संदर्भ उदयपुर घटना: एक नई पहल की जरूरत

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 29-06-2022
संदर्भ उदयपुर घटना: क्या करना चाहिए उलेमा को ?
संदर्भ उदयपुर घटना: क्या करना चाहिए उलेमा को ?

 

मलिक असगर हाशमी
 
उदयपुर में एक दर्जी की निर्मम हत्या ने रातभर सोने नहीं दिया. जो घनी मुस्लिम आबादी में रहते हैं उन्हें शायद इस घटना से कोई खास फ्रक न पड़ा हो, पर मैं ऐसी जगह रहता हूं, जहां मेरी कौम की आबादी का कोई और व्यक्ति शायद ही रहता हो. चूंकि उदयपुर के हिंदू दर्जी की दो मुसलमनों ने बड़ी बेरहमी से कटारनुमा धारदार हथियार से हत्या कर दी थी, लगा कि देश का माहौल खराब हो सकता है.

उदयपुर से उठने वाली नफरत की आग हमारे घर तक पहुंच सकती है. इन अनाम आशंका से पीड़ित होने के कारण हमने सबसे पहले दूर-दराज में रहने वाले अपने रिश्तेदारों को स्थिति से अवगत कराया. फिर उन्हें बेमकसद घर से बाहर निकलने से परहेज रखने की नसीहत दी. मैं भी देर रात तक टीवी पर आने वाली खबरें देखता और जागता रहा.
 
दरअसल, मैं यह सब इसलिए बता रहा हूं कि जो लोग खुराफात कर अशांति फैलाते हैं, उन्हें मालूम होना चाहिए कि उनकी वजह से एक आम आदमी की जिंदगी कैसे बेचैन और अशांत गुजरती है.आपके समाज में पलीता लगाने का असर आम लोगों पर बहुत बुरा पड़ता है. चूंकि मेरे गली, मोहल्ले, शहर, सूबे और देश का आम हिंदुस्तानी, खुराफाती चाहे किसी भी धर्म का हो, उनके साथ नहीं है.
 
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दर्जी कन्हैया की हत्या के बाद जोधपुर में हंगामी स्थिति

इसलिए औरों की तरह मेरा खौफ भी चंद घंटे के लिए ही था. बाकी रात सकून से बीती और सुबह आम दिनों की तरह अपने घर से काम पर निकल पड़ा. मगर अफसोस इस बात का है कि उदयपुर की घटना या पैगंबर-देवी, देवताओं के अपमान का मामला और इससे होने वाली भयंकर प्रतिक्रिया से कितना बड़ा बवंडर खड़ा हो सकता है,उसे शांत करने की गंभीर पहल नहीं की जा रही है.
 
एक मुसलमान के नाते मैं यह समझता हूं कि हजरत पैगंबर मोहम्मद साहब के अपमान के मामले में देश के इस्लामिक रहनुमा जितनी शिद्दत से नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की गिरफ्तारी की मांग उठाते रहे हैं.


उन्हें इसी संवेदनशीलता से आम आदमी को यह समझाना चाहिए कि पैगंबर मोहम्मद का मामला मुसलमान के लिए बेहद गंभीर है, ऐसे में कोई हंगामेदार बयान देने से अच्छा है ऐसे बात न कही जाए जिससे तनाव फैलता हो. मगर बरेली में मौलाना तौकीर रजा ने क्या किया और सांसद एवं एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी किस तरह के बयान दे रहे हैं, यह किसी से छिपा नहीं है.
 
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जनसभा को संबोधित करते ओवैसी


पैंबर साहब पर अनुचित टिप्पणी आज कोई पहली दफा थोड़ी न की गई है. उन्होंने अपनी जिंदगी में ढेरो अपमान झेले हैं. बूढ़िया तक उनपर कूड़ा डाल जाती थी. पवित्र कुरान के अवतरित होने और उनके प्रचार-प्रसार के दौरान मक्का में बारह वर्षों तक पैगंबर मोहम्मद साहब को विरोधियों का अपमान सहना पड़ा था.
 
यह जब असहन हो गया तो वे मदीना हिजरत कर गए. उसके बाद मक्का के अपने विरोधियों के खिलाफ जंग किया. यही नहीं इस दौरान भी पैगंबर मोहम्मद साहब ने अपने विरोधियों के इष्ट देव वाली शर्तें बहुत हद तक कबूल कर लीं.
 
मगर हजरत मोहम्मद के बताए रास्ते पर चलने वाले हम कर क्या रहे हैं ? हमने सहन शक्ति तक खो दी हैं. उनके नाम पर किसी भी हद तक चले जाते हैं. इस्लामिक देशों में तो इस मामले में मौत तक की सजा है.
 
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मौलाना तौकरी रजा नूपुर मामले में जनसभा से मुखातिब हुए

एक अखबार द्वारा पैगंबर मोहम्मद साहब की तस्वीर बनाने के मुददे पर फ्रांस जैसे शहर में बवाल मचा दिया गया था. ऐसे समय क्या हम अल्ला और उनके रसूल पैगंबर मोहम्मद साहब की बताई बातों को भूल जाते हैं ? इस्लाम में माफी को बहुत ज्यादा अहमियत दी गई है. मगर हम इसे अपनी जिंदगी में गांठ क्यों नहीं बांधते ?
 
नूपुर शर्मा मामले में एक भी ऐसा बयान क्यों नहीं आया कि हम उन्हें इसके लिए माफ करते हैं और उन खुराफातियों का नसीहत देते हैं कि ऐसे हालात न पैदा किए जाएं कि कोई नूपुर या नवीन जिंदल अनर्गल बातें कहने को मजबूर हो जाए.
 
एक मुसलमान को किसी अन्य धर्म या उनके ईष्ट देव की आलोचना या भ्रत्सना करने की इजाजत किसने दी है ? इस्लाम और कुरान में तो ऐसा कुछ नहीं है. फिर ऐसा क्यों हो रहा है ? तीन तलाक के गलत इस्तेमाल की तरह अब तक देश के किसी आलिम को यह फतवा जारी करते हुए नहीं देखा गया कि यदि कोई इस्लाम को छोड़ कर किसी अन्य धर्म या उसके ईष्ट देव या मानने वालों की आलोचना करता है या बुरा बोल बोलता है तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा.
 
मौलवी ऐसे लोगों के घर का खाना नहीं खाएंगे. उनकी शादी ब्याह में शिरकत नहीं करेंगे. चूंकि कि उन्हांेने कुरान और रसूल के बताए मार्ग से इतर जाने की जुर्रत की है, इसलिए उनका सामाजिक बहिष्कार किया जा रहा है.
 
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नूपुर और नवीन जिंदल के विवादस्प टिप्पणी के बाद कानपुर में भड़का दंगा


जब तक आपकी ओर से ऐसी पहल नहीं होगी, दूसरे धर्म के सिरफिरों को अक्ल नहीं आएगी कि हम ऐसा कर रहे हैं और वे अपने लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहे हैं. आपने इस तरह की पहलकदमी की तो दूसरे धर्म के लोग भी आपके समर्थन में आ जाएंगे. आते भी रहे हैं. नूपुर-नवीन मामला तो ताजा उदाहरण है. 
 
अब जब कि देश-दुनिया में हर तरफ विभिन्न तरह के मसलों को लेकर अशांति और अव्यवस्था का आलम है. इसके चलते आम आदमी का जीवन कष्टदायक हो गया है. ऐसे माहौल में हमें बिला वजह के झगड़े और विवाद से बचना चाहिए. कोशिश हो कि सभी एक दूसरे की समस्या को दूर करने के सारथी बने.
 
भारत के लिए यह बहुत ही आइडियल सिच्वेशन है. इसी गंगा-जमुनी तहजीब का तो हम भारतवासी समर्थन करते आए हैं.अब भी वक्त नहीं गुजरा है. शुरुआत उदयपुर से ही होनी चाहिए. अच्छी बात यह है कि हिंदू दर्जी की दो मुसलमानों द्वारा पैगंबर मुस्तफा के बताए मार्ग से इतर जाकर हत्या जैसे कुकृत की जमकर आलोचना की जा रही है.
 
उलेमा भी घटना की मजम्मत कर रहे हैं. मगर इतने से काम नहीं चलेगा. इस्लामिक रहनुमाओं का फर्ज है कि वे उस दर्जी के घर जाएं. उसके परिवार वालों से मिलें. उन्हें ढांढस बंधाएं. आर्थिक और आरोपियों को सजा के अंजाम तक पहुंचाने में उनकी मदद का ऑफर दें.
 
अब तक जो जानकारी सामने आई है. उसके मुताबिक, दर्जी ने पुलिस की मौजूदगी में नूपुर शर्मा की हिमायत करने के मामले में माफी मांग ली थी. उसे माफ करने का स्वांग भी रचा गया. मगर कुछ दिनों बाद उसकी हत्या कर दी गई.
 
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भूमिगत नूपुर और नवीन जिंदल

ऐसा किसी भी हालत में न होने दें. नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल पैगंबर साहब के अपमान विवाद के बाद से भूमिगत हैं. सुरक्षा के साए में जी रहे हैं. इस मामले में भी उलेमा को पहल करनी चाहिए.अपनी ओर से उन्हें भरोसा दिलाना चाहिए कि उनकी कौम ने इस्लाम के रसूल की राह पर चलते हुए कूड़ा फेंकने वाली बूढ़िया की तरह क्षमा कर दिया है. आप आगे आएं और अपनी सामान्य जिंदगी जिएं.
 
यदि आप की किसी बात पर किसी को एतराज है तो वह कानून-संविधान के दायरे में रहकर निपट लेगा. आपको लेकर कोई हिंसा नहीं होगी. पैगंबर साहब के नाम पर अब तक जो कुछ हुआ अब नहीं होगा. मेरे ख्याल से जब तक इत तरह की पहल हमारी ओर नहीं की जाएगी सिरफिरे बवाल काटते रहेंगे और मेरे जैसा आम नागरिक की जिंदगी डरी सहमी गुजरती रहेगी.
 
( लेखक आवाज द वॉयस डॉट इन हिंदी के संपादक हैं. )