगी जब उसमें सबको बराबरी का दर्जा मिले, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या रंग से क्यों न हो.
गांधी से मिली प्रेरणा, हिंदू-मुस्लिम एकता को बनाया मूल्य
मंडेला के राजनीतिक और सामाजिक सिद्धांतों पर महात्मा गांधी की विचारधारा की गहरी छाप थी। उन्होंने खुद को गांधी का "आध्यात्मिक शिष्य" कहा और उनकी ‘सत्याग्रह’ नीति को अपने संघर्ष का आधार बनाया. गांधी की तरह ही मंडेला ने भी यह महसूस किया कि हिंदू-मुस्लिम एकता समाज को जोड़ने की नींव है, और इसे कभी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
दक्षिण अफ्रीका में भी दिया धार्मिक एकता को बढ़ावा
दक्षिण अफ्रीका में बसे भारतीय मूल के समुदायों में जब कभी धार्मिक या सांस्कृतिक तनाव की स्थिति बनी, मंडेला ने दोनों समुदायों को बराबरी और भाईचारे का संदेश दिया। उनके नेतृत्व में दक्षिण अफ्रीका के संविधान में सभी धर्मों को पूर्ण सम्मान और अभिव्यक्ति की आज़ादी दी गई.
Today we remember Nelson Mandela, a leader who opposed apartheid and became a symbol of courage, forgiveness, and hope.
Mandela was South Africa's first black president. 'Madiba', as he was affectionately known, is among the great heroes of history. He was born on this day in… pic.twitter.com/0hnFCghWzh
1995 में भारत दौरे पर बोले थे – “भारत की विविधता ही इसकी ताकत है”
अपने भारत दौरे के दौरान मंडेला ने कहा था कि “भारत की सबसे बड़ी शक्ति उसकी सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता है, और यह तभी संभव है जब हिंदू और मुस्लिम भाईचारे के साथ आगे बढ़ें.” उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत धार्मिक एकता के रास्ते पर चलता रहा, तो वह पूरी दुनिया को सहिष्णुता का नेतृत्व दे सकता है.
आज की दुनिया में मंडेला की सीख क्यों ज़रूरी है?
आज जब दुनिया के कई हिस्सों में धार्मिक असहिष्णुता और ध्रुवीकरण की घटनाएं बढ़ रही हैं, मंडेला की यह शिक्षा और भी प्रासंगिक हो जाती है. उन्होंने कभी धर्म को संघर्ष का कारण नहीं बनने दिया, बल्कि उसे जोड़ने का जरिया बनाया.
नेल्सन मंडेला को केवल दक्षिण अफ्रीका का राष्ट्रपिता मानना उनकी विरासत को सीमित कर देना होगा. वे विश्व मानवता के प्रतीक हैं. उनकी जयंती पर हम यदि एक संकल्प लें कि हम भी उनके दिखाए रास्ते पर चलकर सभी धर्मों को समान भाव से देखें, विशेषकर हिंदू-मुस्लिम एकता को मजबूती दें—तो यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
'क्योंकि इंसान पहले है, धर्म बाद में”— यही था मंडेला का संदेश'