लेखक होना एक संघर्ष है, सिर्फ कल्पना नहीं

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 30-07-2025
Being a writer is a struggle, not just a fantasy
Being a writer is a struggle, not just a fantasy

 

अली अश्हर

 

लेखक बनना केवल एक रचनात्मक पेशा नहीं, बल्कि एक समग्र और निरंतर चलने वाली साधना है. इसमें गहन एकाग्रता, शांत एकांत, स्पष्ट सोच और भावनाओं को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने की कला का मेल आवश्यक होता है. लेकिन लेखन की यात्रा केवल लिखने तक सीमित नहीं रहती; असली संघर्ष तब शुरू होता है जब अपनी रचना के लिए सही मंच और सही समय की तलाश की जाती है.

यह चुनौती तब और अधिक जटिल हो जाती है जब लेखक किसी ऐसे देश से आता है जहाँ अंग्रेज़ी उसकी मातृभाषा नहीं है। ऐसे में अंग्रेज़ी के मूल वक्ताओं के बीच प्रकाशित होना एक कठिन कार्य बन जाता है.

प्रतिभा इस राह में बहुत मदद करती है, लेकिन इसके साथ लेखन कौशल को लगातार तराशना और बेहतर बनाना भी जरूरी होता है. कई बार गैर-MFA लेखक किसी प्रतिष्ठित विदेशी पाठ्यक्रम को करना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक सीमाएँ उनका मार्ग रोक देती हैं.

वहीं कुछ लेखक इसलिए ऐसे पाठ्यक्रमों से दूर रहते हैं क्योंकि उन्हें विश्वास नहीं होता कि लेखन से आजीविका चलाई जा सकती है या उन्हें डर होता है कि उनका निवेश व्यर्थ हो जाएगा.

हालांकि आज कई साहित्यिक पत्रिकाएँ वंचित समुदायों के लिए रीडिंग फीस में छूट, तेज़ प्रतिक्रिया या विशेष कॉल जैसे प्रयास कर रही हैं, ताकि लेखन जगत में समान अवसर मिल सकें.

फिर भी लेखन समुदाय को अब भी लंबा रास्ता तय करना है ताकि Black, BIPOC, आर्थिक रूप से कमजोर और अन्य हाशिए पर खड़े लेखकों को बराबरी का मंच मिल सके.

यहाँ तक कि जिन लेखकों की रचनाएँ न्यूयॉर्क टाइम्स या टाइम मैगज़ीन जैसी प्रतिष्ठित जगहों पर छपी हैं, उन्होंने भी यह स्वीकार किया है कि उन्हें लगातार अस्वीकृति का सामना करना पड़ा है.

यही कारण है कि किसी भी नए लेखक को इस उद्योग में कदम रखने से पहले इसके संघर्षों को गंभीरता से समझना चाहिए. कई लेखकों ने यह साझा किया है कि वे महीनों तक प्रत्युत्तर का इंतजार करते रहे और अंत में उन्हें केवल एक सादा ‘ना’ प्राप्त हुआ। वहीं कुछ को वर्षों लग गए अपनी पहली कविता या लघुकथा प्रकाशित करवाने में.

इन सबके बीच कुछ ऐसे संपादक भी हैं जो इस क्षेत्र में परोपकार की भावना से काम कर रहे हैं. वे इस कार्य से कोई आय नहीं कमाते, फिर भी अस्वीकृति पत्रों के साथ सकारात्मक टिप्पणियाँ भेजते हैं ताकि लेखक का आत्मविश्वास बना रहे.

हालांकि संपादकों को भी अक्सर असभ्य प्रतिक्रियाएँ मिलती हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि संघर्ष दोनों पक्षों का है.हालाँकि अस्वीकृति आपकी लेखन क्षमता का अंतिम निर्णय नहीं है, लेकिन यह ज़रूर संकेत देती है कि सुधार की गुंजाइश है.

यदि आप अस्वीकृति की संभावना को कम करना चाहते हैं, तो कुछ सुझाव उपयोगी साबित हो सकते हैं. सबसे पहले, यह मायने नहीं रखता कि आपने MFA किया है या नहीं; अगर आप गहराई से पढ़ते हैं, जिज्ञासापूर्वक पर्यवेक्षण करते हैं और भावपूर्ण अभिव्यक्ति से लिखते हैं, तो यह तीनों बातें मिलकर कमाल कर सकती हैं.

  लेखन केवल भाषा नहीं, बल्कि मनोविज्ञान से भी जुड़ा होता है, इसलिए परिस्थितियों और लोगों को भी उसी तरह पढ़ना सीखें जैसे आप किताबों को पढ़ते हैं.

जिस पत्रिका को आप रचना भेजने जा रहे हैं, उसकी पुरानी सामग्री पढ़ना बेहद जरूरी है ताकि आपको यह समझ आ सके कि वहाँ किस तरह की रचनाएँ पसंद की जाती हैं और क्या आपकी रचना उस ढांचे में फिट बैठती है या नहीं.

अपने लेखन की थीम को पहचानें और उस पर काम करने वाली पत्रिकाओं की खोज करें, इससे प्रयास कम होता है और संभावना अधिक बढ़ती है. साथ ही, एक विनम्र और सटीक कवर लेटर लिखें, क्योंकि संपादक भी इंसान होते हैं और उन्हें व्यक्तिगत तथा पेशेवर जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाना पड़ता है.

एक सधा हुआ पत्र उनका दृष्टिकोण आपकी रचना की ओर सकारात्मक कर सकता है.रचना को प्रूफरीड करना और उसकी संरचना पर ध्यान देना बेहद जरूरी है, क्योंकि व्याकरणिक त्रुटियाँ या अस्पष्ट संरचना पहले ही दौर में रचना को बाहर कर सकती हैं.

और अगर किसी पत्रिका से आपकी रचना अस्वीकार हो जाती है, तो निराश न हों. हो सकता है वही रचना किसी अन्य मंच पर गहराई से सराही जाए. इसलिए हर रचना को दूसरा मौका दें—थोड़ा संपादन करें और फिर से प्रयास करें.

महत्वाकांक्षा, प्रसिद्धि और चापलूसी के पीछे भागने की बजाय अपनी लेखन यात्रा को धैर्य और समर्पण से पूरा करें. जो कुछ भी आपके लिए उचित है, वह सही समय और स्थान पर अपने आप मिलेगा.

लेखन एक साधना है, और अगर आप अपने शब्दों में सच्चाई और संवेदना बनाए रखेंगे, तो आपकी आवाज़ निश्चित रूप से सुनी जाएगी—चाहे आज नहीं तो कल.