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	भारत के इतिहास में ऐसे बहुत कम व्यक्तित्व हुए हैं जिनकी दूरदृष्टि, राष्ट्रनिष्ठा और अदम्य नेतृत्व ने देश की नींव को स्थायी रूप से गढ़ा हो. सरदार वल्लभभाई पटेल उन्हीं महानायकों में से एक थे, जिनके अद्वितीय योगदान के बिना स्वतंत्र भारत की कल्पना अधूरी रहती. उन्हें भारत का “लौह पुरुष” कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अटूट इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प के साथ उन चुनौतियों का सामना किया, जिनसे स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद नवगठित राष्ट्र जूझ रहा था.
उन्होंने राजनीतिक एकीकरण की वह ऐतिहासिक प्रक्रिया पूरी की, जिसने भारत को आज के स्वरूप में एकजुट राष्ट्र के रूप में स्थापित किया. सरदार पटेल की जयंती, जो 31 अक्टूबर को मनाई जाती है, राष्ट्र की एकता, अखंडता और राष्ट्रीय समरसता के संकल्प का प्रतीक है.
इसी अवसर पर हर वर्ष राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है ताकि उनके योगदान को नमन किया जा सके और नई पीढ़ी को यह स्मरण कराया जा सके कि भारत की शक्ति उसकी विविधता में है, और इस विविधता को एक सूत्र में पिरोना ही सच्ची देशभक्ति है.
वर्ष 2025 का राष्ट्रीय एकता दिवस विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस वर्ष सरदार पटेल की 150वीं जयंती मनाई जा रही है. इस अवसर पर गुजरात के नर्मदा जिले में स्थित एकता नगर में भव्य परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है.
यह आयोजन न केवल सरदार पटेल की स्मृति को सम्मानित करेगा, बल्कि भारत की असली पहचान—विविधता में एकता—को भी प्रदर्शित करेगा. एकता नगर का भौगोलिक और सांस्कृतिक स्वरूप स्वयं इस अवधारणा का साकार उदाहरण है, जहाँ प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक स्मृतियाँ और सांस्कृतिक समृद्धि का अद्भुत संगम देखने को मिलता है.
इस वर्ष की परेड में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, राज्य पुलिस बल, एनसीसी कैडेट और विभिन्न स्कूल बैंड शामिल होंगे. महिला पुलिस अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी इस समारोह का विशेष आकर्षण होगी. प्रधानमंत्री को दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर का नेतृत्व एक महिला अधिकारी करेंगी, जो भारत की नारी शक्ति और समानता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
परेड में बीएसएफ के ऊंट दस्ते, गुजरात पुलिस का घुड़सवार दस्ता, असम पुलिस का मोटरसाइकिल डेयरडेविल शो और भारतीय नस्ल के श्वानों का प्रदर्शन शामिल होगा. ये सभी दृश्य न केवल सुरक्षा बलों की वीरता और अनुशासन का प्रतीक होंगे बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना को भी मूर्त रूप देंगे.
संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम में 900 कलाकार भारतीय शास्त्रीय नृत्यों की प्रस्तुति देंगे. इन नृत्यों के माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और एकता का संदेश दिया जाएगा. विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की झांकियाँ इस परेड की शोभा बढ़ाएँगी.
जम्मू-कश्मीर, अंडमान-निकोबार, महाराष्ट्र, मणिपुर, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और पुडुचेरी की झांकियाँ भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और भौगोलिक विविधता का प्रतीक बनेंगी.
राष्ट्रीय एकता दिवस केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय दायित्व की पुनर्पुष्टि है। यह दिन हमें यह स्मरण कराता है कि सरदार पटेल ने जिन मूल्यों के लिए संघर्ष किया,राष्ट्र की अखंडता, एकता, अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा वे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं.
जब उन्होंने 562 रियासतों को भारत संघ में विलय कराया, तब उन्होंने न केवल राजनीतिक दृष्टि से एक राष्ट्र का निर्माण किया बल्कि सांस्कृतिक और भावनात्मक रूप से भी भारत को एक सूत्र में बाँध दिया. उनका यह कार्य केवल इतिहास का अध्याय नहीं, बल्कि भारत के अस्तित्व की नींव है.
आज के समय में, जब समाज कई प्रकार की चुनौतियों से गुजर रहा है,क्षेत्रीय असमानताएँ, सामाजिक विभाजन, वैचारिक मतभेद और वैश्विक दबाव,तब सरदार पटेल का विचार और नेतृत्व और भी महत्वपूर्ण हो उठता है.
वे हमें सिखाते हैं कि भारत की मजबूती उसकी विविधता में है, और एकता हमारी सबसे बड़ी शक्ति है. सरदार पटेल ने कहा था, “हमारा राष्ट्र तभी मजबूत होगा जब हम एक साथ सोचेंगे, एक साथ काम करेंगे और एक साथ आगे बढ़ेंगे.” यही विचार आज के भारत की दिशा बन सकता है.
इस वर्ष के समारोह में बीएसएफ और सीआरपीएफ के वीरता पदक विजेताओं को भी सम्मानित किया जाएगा, जिन्होंने नक्सल विरोधी और आतंकवाद विरोधी अभियानों में असाधारण साहस का परिचय दिया है.
उनके माध्यम से राष्ट्र उन मूल्यों को पुनः स्वीकार करता है जिन्हें सरदार पटेल ने अपने जीवन में जीया—कर्तव्य, समर्पण और निडरता. इसके अतिरिक्त, एकता नगर में 1 से 15 नवंबर तक “भारत पर्व” का आयोजन होगा, जिसमें देशभर की सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और खानपान उत्सव आयोजित किए जाएँगे.
यह पर्व 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के विशेष कार्यक्रमों के साथ समाप्त होगा, जिससे जनजातीय समुदायों की गौरवशाली संस्कृति को सम्मान दिया जाएगा.
सरदार पटेल की विरासत केवल मूर्तियों या स्मारकों तक सीमित नहीं है. उनकी सच्ची स्मृति तब जीवित रहती है जब भारत का हर नागरिक अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करता है, जब देश के विभिन्न समुदाय एक-दूसरे का सम्मान करते हैं, और जब हम सब मिलकर “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के निर्माण में योगदान देते हैं.
एकता नगर में स्थित ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ न केवल उनकी स्मृति का प्रतीक है बल्कि यह संदेश भी देती है कि देश की एकता सबसे ऊपर है.आज जब हम सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती मना रहे हैं, तब हमें यह समझना चाहिए कि उनके विचार केवल अतीत की विरासत नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा हैं.
उनके सिद्धांत हमें बताते हैं कि राष्ट्र की प्रगति तभी संभव है जब हम परस्पर विश्वास, सहयोग और एकता की भावना से आगे बढ़ें। राष्ट्रीय एकता दिवस का उद्देश्य भी यही है.
हर भारतीय के मन में यह भावना जगाना कि हम सब एक हैं, और हमारी विविधता ही हमारी पहचान है. सरदार पटेल का जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि सच्चा देशभक्त वही है जो राष्ट्र को सर्वोपरि मानता है और उसके लिए अपने स्वार्थों से ऊपर उठकर कार्य करता है.
इस दृष्टि से आज का भारत जितना विकसित, तकनीकी रूप से उन्नत और आत्मनिर्भर हो रहा है, उतना ही उसे उस नैतिक और राष्ट्रीय एकता की भावना की भी आवश्यकता है, जिसकी नींव सरदार पटेल ने रखी थी.
इनपुट पीआईबी
