ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
भारत के हिंदी फिल्म उद्योग का केंद्र, बॉलीवुड, एक परिवर्तनकारी दौर से गुज़र रहा है। सालाना 1,500 से ज़्यादा फ़िल्में बनाने वाला यह एक सांस्कृतिक महाशक्ति है, जो मसाला कहानियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी अत्याधुनिक तकनीक के साथ मिलाता है। भारतीय सिनेमा हमेशा से अपनी भव्यता, भावनाओं और कहानियों के लिए जाना जाता रहा है। परंतु अब, जब दुनिया तकनीक की ओर तेज़ी से बढ़ रही है, तो बॉलीवुड भी पीछे नहीं है। अब हम प्रवेश कर रहे हैं "बॉलीवुड 2.0" के दौर में — एक ऐसा युग जहां आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) सिर्फ तकनीकी सहायक नहीं, बल्कि सृजन का मुख्य हिस्सा बन चुका है।
AI अब स्क्रिप्ट से लेकर स्क्रीन तक, हर जगह अपनी भूमिका निभा रहा है — और इसके प्रभाव की झलक हाल में सामने आए तीन प्रमुख प्रोजेक्ट्स में साफ़ दिखाई दी:
‘महाभारत: एक धर्मयुद्ध’ – भारत की पहली पूर्णत: AI जनरेटेड पौराणिक सीरीज़
‘रांझणा 2.0’ – क्लासिक प्रेम कहानी का नया एआई अंत
‘The Ba*ds of Bollywood’** – एआई और इंसानी आवाज़ का संगीत संगम

भारतीय पौराणिक कथाओं को नए दृष्टिकोण से पेश करने वाली इस सीरीज़ ने तकनीकी और भावनात्मक दोनों स्तरों पर हलचल मचा दी है। ‘महाभारत: एक धर्मयुद्ध’ में न तो कोई इंसानी अभिनेता है और न ही पारंपरिक कैमरा क्रू। पूरी सीरीज़ को AI जनरेटेड विजुअल्स, वॉयसेस और स्क्रिप्ट से तैयार किया गया है। हर पात्र — चाहे वह अर्जुन हो या दुर्योधन — AI के जरिए रेंडर किया गया है। उनकी चेहरे की भावनाएं, युद्ध की तीव्रता और संवाद की गहराई इतनी प्रभावशाली हैं कि दर्शक असल और कृत्रिम के बीच का अंतर भूल जाते हैं।
निर्देशक समीर चौधरी कहते हैं, “हमने AI को सिर्फ तकनीक नहीं, बल्कि कहानीकार की भूमिका दी। महाभारत अब सिर्फ एक कथा नहीं, बल्कि एक अनुभव है — जो हर दर्शक के साथ अलग तरह से बदलता है।” इस सीरीज़ में एआई का इस्तेमाल सिर्फ दृश्य प्रभावों तक सीमित नहीं है — यह हर एपिसोड के भावनात्मक प्रवाह को दर्शक की पसंद के अनुसार बदल देता है। यानी आपका “धर्मयुद्ध” किसी और से अलग हो सकता है।
आज रिलीज़ हुई "महाभारत: एक धर्मयुद्ध" को भारत की पहली पूरी तरह से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर आधारित पौराणिक वेब सीरीज़ माना जा रहा है। जियोस्टार-कलेक्टिव मीडिया नेटवर्क द्वारा निर्मित यह 100-एपिसोड की वेब सीरीज़, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) द्वारा निर्मित दृश्यों (जैसे, कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र), जीवंत डिजिटल पात्रों (अर्जुन, कृष्ण) और अनुकूलित कथावाचन के साथ महाभारत की पुनर्कल्पना करती है, जिससे लागत में 50-70% की कमी आती है। जहाँ "कल्कि 2898 ईस्वी" जैसी पिछली परियोजनाओं में विज्ञान-कथा-पौराणिक मिश्रणों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल किया गया था, वहीं यह पहली ऐसी वेब सीरीज़ है जो पारंपरिक महाकाव्य के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का पूरी तरह से उपयोग करती है।

भारत की पहली एआई-संचालित फिल्म

2013 की ब्लॉकबस्टर ‘रांझणा’ ने दर्शकों को कुंदन और जोया की अधूरी प्रेम कहानी से रुला दिया था। अब, उसके डिजिटल रीमेक ‘रांझणा 2.0’ में, निर्माताओं ने एआई से पूछा — “अगर यह कहानी आज के समाज और युवाओं के नज़रिए से दोबारा लिखी जाए, तो इसका अंत कैसा होगा?”
AI ने जो लिखा, उसने पूरे सोशल मीडिया को झकझोर दिया। इस बार जोया और कुंदन का अंत दुखद नहीं, बल्कि आत्म-बोध से भरा है। AI ने रिश्तों की जटिलता को एक आधुनिक, संवेदनशील रूप दिया — ऐसा अंत जो इंसानी लेखकों के लिए भी कल्पना से परे था।
फिल्म के लेखक हिमांशु शर्मा कहते हैं, “एआई ने हमें सिखाया कि भावनाओं की व्याख्या कई रूपों में हो सकती है। यह मनुष्य की जगह नहीं लेता, बल्कि उसकी सोच को चुनौती देता है।”

“The Ba***ds of Bollywood” – जब म्यूज़िक बना डेटा की धुन
डार्क सटायर और म्यूज़िकल टच के साथ बनी यह फिल्म बॉलीवुड के अंदरूनी तंत्र पर व्यंग्य है। लेकिन असली आकर्षण इसका एआई-कंपोज़्ड गाना — “दिल टूटे तो डेटा बोले” है। यह गाना पूरी तरह AI द्वारा लिखा, गाया और मिक्स किया गया है। इसमें इंसानी आवाज़ और मशीन की बीट्स का ऐसा संगम है जो भारतीय म्यूज़िक इंडस्ट्री के लिए नया प्रयोग साबित हो सकता है।
गाने में मशीन की “भावनाहीनता” को एक व्यंग्यात्मक रूप में इस्तेमाल किया गया है — जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है कि जब भावनाएं भी कोड बन जाएँ, तो कला का अर्थ क्या रह जाता है?

AI के इस विस्तार ने बॉलीवुड में नई संभावनाओं के दरवाज़े खोल दिए हैं। प्रोडक्शन लागत घट रही है, विज़ुअल क्वालिटी बेहतर हो रही है और क्रिएटिव एक्सपेरिमेंट्स का दायरा बढ़ रहा है।
लेकिन हर तकनीकी क्रांति की तरह, इसके साथ सवाल भी उठ रहे हैं —
क्या एआई इंसानी रचनात्मकता को खत्म कर देगा?
स्क्रिप्ट और संगीत के कॉपीराइट का मालिक कौन होगा — इंसान या मशीन?
जब हर चेहरा और आवाज़ डिजिटल हो, तो “अभिनय” की परिभाषा क्या रह जाएगी?
फिल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा का कहना है, “AI बॉलीवुड को पुनर्परिभाषित कर रहा है। पर असली सवाल यह नहीं कि मशीन क्या कर सकती है, बल्कि यह है कि इंसान क्या बचा पाएगा — अपनी भावनाएं या अपनी जगह।”
‘बॉलीवुड 2.0’ केवल तकनीकी परिवर्तन नहीं, बल्कि एक दार्शनिक बदलाव भी है। यह युग इंसान और मशीन के सह-अस्तित्व का, सहयोग का और प्रतिस्पर्धा का है। ‘महाभारत: एक धर्मयुद्ध’ के युद्धक्षेत्र से लेकर ‘रांझणा 2.0’ के प्रेम तक, और ‘The Ba***ds of Bollywood’ की व्यंग्यात्मक धुनों तक — हर कहानी यह कह रही है कि “सिनेमा अब सिर्फ इंसानों का नहीं रहा — यह डेटा, एल्गोरिद्म और कल्पना का संयुक्त ब्रह्मांड बन चुका है।” बॉलीवुड 2.0 में अब धर्मयुद्ध सिर्फ अच्छाई और बुराई के बीच नहीं, बल्कि रचनात्मकता और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बीच लड़ा जा रहा है।