- ईमान सकीना
हज, मक्का की वार्षिक तीर्थयात्रा, इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक है और हर उस मुस्लिम पर अनिवार्य है जो शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हो.लेकिन हज केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि एक गहन आध्यात्मिक और परिवर्तनकारी यात्रा है जो अनेक अर्थों और सार्वभौमिक शिक्षाओं को अपने भीतर समेटे हुए है.आइए समझते हैं कि मुसलमान हज क्यों करते हैं और यह पवित्र यात्रा किन-किन आयामों से भरी होती है.
1. अल्लाहके आदेश की पूर्ति
मुसलमान हज इसलिए करते हैं,क्योंकि यह अल्लाह (सुब्हानहु व तआला) का सीधा आदेश है.कुरआन में अल्लाह फ़रमाता है:"और अल्लाह के लिए लोगों पर उस घर (काबा) की हज फ़र्ज़ है, जो उसकी तरफ रास्ता पाने की सामर्थ्य रखता हो.और जो इंकार करे तो अल्लाह समस्त संसार से बेपरवाह है."— कुरआन 3:97
हज कोई परंपरा या सांस्कृतिक रस्म नहीं है, बल्कि अल्लाह के प्रति आज्ञाकारिता, समर्पण और प्रेम का प्रमाण है.यह मुसलमान के ईमान की पुष्टि करता है और अल्लाह से उसके रिश्ते को मज़बूत करता है.
2. नबियों के पदचिन्हों पर चलना
हज, पैग़म्बर इब्राहीम (अलैहिस्सलाम), उनकी पत्नी हाजरा (अलैहिस्सलाम), और उनके बेटे इस्माईल (अलैहिस्सलाम) की कहानी को दोहराने का माध्यम है.यह नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की अंतिम हज यात्रा की याद भी दिलाता है.
तवाफ़ (काबा का चक्कर लगाना) — इब्राहीम अलैहिस्सलाम द्वारा स्थापित एकेश्वरवाद की विरासत को याद करता है.सई (सफा और मरवा की पहाड़ियों के बीच दौड़ना) — हाजरा की पानी की तलाश में की गई संघर्षपूर्ण दौड़ को दर्शाता है.रमी (शैतान को पत्थर मारना) — इब्राहीम अलैहिस्सलाम द्वारा शैतान के बहकावे को ठुकराने की प्रतीकात्मक क्रिया है.
इन रस्मों के ज़रिए मुसलमान न केवल इन घटनाओं को याद करते हैं, बल्कि उनके भीतर निहित ईमान, सब्र और अल्लाह पर भरोसे की शिक्षाओं को आत्मसात करते हैं.
3. आत्मा की गहरी शुद्धि
पैग़म्बर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया:"जिसने हज किया और उसमें कोई अश्लील या बुरा कार्य नहीं किया, वह उस दिन की तरह लौटता है जिस दिन उसकी माँ ने उसे जन्म दिया था."— बुखारी व मुस्लिम
हज एक अनूठा अवसर है आत्मिक पुनर्जन्म का.हाजी दुनियावी वस्त्रों को छोड़कर सफेद, सादा लिबास (एहराम) पहनते हैं और पूरी तरह अल्लाह से जुड़ जाते हैं.कठिन रस्में, दुआएं और कुर्बानी आत्मा को विनम्र बनाती हैं और हृदय को पापों से शुद्ध करती हैं.
4. मुस्लिम उम्मा की एकता का प्रमाण
हज के दौरान एक अत्यंत प्रेरणादायक दृश्य यह होता है कि लाखों मुसलमान विभिन्न जातियों, संस्कृतियों और भाषाओं से आकर एक साथ एक ही इबादत करते हैं.हज जाति, भाषा, रंग, धन या पद का भेद मिटा देता है.एहराम के सफेद वस्त्र में सभी अल्लाह के सामने बराबर होते हैं.
यह एकता इस्लामी भाईचारे और वैश्विक समानता की सजीव तस्वीर प्रस्तुत करती है.
5. विनम्रता और कृतज्ञता का विकास
हज की कठिनाइयाँ—लंबी यात्रा, भीड़, गर्मी और थकान—सहनशीलता, धैर्य और अल्लाह पर निर्भरता सिखाती हैं.इससे हाजी सेहत, परिवार, पानी, छांव जैसी छोटी-छोटी नेमतों की कद्र करना सीखता है और ज़रूरतमंदों के दर्द को समझता है.यह अनुभव उन्हें और अधिक विनम्र और कृतज्ञ बनाता है.
6. जीवनभर की यादें और रिश्ते
हज केवल एक आध्यात्मिक यात्रा नहीं, यह संबंधों की भी यात्रा है.हाजियों के बीच ऐसी दोस्ती, भाईचारा और सहयोग की भावना बनती है जो ज़िंदगी भर साथ निभती है.वे अपने अनुभव, दुआएं और तकलीफें साझा करते हैं, जिससे दिलों का जुड़ाव और बढ़ता है.
यह संबंध हज के बाद भी कायम रहते हैं और वैश्विक मुस्लिम समुदाय की एकता को मज़बूत करते हैं.
7. नेक जीवन की ओर नया संकल्प
हज से लौटने के बाद अधिकांश हाजी अपने जीवन में बड़ा बदलाव महसूस करते हैं.यह केवल कुछ रस्मों की पूर्ति नहीं, बल्कि एक हृदय की यात्रा होती है जो उन्हें और अधिक सच्चा, दयालु और ईश्वर-भक्त बनाती है.
हज हर मुसलमान के लिए एक ऐसा अवसर है जो उसे अपनी आत्मा से जोड़ता है, उसे उसकी धार्मिक जड़ों की ओर ले जाता है, और एक बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देता है.
हज केवल मक्का की यात्रा नहीं है, यह आत्मा की गहराइयों तक जाने वाली एक दिव्य यात्रा है.यह ईमान को पुनर्जीवित करता है, हृदय को शुद्ध करता है और जीवन के अंतिम उद्देश्य की याद दिलाता है — अल्लाह की इबादत और उसकी रज़ा की तलाश.