इंजीनियर से कलाकार बने मुहम्मद काशिफ

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 25-10-2025
Engineer-turned-artist Muhammad Kashif
Engineer-turned-artist Muhammad Kashif

 

आवाज द वाॅयस / भोपाल 

भोपाल के युवा इंजीनियर-कलाकार मुहम्मद काशिफ आज भारत के उन प्रेरक व्यक्तित्वों में गिने जाते हैं जिन्होंने यह साबित किया है कि अगर जुनून और लगन हो, तो कबाड़ से भी सुंदर कलाकृतियाँ रची जा सकती हैं. बचपन से ही कला के प्रति उनका रुझान रहा. पहली कक्षा में उन्होंने अपने स्कूल की चित्रकला प्रतियोगिता में भाग लिया और पहला स्थान प्राप्त किया. यही वह क्षण था जिसने उनके भीतर रचनात्मकता का बीज बोया. वे अक्सर संग्रहालयों और कला प्रदर्शनियों में जाकर घंटों तक कलाकृतियाँ देखते रहते थे और सोचते थे कि वे कुछ ऐसा रचें जो पहले कभी न देखा गया हो.

काशिफ ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक और एमबीए किया. उनका कहना है कि इंजीनियरिंग उनके ऊपर थोपी नहीं गई थी, बल्कि उन्होंने इसे अपनी रुचि के कारण चुना. बचपन से ही उन्हें खिलौनों और मशीनों को खोलकर समझने का शौक था. यही जिज्ञासा आगे चलकर उन्हें रोबोटिक्स और डिजाइन की दुनिया में ले गई. वे कहते हैं, “मुझे हमेशा कुछ नया करने की ललक रही है. मैं चाहता था कि अपनी कला और तकनीक के संगम से देश का नाम विश्व स्तर पर रोशन करूं.”

काशिफ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे कबाड़ और बेकार वस्तुओं में भी कला का तत्व खोज लेते हैं. नारियल के जूट, ताड़ के बीज, राख, कपास के टुकड़े या प्लास्टिक का कचरा—ये सभी चीजें उनके लिए प्रेरणा का स्रोत हैं. उन्होंने कबाड़ से कलाकृतियाँ बनाना अपने घर से शुरू किया. कॉलेज के दिनों में उन्होंने एक प्रतियोगिता के दौरान काले हिरण के सींग की आकृति बनाई, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. कुछ ही समय में उन्हें दुबई में आयोजित “वर्ल्ड आर्ट दुबई 2018” में भारत का प्रतिनिधित्व करने का आमंत्रण मिला. यही क्षण उनके जीवन का निर्णायक मोड़ साबित हुआ.

शुरुआत में जब उन्होंने स्क्रैप आर्ट बनानी शुरू की, तो बहुत से लोगों ने इसका मज़ाक उड़ाया. उन्हें कहा गया कि यह समय की बर्बादी है, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने इसे अपने जुनून और आत्मा की आवाज़ माना और पूरे समर्पण के साथ आगे बढ़े. आज वही लोग उनकी उपलब्धियों पर गर्व करते हैं. मुहम्मद काशिफ आज भारत के “टॉप 20कलाकारों” में शामिल हैं. उनके नाम एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और मेगा गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड जैसे कई सम्मान दर्ज हैं.

काशिफ की कलाकृतियाँ केवल सुंदरता का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि वे समाज के लिए संदेश भी देती हैं. उन्होंने भोपाल बोट क्लब के लिए 1,500प्लास्टिक के कबाड़ से एक विशाल कलाकृति बनाई, जो “सिंगल यूज़ प्लास्टिक” के खिलाफ एक सशक्त अभियान का हिस्सा बनी. इस कलाकृति का उद्घाटन बॉलीवुड अभिनेत्री भूमि पेडनेकर ने किया. हाल ही में उन्होंने 15,000बेकार प्लास्टिक की बोतलों से भारत का सबसे बड़ा ग्लोब तैयार किया, जो स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है.

काशिफ ने अपनी रचनात्मकता को एक व्यावसायिक दिशा देने के लिए “आर्टिस्टिक इंजीनियरिंग” नाम से एक स्टार्टअप शुरू किया है. इसमें 25से अधिक कारीगरों की टीम काम करती है, जो लकड़ी, स्टील, धातु और पुनर्चक्रित सामग्रियों से अनोखे आंतरिक और बाहरी डिज़ाइन तैयार करती है. उनका यह स्टार्टअप रचनात्मकता और तकनीकी विशेषज्ञता का उत्कृष्ट उदाहरण है.

काशिफ न केवल एक कलाकार हैं बल्कि एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी भी हैं. उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की क्रिकेट और फुटबॉल प्रतियोगिताओं में भाग लिया है और राज्य स्तरीय राइफल शूटिंग में भी अपने कौशल का प्रदर्शन किया है. उनके लिए खेल अनुशासन और एकाग्रता का स्रोत है, जिसने उन्हें कला में निखार लाने में मदद की.

काशिफ अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को देते हैं. उनके पिता के प्रगतिशील विचार और माँ का भावनात्मक सहयोग हमेशा उनके साथ रहा. वे एक धार्मिक मुसलमान हैं और अपने धर्म से गहरा लगाव रखते हैं. उनका कहना है, “मैं कोई धार्मिक विद्वान नहीं हूँ, लेकिन अल्लाह ने मुझे हर कार्य में सफलता दी है. धर्म मेरे लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना जीवन.”

 

आज मुहम्मद काशिफ न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी पहचान बना चुके हैं. उन्हें “क्रिएटिव यंग एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर (2022)”, राष्ट्रीय रत्न पुरस्कार और कई अन्य सम्मान मिल चुके हैं. उनकी कला प्रदर्शनी दुबई, अबू धाबी और सिंगापुर जैसे देशों में आयोजित हो चुकी है, जहाँ उनके कार्यों को अत्यधिक सराहा गया.

काशिफ का जीवन इस बात का प्रमाण है कि जब कोई व्यक्ति अपने जुनून को दिशा देता है, तो वह साधारण चीज़ों में भी असाधारण सुंदरता खोज सकता है. उन्होंने यह साबित किया है कि कबाड़ में भी कमाल छिपा होता है—बस देखने की नज़र और करने का जज़्बा चाहिए. वे कहते हैं, “कला केवल सजावट नहीं है, यह एक संदेश है. हम सीमित संसाधनों से भी असीम सुंदरता और उम्मीदें गढ़ सकते हैं.” उनका यह विश्वास और उनकी रचनात्मकता आज युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है.